सबकी निगाहें पूर्व सांसद गंभीर पर टिकी हैं, क्योंकि ऑस्ट्रेलिया में टीम इंडिया के कोच के रूप में बड़ी चुनौती उनके सामने खड़ी है.
नवंबर 2013 की बात है. गौतम गंभीर टीम इंडिया के साथ बाहर हो चुके थे और उन्हें वापसी के लिए रन बनाने की जरूरत थी. लेकिन फिरोजशाह कोटला स्टेडियम की बल्लेबाजों के अनुकूल सपाट पिच के बजाय उन्होंने रणजी ट्रॉफी के लिए दिल्ली क्रिकेट टीम के कप्तान के रूप में रोशनआरा क्लब की हरी-भरी पिच को चुना.
ऐसा इसलिए क्योंकि टीम की जीत उनके लिए ज्यादा मायने रखती थी. और पिछले कुछ सालों में इस नज़रिए में कोई खास बदलाव नहीं आया है, भले ही गंभीर विवादों के चहेते, “सबसे गलत समझे जाने वाले खिलाड़ी” हों, या जैसा कि एक पूर्व चयनकर्ता ने कहा, कि वे भारतीय क्रिकेट के “एंग्री यंग मैन” के रूप में अपनी यात्रा पूरी कर चुके हैं.
इस महीने भारत के मुख्य कोच के रूप में राहुल द्रविड़ की जगह लेने के कुछ महीने बाद वे एक और इम्तेहान के सामने खड़े थे, और ऑस्ट्रेलिया में अपनी नई भूमिका में उन्हें अपनी सबसे बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा.
भारत के ऑस्ट्रेलिया दौरे से पहले एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उन्होंने विराट कोहली के हाल के खराब फॉर्म पर संदेह जताने के लिए रिकी पोंटिंग पर निशाना साधा. इस 43 वर्षीय कोच ने कहा, “पोंटिंग का भारतीय क्रिकेट से क्या लेना-देना है? उन्हें ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट के बारे में सोचना चाहिए". पूर्व ऑस्ट्रेलियाई कप्तान ने पलटवार करते हुए उन्हें एक "चिड़चिड़ा किरदार" बताया. संजय मांजरेकर, जो उत्तर भारत के खिलाड़ियों पर ध्यान नहीं देते, ने इसके बाद बीसीसीआई को सलाह दी कि बिजली की इस नंगी तार को प्रेस वार्ता से दूर रखा जाए.
बिना किसी आदर्श के क्रिकेट की पहली पारी
गंभीर का जन्म 1981 में दिल्ली में एक पंजाबी हिंदू परिवार में हुआ था. परिवार के एक करीबी सूत्र ने बताया कि उनके परिवार के राजनीतिक संबंध दिवंगत मुख्यमंत्री मदनलाल खुराना तक थे.
उनका पालन-पोषण उनकी मां के परिवार ने किया. उनके मामा पवन गुलाटी, जो अब दिल्ली जिला क्रिकेट संघ के कोषाध्यक्ष हैं, उन्हें क्लब मैचों और प्रशिक्षण सत्रों में ले जाते थे. अपने शुरुआती दिनों में गंभीर ने मॉडर्न स्कूल, बाराखंबा रोड में पढ़ाई की, उन्होंने पूसा रोड पर प्लेमेकर्स अकादमी, भारत नगर क्रिकेट क्लब और संजय भारद्वाज और राजू टंडन की अगुवाई में इंदिरा गांधी स्टेडियम में प्रशिक्षण लिया.
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