जुबैर ने अपने खिलाफ दर्ज मामले को रद्द करने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी, जहां पुलिस ने बताया कि उनके खिलाफ दो और नई धाराएं जोड़ी गई हैं.
गाजियाबाद के कवि नगर थाने में बीते 7 अक्टूबर को ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर के खिलाफ एक एफआईआर दर्ज की गई. यह एफआईआर बीजेपी के नेता और भड़काऊ भाषणों के लिए विवादों में रहने वाले वाले कथित महंत यति नरसिंहानंद के ट्रस्ट की महासचिव उदिता त्यागी की शिकायत के आधार पर दर्ज हुई थी.
त्यागी की शिकाय पर पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 196 (यदि कोई व्यक्ति धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, भाषा आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देता है) , 228 (झूठे साक्ष्य गढ़ना) , 299 (जानबूझकर किसी धर्म या उससे जुड़ी चीजों को ठेस पहुंचना), 356(3) (किसी अन्य व्यक्ति के खिलाफ कोई गलत जानकारी देना) और 351(2) (किसी दूसरे व्यक्ति में डर पैदा करना) के तहत दर्ज की गई.
अब गाजियाबाद पुलिस ने जुबैर के मामले में दो और धाराएं जोड़ दी हैं. इनमें बीएनएस की धारा 152 और आईटी एक्ट की धारा 66 को भी जोड़ दिया है. धारा 152 के तहत भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने का अपराध शामिल है. यह एक गैर जमानती अपराध है. इसमें सात साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा होती है.
न्यूज़लॉन्ड्री ने कवि नगर थाने के एसएचओ से बात की और समझने की कोशिश की कि आखिर जुबैर के मामले में ऐसी सख्त धारा लगाने की क्या वजह रही? एसएचओ ने कहा कि मामले में अभी जांच चल रही है. इससे ज़्यादा वे कोई जानकारी नहीं दे सकते हैं. अगर ज़्यादा जानकारी चाहिए तो एसीपी से बात कीजिए.
जब एसीपी अभिषेक श्रीवास्तव से हमने इस बारे में पूछा तो उन्होंने कहा, ‘‘यह जांच का विषय है. इस पर आपको कोई जानकारी नहीं दे सकते हैं. इसके बाद उन्होंने फोन नहीं उठाया.’’
क्या है मामला
“इस्लाम को धरती से मिटा देना चाहिए……, सभी मुसलमानों को ख़त्म कर देना चाहिए और आज हम जिन्हें मुसलमान बुलाते हैं, उन्हें पूर्व में राक्षस बुलाया जाता था.” ये दोनों बयान कथित महंत यति नरसिंहानंद के हैं.
अक्सर इस्लाम और मुस्लिम समाज के खिलाफ विवादित बयान देने वाले महंत यति ने 29 सितंबर को गाजियाबाद के लोहिया नगर स्थित हिंदी भवन में आयोजित कार्यक्रम में पैगंबर मोहम्मद पर विवादित बयान दिया. इसी बयान का वीडियो साझा करते हुए ज़ुबैर ने एक्स (पूर्व में ट्वीटर) पर पोस्ट किया. जिसके आधार पर उदिता त्यागी ने पुलिस में शिकायत दी.
एफआईआर में लिखा है, ‘‘3 अक्टूबर 2024 को रात्रि 9:30 बजे महामण्डलेश्वर यत्ति नरसिंहानन्द गिरी जी के किसी कार्यक्रम का वीडियो डालते हुये कट्टरपंथी मुसलमानों को भड़काया गया, जिसमें लोगों को और ज्यादा भड़काने के लिए महाराज जी के किसी पुराने बयान का भी जिक्र किया गया. जिसमें उन्हें भाजपा नेताओं के अपमान के साथ जोड़ा गया.”
एफआईआर में त्यागी की तरफ से आरोप लगाया गया कि जुबैर ने यति के भाषणों और वीडियो में से कुछ-कुछ क्लिप काटकर पोस्ट की. जिससे 4 अक्टूबर की रात को डासना देवी मन्दिर पर हजारों कट्टरपंथियों के द्वारा हमला किया गया.
जहां तक यति द्वारा बीजेपी की महिला नेताओं के अपमान की बात है. वो 2021 की घटना है. बीजेपी की महिला नेताओं को लेकर आपत्तिजनक बयान दिए थे. जिसके बाद राष्ट्रीय महिला आयोग ने डीजीपी को पत्र लिखा था. बीजेपी के ही कई नेताओं ने यति की आलोचना की थी.
दिल्ली के हरिनगर से बीजेपी के विधायक उम्मीदवार रहे तजिंदर बग्गा ने यति को फ्रॉड कह दिया था. वहीं कपिल मिश्रा ने वीडियो साझा करते हुए लिखा, ‘‘ये जिहादी सोच से बीमार कोई कुंठित आदमी है. इस आदमी को महिला आयोग और यूपी पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया जाना चाहिए.’’ इसके बाद यति पर मामला भी दर्ज हुआ था.
उदिता त्यागी ने अपनी शिकायत में यह नहीं कहा कि वीडियो गलत है. उनका दावा था कि काट-छांट कर साझा किया गया है.
मोहम्मद ज़ुबैर ने अपने खिलाफ दर्ज इस मामले को रद्द करने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट का रुख किया है. उन्होंने इलाहबाद हाईकोर्ट में दाखिल हलफनामे में बताया है कि साझा किया गया वो वीडियो सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध है और शेयर होता रहता है.
ज़ुबैर हलफनामे में आगे कहते हैं कि उन्होंने वही वीडियो साझा किए, जो यति के आपराधिक व्यवहार के पैटर्न को प्रदर्शित करते हैं. यह ध्यान रखना प्रासंगिक है कि वीडियो के साथ छेड़छाड़ किए जाने का कोई आरोप नहीं है और इससे भी इनकार नहीं किया गया कि वीडियो में दर्ज बयान यति नरसिंहानन्द ने नहीं दिया है.
जुबैर के इन दावों पर जब हमने उदिता त्यागी से सवाल किया तो वो कहती हैं, ‘‘वीडियो एडिट करके लगाई है. यह बात मैंने पुलिस को भी दिए बयान में भी कही हैं.’’ तो आप यह कह रही है कि जो वीडियो जुबैर ने साझा किया उसमें यति का बयान नहीं है? इसपर त्यागी कहती हैं, ‘‘यह पुलिस का काम है. वो वीडियो की जांच करें.’’
जुबैर ने हाईकोर्ट को बताया है कि नोटिस दिए बिना ही गाजियाबाद पुलिस उनकी गैर-मौजूदगी में बेंगलुरु स्थित आवास पर पहुंची. 27 से 29 अक्टूबर के बीच सिविल ड्रेस में पहुंची गाजियाबाद पुलिस ने उनके परिजनों के साथ-साथ आस पड़ोस के लोगों को भी परेशान किया.
इस बारे में हमने एसीपी श्रीवास्तव से भी सवाल पूछा. जिसके जवाब में उन्होंने कहा कि यह हमारी जांच का विषय है.
ऑल्ट न्यूज़ ने जारी किया बयान
ऑल्ट न्यूज़ ने बयान जारी कर ज़ुबैर का साथ देने का ऐलान किया है. इस बयान में कहा गया है कि हमारे सह-संस्थापक जुबैर के खिलाफ़, यति नरसिंहानंद द्वारा नफरत फैलाने वाले भाषण को उजागर करने वाले एक ट्वीट को लेकर मामला दर्ज किया गया है. यति ऐसा व्यक्ति है जो अपने सांप्रदायिक नफरत भरे भाषणों के लिए कई एफआईआर का सामना कर रहा है.
ज़ुबैर के खिलाफ लागू की गई धारा भारत न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 152 है, जो औपनिवेशिक युग के राजद्रोह कानून का एक नया अवतार है. आलोचकों ने लंबे समय से चेतावनी दी है कि इस प्रावधान का इस्तेमाल असहमति को दबाने और सत्ता में बैठे लोगों की आलोचना करने वालों को निशाना बनाने के लिए किया जा सकता है, ठीक वैसे ही जैसे अतीत में राजद्रोह कानूनों का दुरुपयोग किया गया था. जुबैर का मामला इस बात का एक स्पष्ट उदाहरण है कि कैसे ये आशंकाएं वास्तविकता बन रही हैं.
इस मामले की सुनवाई मंगलवार 3 दिसंबर को होनी है.
मीडिया एसोसिएशन डिजिपब ने भी यूपी पुलिस की कार्रवाई की निंदा की है. इसे “बढ़ता उत्पीड़न” करार देते हुए रद्द करने की मांग की है.