बंटने और कटने के मौसम में बिरसा मुंडा, विक्रांत मेसी और कुछ बकरे

दिन ब दिन की इंटरनेट बहसों और खबरिया चैनलों के रंगमंच पर संक्षिप्त टिप्पणी.

WrittenBy:अतुल चौरसिया
Date:
   

यह बटेंगे तो कटेंगे का मौसम है. दक्षिणपंथी टोले में हर कोई यही राग अलाप रहा है. मणिपुर में लोग बिना बंटे ही क्यों कट रहे हैं, उसका कोई जवाब टोले के पास नहीं है. दूसरी तरफ मिर्जापुर में बकरा कट रहा पर बंट नहीं रहा. इस चक्र में कपरफोड़ौव्वल और झोंटा नोचौउव्वल हो रहा है. 

दिल्ली की हवा खराब हो गई है. इस चक्कर में लोगों की सांस और दिमाग दोनों चकराए हुए हैं. झारखंड के चुनावों ने इसे और मथ रखा है. दिल्ली में भगवान बिरसा मुंडा के नाम चौक की स्थापना कर दी. ठीक उसी जगह जिसका नाम सराय कालेखान बस अड्डा हुआ करता था.

इस टिप्पणी में उसकी क्रोनोलॉजी समझेंगे. सराय काले खां कोई चौक चौराहा नहीं है. यह हाइवेनुमा सड़क के किनारे मौजूद है. जिसे रिंग रोड कहते हैं. बीते दस सालों से सराय काले खां बेतहाशा निर्माण कार्यों से बुरी तरह प्रदूषित है. यहां आकर प्रदूषण नापने की सुई टूट जाती है, यहां का ट्रैफिक खून सुखाने की हद तक जाम रहता है. आज उसी हाइवे के किनारे स्थित मोहल्ले का नाम बिरसा मुंडा चौक कर दिया गया है.

Also see
article imageडंकापति: भैंस टू बहन-बेटी वाया मंगलसूत्र और मिथुन चक्रवर्ती
article imageगुजरात से गिरिराज तक: मक्कारी और मनबढ़ई का राज

Comments

We take comments from subscribers only!  Subscribe now to post comments! 
Already a subscriber?  Login


You may also like