द हिंदू पत्रकार के खिलाफ गुजरात पुलिस की त्वरित कार्रवाई और उनके प्रति बरती जा रही कड़ाई बताती है कि मामला जीएसटी फ्रॉड के अलावा कुछ और है.
मई, 2020 में अहमदाबाद के एक पत्रकार धवल पटेल को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था. वो ‘फेस ऑफ नेशन’ नामक वेबसाइट चलाते थे. पटेल ने एक रिपोर्ट में खुलासा किया था कि विजय रुपाणी को मुख्यमंत्री पद से हटाया जा सकता है. इस पर पटेल को राजद्रोह का आरोप लगाकर गिरफ्तार कर लिया गया.
सोशल मीडिया पर धवल के समर्थन में “मैं भी पत्रकार हूं, मुझे भी गिरफ्तार करो” नाम से ट्रेंड चलने लगा. पटेल की गिरफ्तारी का जमकर विरोध हुआ. मज़बूरन सरकार ने राजद्रोह का मामला वापस ले लिया.
हाल ही में अहमदाबाद की क्राइम ब्रांच ने ‘द हिंदू’ के वरिष्ठ पत्रकार महेश लांगा को गिरफ्तार कर लिया. उनकी गिरफ्तारी जीएसटी फ्रॉड के मामले में हुई. उसके बाद दूसरा मामला गोपनीय दस्तावेजों की चोरी का दर्ज हुआ और तीसरा मामला पैसे के लेनदेन से जुड़ा है.
लांगा फिलहाल जेल में हैं. दिल्ली स्थित प्रेस क्लब ऑफ इंडिया, एडिटर्स गिल्ड समेत कई संस्थाओं ने उनके खिलाफ हुई कार्रवाई पर बयान जारी किया है. इसके विपरीत गुजरात के पत्रकारों में इस गिरफ्तारी पर खामोशी है. एक प्रतिष्ठित संस्था के वरिष्ठ पत्रकार की गिरफ्तारी पर गुजरात के ज़्यादातर पत्रकार चुप हैं, जो बोल रहे वो गोपनीयता की शर्त पर लांगा के खिलाफ ही बोल रहे हैं.
धवल पटेल के समय हुए आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने वाले एक टीवी पत्रकार कहते हैं, ‘‘पटेल की गिरफ्तारी के समय हमें पता था कि उसे उसकी खबर के कारण गिरफ्तार किया गया था. राजनीतिक कयास वाली खबरें तो पत्रकार आये दिन लिखते हैं. धवल का लिखा सच भी हुआ. कुछ ही महीने बाद रूपाणी पद से हटा दिए गए. महेश लांगा के मामले में हमें समझ नहीं आ रहा कि उनपर हुई कार्रवाई, उनके काम के चलते हुई है या किसी और कारण. बीते एक दो साल में उन्होंने कोई ऐसी रिपोर्ट नहीं की है, जिससे सरकार पर कोई असर पड़े. ऐसे में पत्रकार उनके समर्थन में सड़क पर आने से बच रहे हैं.’’
हमने अहमदाबाद में कई पत्रकारों से बातचीत की लेकिन कोई भी ऑन रिकॉर्ड बात करने को तैयार नहीं हुआ. यह गुजरात में सरकारी तंत्र की कार्यप्रणाली, लांगा मामले की जटिलता और पत्रकारों के ऊपर हर वक्त मौजूद अदृश्य दबाव को रेखांकित करता है. परिस्थितियों, उपलब्ध सबूतों के आधार पर हम महेश लांगा की गिरफ्तारी की क्रोनोलॉजी समझते हैं.
पहली एफआईआर
महेश लांगा को सबसे पहले जिस मामले में गिरफ्तार किया गया, उसमें उनका नाम ही नहीं है. सात अक्टूबर की सुबह आठ बजकर 30 मिनट पर आईपीसी की धारा 420, 467, 468, 471, 474, 120B के तहत डीसीपी पुलिस स्टेशन अहमदाबाद में एक एफआईआर दर्ज हुई. यह एफआईआर, जीएसटी विभाग के सीनियर इंटेलिजेंस अफसर हिमांशु शेखर चंद्रा की शिकायत पर दर्ज हुई.
हिमांशु ने अपनी शिकायत सात अक्टूबर को ही असिस्टेंट पुलिस कमिश्नर को भी दी थी. सवाल उठता है कि हिमांशु ने अपनी शिकायत सात अक्टूबर को कितनी सुबह दी कि उसके आधार पर आठ बजकर 30 मिनट पर एफआईआर दर्ज हो गई. हिमांशु ने हमसे इस संबंध में बात करने से इनकार कर दिया.
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