जेल में बैठे लॉरेंस बिश्नोई की 'खुलेआम' साजिशें

लगभग एक दशक तक जेल में रहने के बाद भी लॉरेंस बिश्नोई भारत के सबसे कुख्यात गैंगस्टरों में से एक बन गया है.

WrittenBy:प्रतीक गोयल
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साल 2018- पुलिसकर्मियों से घिरे एक युवक का वीडियो सामने आया. वीडियो में युवक बड़े ही शांत भाव से एक सुपरस्टार (अभिनेता) को जान से मारने की धमकी दे रहा था. युवक का नाम- लॉरेंस बिश्नोई. उसने वीडियो में कहा, "सलमान खान को यहीं जोधपुर में मारेंगे. सबको पता लग जाएगा." 

अपने लड़कपन दिखलाते चेहरे और छरहरे शरीर से बिश्नोई कोई रौबदार व्यक्ति नहीं लगता था. खान के प्रति उसकी दुश्मनी बेतुकी लगती थी, खासकर तब जब यह बात ध्यान में रखी जाए कि 1998 में जब खान पर दो काले हिरणों, जिन्हें बिश्नोई संप्रदाय द्वारा पवित्र माना जाता है- का अवैध रूप से शिकार करने का आरोप लगाया गया था. तब बिश्नोई महज पांच साल का था. (गौरतलब है कि इस मामले में खान को 2016 में सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया था.)

2018 तक, बिश्नोई को जरायम की दुनिया में एक दशक हो चुका था. वह एक अंतरराष्ट्रीय आपराधिक नेटवर्क का सरगना बनने की राह पर था. उसने प्रमुख गैंगस्टरों का ध्यान आकर्षित किया था और ऐसे संपर्क स्थापित कर रहा था, जो बाद में उसे हाई-प्रोफाइल हत्याओं को अंजाम देने में मदद करेंगे. 

साल 2024- 12 अक्टूबर को मुंबई की सड़कों पर बाबा सिद्दीकी की गोली मारकर हत्या कर दी गई.  इस हत्या के कुछ ही घंटों के भीतर, फेसबुक पर एक पोस्ट दिखाई दी. जिसमें सिद्दीकी की हत्या की जिम्मेदारी ली गई और इशारा किया गया कि इस नेता को खान से उनकी नज़दीकी के कारण निशाना बनाया गया. इसे शुबू लोनकर महाराष्ट्र नामक एक हैंडल ने पोस्ट किया. यह हैंडल शार्प शूटर शुभम लोनकर का माना जाता है. 

इस पोस्ट में लिखा था, "सलमान खान, हम यह युद्ध नहीं चाहते थे लेकिन तुमने हमारे भाई की जान ले ली... हमारी किसी से कोई व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं है. हालांकि, जो भी सलमान खान की मदद करेगा, अगर कोई हमारे किसी भाई को मरवाता है, तो हम जवाब देंगे." 

लोनकर ने पहले कहा था कि वह बिश्नोई का सहयोगी है. उसका भाई प्रवीण सिद्दीकी की हत्या के मामले में गिरफ्तार किए गए तीन आरोपियों में से एक है.

अगर बिश्नोई इस हत्या के पीछे है तो उसके अपराधों की लंबी सूची में यह वो ताज़ा अपराध होगा, जिसकी योजना इस गैंगस्टर ने जेल की कोठरी से बनाई और उसे अंजाम दिया.

छात्र राजनीति में शुरुआत

पंजाब के फाजिल्का जिले के दुतारांवाली गांव में 1992 में एक संपन्न परिवार में जन्मे बिश्नोई का बचपन बहुत खास नहीं रहा. दुतारांवाली गांव के सरपंच सुरिंदर कुमार ने बिश्नोई के माता-पिता लोविंदर बिश्नोई और सुनीता देवी की बहुत तारीफ की.

उन्होंने कहा, "उनके पिता और माता दोनों ही साधारण लोग हैं, जिनके पास करीब 120 एकड़ पैतृक जमीन है और वे संपन्न हैं. वे अपने बेटों के लिए एक उज्जवल भविष्य चाहते थे." उनके अलग नाम को समझाने वाली कई कहानियों में से एक यह है कि बिश्नोई की मां ने उनका नाम सनावर के लॉरेंस स्कूल के नाम पर रखा था, ताकि वे उन्हें वहां एक छात्र के रूप में भेज सकें. 

कुमार ने कहा, "लॉरेंस एक समय में अच्छा व्यवहार करने वाला और होशियार लड़का था, लेकिन चंडीगढ़ जाने के बाद सब कुछ बदल गया."

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