गोपाल कांडा की पार्टी हलोपा, बसपा और इनेलो के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही है. लेकिन कुछ लोग इस घोषित गठबंधन में भाजपा का भी अघोषित योगदान मान रहे हैं. ऐसा क्यों, जानने के लिए ये वीडियो रिपोर्ट देखिए.
हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का किसी भी पार्टी से गठबंधन नहीं है. बावजूद इसके वह यहां की 90 में से 89 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. सिरसा, सीट से भाजपा का उम्मीदवार मैदान में नहीं है. यहां से भाजपा उम्मीदवार ने नामांकन के बाद अपना नाम वापस ले लिया.
सिरसा से भाजपा के उम्मीदवार रहे रोहताश जांगड़ा, लंबे समय से भाजपा से जुड़े रहे हैं. नामांकन भरने के बाद शहर के बीचों-बीच जगदेव चौक के पास उन्होंने अपना चुनावी कार्यालय बनवाया है. यहां बड़े-बड़े होर्डिंग्स लगे हैं. जिसमें जांगड़ा को लोकप्रिय उम्मीदवार बताया गया है. जांगड़ा, भाजपा के दो-तीन कार्यकर्ताओं के साथ बैठे हुए थे.
आपने अपना नामांकन क्यों वापस लिया? इस सवाल के जवाब में वो कहते हैं, ‘‘मुझे टिकट मिलेगा इसका अंदाजा नहीं था. रात को पार्टी नेतृत्व का फोन आया कि आपको नामांकन भरना है. मुझे यकीन नहीं हुआ तो सिर्फ अपने भाई को बताया. नामांकन कर दिया. उसके बाद फिर नेतृत्व की तरफ से ही कहा गया कि आप नामांकन वापस ले लें. मैंने वापस ले लिया. हमारे एनडीए के साथ गोपाल कांडा हैं. हमने उनके समर्थन में नामांकन वापस लिया है. अब मैं उनके लिए प्रचार कर रहा हूं.’’
गौरतलब है कि गोपाल कांडा की हरियाणा लोकहित पार्टी (हलोपा), बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) और इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) का गठबंधन है. वहीं, भाजपा ने गोपाल कांडा के समर्थन में सीट छोड़ दी. तो आखिर ये गठबंधन किसके-किसके बीच है? इस पर जांगड़ा कहते हैं, ‘‘इनेलो, बसपा, भाजपा और कांडा साहब, सबका मकसद एक है, कांग्रेस को हराना. सब साथ ही हैं.’’
जांगड़ा के ही दफ्तर में हमारी मुलाकात गोपाल कांडा की पार्टी हलोपा के सिरसा संगठन सचिव प्रदीप गुप्ता से हुई. जांगड़ा की बातों ने भाजपा और इनेलो-बसपा- हलोपा के अघोषित गठबंधन की तरफ इशारा किया लेकिन गुप्ता का कह और स्पष्ट कर देता है.
गुप्ता बताते हैं, ‘‘हरियाणा का भविष्य भाजपा के ही साथ है. हलोपा और भाजपा के कार्यकर्ता साथ-साथ मिलकर सिरसा सीट जीतकर मोदी जी को देंगे.’’ लेकिन आपका गठबंधन तो बीएसपी और इनेलो के साथ है? इसपर गुप्ता कहते हैं, ‘‘कांडा भाई साहब तो भाजपा के साथ जाएंगे. बिल्लू भाई साहब (अभय चौटाला को सिरसा में इस नाम से भी जाने जाते हैं) और बसपा भी भाजपा को ही मदद करेंगी.’’
इनेलो वाले, गोपाल कांडा का प्रचार कर रहे हैं तो कांडा और उनके समर्थक इनेलो का. वहीं, कांडा के समर्थन में भाजपा ने अपना उम्मीदवार वापस ले लिया है. अभय चौटाला के बेटे अर्जुन चौटाला रानियां से चुनावी मैदान में हैं. उनके प्रचार के लिए गोपाल कांडा के भाई और भाजपा नेता गोबिंद कांडा पहुंच रहे हैं. यह अजीब सा उलझा हुआ रिश्ता है. जिस कारण मतदाताओं के मन में सवाल उठ रहे हैं कि किसका, किससे गठबंधन है?
न्यूज़लॉन्ड्री की टीम ने सिरसा और ऐलनाबाद के गांवों में रिपोर्टिंग के दौरान पाया कि लोग मान रहे हैं कि भाजपा और इनेलो का भी अनकहा गठबंधन है. ऐलनाबाद में सैकड़ों लोगों से हमने बात की. लोगों का मानना है कि भाजपा ने इनेलो को फायदा पहुंचाने के लिए ऐलनाबाद में अभय चौटाला और रानिया से चौटाला के बेटे के खिलाफ कमज़ोर उम्मीदवार उतारा है.
ऐलनाबाद शहर में मैकेनिक का काम करने वाले संजय वर्मा बताते हैं, ‘‘मेरा ही नहीं ज़्यादातर लोगों का मानना है कि इनेलो और भाजपा का अंदरखाने समझौता है. यहां से भाजपा से मीनू बेनीवाल टिकट मांग रहे थे. वो समाजसेवी है. अगर भाजपा उन्हें टिकट देती तो बिल्लू भाई साहब के लिए चुनाव आसान नहीं होता. अब तो भाजपा ने अमीर चंद्र मेहता को टिकट दिया है. वो टक्कर नहीं दे पाएंगे. लड़ाई अब कांग्रेस और इनेलो में है.’’
ऐसे ही रनिया में भाजपा से रणजीत सिंह चौटाला टिकट मांग रहे थे. वो भाजपा सरकार में मंत्री भी थे. हिसार से उन्हें भाजपा ने लोकसभा का टिकट दिया था लेकिन वो हार गए हैं. चौटाला की जगह भाजपा ने यहां से शीशपाल कंबोज को टिकट दिया है. ग्रामीणों की मानें तो वो असरदार नेता नहीं हैं.
हालांकि, ऐलनाबाद से भाजपा के उम्मीदवार अमीर चंद मेहता इससे इनकार करते हैं. वो कहते हैं कि हमारा गठबंधन सिर्फ सिरसा में है. कांडा यहां मेरे खिलाफ प्रचार करने आ रहा है. वो अपनी बात से हट रहा है. हमारा गठबंधन सिर्फ सिरसा में है.
25 सितंबर को ऐलनाबाद शहर के रामलीला मैदान में गोपाल कांडा, अभय चौटाला वोट मांगने पहुंचे थे. वहां मंच से बीते दस साल से सत्ता में काबिज भाजपा पर कांडा ने एक शब्द भी नहीं बोला. वहीं, अभय चौटाला का भी निशाना भाजपा से ज़्यादा कांग्रेस और हुड्डा पर ही था.
मंच से चौटाला ने भाजपा के साथ गठबंधन से इनकार किया लेकिन मतदाताओं, भाजपा और हलोपा के नेताओं ने जो कहा था उसी के आधार पर हमने चौटाला से सवाल किया. जिसपर वो नाराज़ हो गए. सवाल का जवाब देने की बजाय- रिपोर्टर को दिल्ली जाने की सलाह दे दी.
देखिए ये रिपोर्ट.