दिन ब दिन की इंटरनेट बहसों और खबरिया चैनलों के रंगमंच पर संक्षिप्त टिप्पणी.
हमारे देश का राष्ट्रीय प्रसारणकर्ता दूरदर्शन न्यूज़ दिवालिया हो चुका है. वैसे तो यह हमेशा से ही सरकार का प्रचारतंत्र रहा है, लेकिन इसकी एक-दो खासियतें रही हैं. यह अदायगी में सौम्य और संतुलित रहता था. विपक्ष के प्रति दरबारी मीडिया के हुड़कचुल्लुओं की तरह दुर्भावना से ग्रस्त होकर कुकुरझौंझौं नहीं करता था. उत्तेजना और सांप्रदायिक शब्दावली के लिए यहां जगह नहीं थी. अब यह सब गई-बीती बातें हैं. मोदी सरकार में नफरत और नकारात्मकता के ईंधन से पैदा हुई दंगाई मीडिया की भीड़ में दूरदर्शन भी पूरी तन्मयता से भागीदारी कर रहा है.
डीडी न्यूज़ के एक एंकर हैं अशोक श्रीवास्तव. गत दिनों वे अमेरिका में रहने वाले एक पत्रकार पर हुए तथाकथित हमले को लेकर चिंतित हो गए और इस चिंता में उन्होंने एक ऐतिहासिक आंदोलन प्रेस क्लब के सामने किया.
अशोक श्रीवास्तव के इस ऐतिहासिक आंदोलन में सूचना और प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शरीक हुए. हमने इस घटना पर ध्यान दिया तो पाया कि इंडिया टुडे समूह के लिए अमेरिका में काम करने वाले पत्रकार रोहित शर्मा ने आरोप लगाया कि राहुल गांधी के अमेरिका दौरे के दौरान उनकी एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उनके ऊपर हमला हुआ.
लेकिन यह समझ नहीं आया कि जो घटना प्रेस कॉन्फ्रेंस में घटी उसका कोई चश्मदीद क्यों नहीं है? कोई वीडियो क्यों सामने नहीं आया? बंदा घटना के सात दिन बात शिकायत लेकर सामने क्यों आया? और जब शिकायत पर सवाल उठे तब चुप्पी क्यों साध गया. जवाब कम, सवाल ज्यादा की स्थिति में हमने सोशल मीडिया को खंगाला तो हमारे हाथ एक खजाना लगा. उसे जानने के लिए यह टिप्पणी देखिए.