फरवरी 17, 2017 की रात केरल में एक बड़ी अभिनेत्री को अगवा किया गया और जिस शहर ने उसे स्टार बनाया था, उसी की सड़कों पर घूमती हुई एक गाड़ी में उसका यौन शोषण हुआ. इस कहानी में हम जानेंगे कि कैसे इस एक अपराध ने मलयालम फिल्म जगत की सड़ांध को उजागर किया.
सीधे मुद्दे पर आते हुए मणिकंदन ने कहा, "मैं आरोपी नंबर 3 हूं. उसने जो उसके साथ किया मैंने केवल देखा, मैंने नहीं..."
केरल के कोच्चि में फरवरी की एक गर्म सुबह मैं मणि से मिली. उसने अपना ऑटो रिक्शा खड़ा किया, अपनी मुंडू (धोती) मोड़ी और मुझे ध्यान से देखा. मैंने कहा एक रेस्तरां में चलते हैं ताकि हम बैठ कर बात कर सकें.
लगभग छह फीट लंबे मणि की खाकी वर्दी की आस्तीन उसके बाइसेप्स पर कुछ ज्यादा ही कसी हुई थी. उसके दोनों कानों पर तीन छेद थे, जिनमें बुंदे चमक रहे थे. उसके गले में एक भारी चांदी की चेन लटकी हुई थी. मणि की व्हाट्सएप डिस्प्ले पिक्चर में उसके कंधे पर बैठा एक चील कैमरे को घूर रहा था.
मणि के दो छोटे बच्चे हैं. उसकी मां एक साल पहले चल बसीं, उनकी तस्वीर उसके ऑटो के हैंडलबार के ठीक पीछे लगी हुई थी. जैसे ही हम रेस्तरां में गए, मणि ने ऐसे बात करना शुरू किया जैसे उसकी मुझसे पुरानी पहचान हो. मणि ने कहा, "चूंकि मैं आजकल लोगों को सलाह बहुत देता हूं, इसलिए मैं आपको भी एक सलाह दूंगा -- अगर आप सड़क पर किसी को मरते हुए भी देखें, तो उसे बचाइए मत. मैं तो नहीं बचाऊंगा."
हमारे बैठते ही उसने जोर देकर कहा कि हम दोनों कुछ खाएं. "मेरी पत्नी ने मुझे आपसे बात करने की हिम्मत दी."
यौन उत्पीड़न के एक हाई-प्रोफाइल मामले में लगभग पांच साल जेल में बिताने के बाद, 2021 में मणि को जमानत मिली.
हालांकि, मणि ने खुद को निर्दोष बताया, लेकिन पुलिस जांच में पाया गया कि उसने पांच अन्य लोगों के साथ मिलकर एक प्रसिद्ध फिल्म अभिनेत्री का अपहरण करने और उसका यौन उत्पीड़न करने की आपराधिक साजिश रची थी.
फरवरी 17, 2017 की रात को हुए इस अपराध में मलयालम सिनेमा के कुछ सबसे बड़े नाम शामिल थे. एक छोर पर थीं लोकप्रिय दक्षिण भारतीय अभिनेत्री गायत्री (बदला हुआ नाम), जिनके साथ यह अपराध हुआ था. दूसरी ओर थे सुपरस्टार दिलीप, जिन पर अपराध की भयावह साजिश रचने का आरोप था.
सात साल पहले, मणि जल्द से जल्द अपनी जिंदगी बेहतर बनाना चाहता था. उसके लिए इसका मतलब था उसके अपने शहर कोच्चि में सत्ता के करीब पहुंचना.
जिस तरह तिरुवनंतपुरम केरल का राजनैतिक केंद्र है, उसी तरह कोच्चि में मलयालम फिल्म जगत का ग्लैमर बसता है.
एक बार एक दोस्त ने मुझसे कहा था कि कोच्चि एक ऐसा शहर है जो हमेशा शहर बनना चाहता है. हर कोई कुछ बनना चाहता है. हर कोई किसी फिल्म की पटकथा लिख रहा है या किसीको जानता है जो ऐसा कर रहा है. हर कोई किसी अभिनेता का दोस्त होता है या खुद ही अभिनेता होता है. हर कोई हमेशा कोच्चि से बाहर निकलने की कोशिश कर रहा होता है या कोशिश करने वाले को जानता है.
मणि की महत्वाकांक्षा उसे भी फिल्मों तक ले गई. 2014 के आसपास उसे मलयालम फिल्म उद्योग में निर्माताओं और अभिनेताओं के ड्राइवर का काम मिला. तब उसके बहुत सारे दोस्त थे - अन्य ड्राइवर, कलाकार और इंडस्ट्री के लोग जिनके साथ वह आता-जाता था या रात को बैठकर पीता था.
अब वह उनमें से ज्यादातर के संपर्क में नहीं है. मणि ने कहा, "मैं उठता हूं, काम पर जाता हूं और घर आता हूं," और खुद को याद दिलाता रहता हूं कि किसी की मदद नहीं करनी चाहिए.
मैंने उससे पूछा कि उसे ऐसा क्यों लगता है.
मणि ने कहा कि यह सब 17 फरवरी, 2017 की रात लगभग 7 बजे शुरू हुआ, जब उसे एक फोन आया जो उसे "कभी उठाना ही नहीं चाहिए था".
यह कॉल सुनील का था, जिसे ज्यादातर लोग 'पल्सर सुनी' के नाम से जानते हैं. वह भी फिल्म इंडस्ट्री में ड्राइवर के तौर पर काम करता था. जिन लोगों से मैंने बातचीत की, उनमें से कई ने कहा कि उसका यह नाम इसलिए पड़ा क्योंकि वह केवल बजाज की पल्सर बाइकें चुराने के लिए मशहूर था. जब मैं पल्सर सुनी की मां से मिली, तो उनका दावा था कि उसे पल्सर बाइक बहुत पसंद थी, जिसके चलते उसे यह उपनाम मिला.
मणि ने बताया कि पल्सर सुनी को एक टेंपो ट्रैवलर छोड़ना था और उसने उसे साथ आने के लिए कहा. जब मणि अपने घर से लगभग 20 मिनट की दूरी पर स्थित अंगमाली में एडलक्स कन्वेंशन सेंटर पहुंचा तो पल्सर सुनी एक दूसरे ड्राइवर दोस्त के साथ उसका इंतजार कर रहा था.
मणि ने देखा कि पल्सर सुनी काफी परेशान लग रहा था. "वह तेजी से इधर-उधर टहल रहा था और किसी को मैसेज किए जा रहा था."
वहां से लगभग 90 किलोमीटर दूर, मार्टिन एंटनी का फ़ोन लगातार बज रहा था. मार्टिन भी फिल्म इंडस्ट्री में ड्राइवर था. उस रात लगभग 7 बजे मार्टिन ने गायत्री को पिकअप किया था जो त्रिशूर में रहती थीं. उन्हें एक आगामी फिल्म के लिए प्रमोशनल गाना रिकॉर्ड करने के लिए त्रिशूर से कोच्चि जाना था.
रात 8.30 बजे तक इंडस्ट्री के दो और ड्राइवर पल्सर सुनी के पास पहुंचे. उन्होंने मणि को बताया कि वे इंतजार कर रहे थे कि मार्टिन कब उन्हें बताएगा कि वह उनके पास ही पहुंच चुका है.
अगले दो घंटों के दौरान, अलग-अलग स्तर पर सिनेमा जगत से जुड़े इन सात लोगों -- गायत्री, पल्सर सुनी, मणि, मार्टिन, सलीम, प्रदीप और विजेश -- की जिंदगी इस तरह बदलने वाली थी जिसकी उन्होंने कल्पना भी नहीं की थी. इनमें बस गायत्री ही थीं जिन्होंने ऐसा जानबूझकर नहीं किया.
उस रात की गूंज पूरे केरल में सुनाई दी.
द न्यूज मिनट ने इस मामले से जुड़े सार्वजनिक रूप से उपलब्ध अदालती दस्तावेजों के लगभग 900 पृष्ठ खंगाले. पिछले छह महीनों में हमने लगभग 30 लोगों का इंटरव्यू लिया -- मलयालम फिल्म उद्योग के अभिनेता, निर्देशक, निर्माता और तकनीशियन; पुलिस अधिकारी; और दिलीप समेत सभी आरोपियों का भी. सारी कड़ियां जोड़कर हमने बताया है कि कैसे उस रात हुए अपराध, और उसके पहले और बाद में हुई घटनाओं ने मलयालम फिल्म उद्योग को बेनकाब, विभाजित और परेशान किया है.
इस मामले के मूल में हैं "खुद को महान समझनेवाला" एक सुपरस्टार, एक महिला अभिनेता जिसने चुप रहने से इनकार कर दिया, और छह भाड़े के अपराधी.
लेकिन कहानी इन्हीं पर खत्म नहीं होती.
हालांकि, इंडस्ट्री की कई महिलाएं दृढ़ता से गायत्री के साथ खड़ी रहीं, लेकिन कई शक्तिशाली पुरुषों ने हर कीमत पर एक-दूसरे को बचाने की कोशिश की. राज्य को तुरंत कार्रवाई करने के लिए मजबूर होना पड़ा, लेकिन बाद में कुछ निर्णयों को दबा दिया गया.
इस दौरान केरल के लोगों के सामने लगातार परस्पर विरोधी नैरेटिव आते रहे: क्या यह एक नायक को बदनाम करने का मामला था, या एक ऐसे नायक के बदले का जिसे लगा कि उसे एक महिला ने अपमानित किया?
17 फरवरी की उस रात लगभग 9 बजे जैसे ही गायत्री की कार इंतज़ार कर रहे पांचों लोगों के पास से गुजरी, पल्सर सुनी के फोन पर मार्टिन का मैसेज आया. सिग्नल मिल चुका था.
पल्सर सुनी ने टेम्पो ट्रैवलर की स्टेयरिंग संभाली, और मणि सहित चार अन्य लोग उसमें चढ़ गए. सुनी ने तेजी से गाड़ी चलाई और कुछ ही मिनटों में जानबूझकर गायत्री की गाड़ी को टक्कर मार दी.
मणि ने कहा कि वह खुद ब खुद टेंपो से बाहर निकल आया और ड्राइवर मार्टिन से माफी मांगी, उसने दावा किया कि वह तब मार्टिन से परिचित नहीं था.
मार्टिन ने मणि से कहा कि कार में बैठी "मैडम से बात करो".
पल्सर सुनी के साथ मौजूद अन्य ड्राइवरों में से एक विजेश तुरंत पीछे की सीट पर बैठ गया और मणि से भी अंदर बैठने के लिए कहा. मणि ने बताया, "अंदर मैं गायत्री को देखकर दंग रह गया. इससे पहले मैंने उन्हें केवल पर्दे पर ही देखा था".
मलयालम, कन्नड़, तमिल और तेलुगु में 90 से अधिक फिल्में कर चुकीं गायत्री एक प्रसिद्ध अभिनेत्री हैं जिन्होंने कई पुरस्कार जीते हैं.
"उन्होंने मुझसे पूछा, 'क्या तुम नहीं जानते कि मैं कौन हूं?' मैं थोड़ा हंसा और कहा, 'बेशक, आपको कौन नहीं जानता होगा मैडम?'' मणि ने मुस्कुराते हुए उस बातचीत का जिक्र किया.
मणि ने कहा कि कुछ क्षणों के आश्चर्य के बाद उसे उस घटना की विसंगति का अहसास हुआ. विजेश और वह गायत्री के बगल में थे जबकि मार्टिन गाड़ी चलाने लगा. कार में अब गायत्री, मार्टिन, मणि और विजेश थे.
गायत्री ने पुलिस को बताया कि जब वे लोग कार में दाखिल हुए, तो उन्हें लगा कि वे दुर्घटना से नाराज थे और मार्टिन से बात करने के लिए अंदर आए थे. लेकिन उन्हें झटका तब लगा जब उन दोनों ने उन्हें पकड़ लिया और कोई भी हरकत करने से रोकने लगे.
पल्सर सुनी और दो अन्य लोग टेंपो ट्रैवलर में गायत्री की कार का पीछा कर रहे थे.
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