कोलकाता हाईकोर्ट ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल डॉ. संदीप घोष की तरफ से उनके खिलाफ चल रही खबरों पर रोक लगाने से मना कर दिया है.
कोलकाता हाई कोर्ट ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल डॉ. संदीप घोष की याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें उन्होंने हाईकोर्ट से मीडिया संस्थानों को उनके खिलाफ मीडिया ट्रायल का आरोप लगाते हुए खबरें प्रसारित करने से रोकने का आदेश देने की मांग की थी.
जस्टिस शम्पा सरकार की सिंगल बेंच ने डॉ. घोष की याचिका को अस्वीकार करते हुए मीडिया को 'अत्यधिक नाटकीयता' से बचने और व्यक्तिगत राय की जगह तथ्यात्मक समाचार प्रस्तुत करने की सलाह दी. अदालत ने स्पष्ट किया कि समाचार रिपोर्टों को निष्पक्ष और मुद्दे पर रहना चाहिए.
कोर्ट ने कहा कि "मीडिया यह सुनिश्चित करता है कि व्यक्ति (नागरिक समाज के सदस्य) राष्ट्रीय महत्व के मामले में भाग लें. इस मामले में घटना को वैश्विक महत्वता मिली है. इस प्रकार, सूचना का अधिकार इस मामले में मौलिक होगा, क्योंकि नागरिक समाज का प्रत्येक सदस्य प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से घटना से गंभीर रूप से प्रभावित हुआ है.
मंत्रालय ने कहा कि इस समय मीडिया पर कोई पाबंदी लगाने की जरूरत नहीं है, बशर्ते वे अपनी जिम्मेदारी निभाते रहें. उन्होंने कहा कि जांच प्रक्रिया के संबंध में समाचार तब तक जारी किया जाएगा, जब तक याचिकाकर्ता की भूमिका पर किसी पूर्व निर्णय या टिप्पणी से बचा जाए. समाचारों को मुद्दे पर और तथ्यात्मक होना चाहिए, न कि मीडिया की व्यक्तिगत राय का हिस्सा. मीडिया को जांच एजेंसी की भूमिका नहीं निभानी चाहिए और उन्हें पूछताछ की ज़्यादा नाटकीयता से बचना चाहिए.
डॉ. संदीप घोष ने अदालत का दरवाजा खटखटाते हुए आरोप लगाया कि मीडिया संस्थान 9 अगस्त, 2024 को आरजी कर अस्पताल में एक छात्रा के बलात्कार और हत्या की दुर्भाग्यपूर्ण घटना से उनका नाम जोड़कर झूठी और अवास्तविक खबरें फैला रहे हैं.
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि इन समाचार प्रकाशनों और सोशल मीडिया पोस्टों के कारण जनता का गुस्सा भड़क गया, उनके निजता के अधिकार का उल्लंघन हुआ और उनकी प्रतिष्ठा को भी नुकसान पहुंचा है.
अदालत ने याचिकाकर्ताओं के निजता के अधिकार को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और मीडिया के व्यापारिक अधिकारों के बराबर मानते हुए कहा कि डॉ. संदीप घोष के बारे में खबरों की रिपोर्टिंग पर मीडिया को रोकने के लिए कोई स्पष्ट आदेश जारी नहीं किया जा सकता.
अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि घोष किसी भी रिपोर्टिंग से परेशान होते हैं, तो वे संबंधित अधिकारियों से संपर्क करने के लिए आज़ाद हैं.
इन टिप्पणियों के साथ, अदालत ने मीडिया संस्थाओं को अपनी रिपोर्टिंग में तथ्यात्मक और निष्पक्ष रहने की याद दिलाते हुए याचिका का निपटारा कर दिया.
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