विधायक का आरोप है कि उनकी छवि खराब करने के मकसद से जिले में हो रहे अवैध खनन से उनका नाम जोड़कर खबरें प्रसारित की जा रही हैं.
उत्तर प्रदेश के झांसी जिले की गरौठा विधानसभा क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी के विधायक जवाहर लाल राजपूत ने पांच स्थानीय यूट्यूबर पत्रकारों को 50-50 करोड़ रुपये मानहानि का नोटिस भेजा है. नोटिस में विधायक की ओर से कहा गया है कि उनकी छवि खराब करने के मकसद से जिले में हो रहे अवैध खनन से उनका नाम जोड़कर डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म पर खबरें प्रसारित की जा रही हैं.
जिन पत्रकारों को यह नोटिस भेजा गया है, उनमें इलेक्ट्रॉनिक मीडिया क्लब झांसी के अध्यक्ष पुष्पेंद्र यादव, आशुतोष नायक, धीरेंद्र रायकवार, डीकू जैन और रामनरेश शामिल हैं. पत्रकारों ने रविवार 11 अगस्त को शहर में विधायक के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराया. इस विरोध में झांसी के अन्य पत्रकार भी अपनी शर्ट के बटन खोले नारे लगाते हुए नजर आए. इस दौरान पत्रकारों ने एक जुलूस निकाला और हाथ में कटोरा लेकर भीख मांगते दिखे.
पत्रकारों का कहना है कि विधायक ने उनसे 50-50 करोड़ रुपये यानी 250 करोड़ रुपये की मानहानि मांगी है. इतना पैसा तो उनके पास है नहीं इसलिए वो ये पैसा विधायक को देने के लिए शहरभर में कटोरा लेकर भीख मांग रहे हैं.
दरअसल, इसकी शुरुआत पुष्पेंद्र यादव द्वारा अपने यूट्यूब चैनल टाइम समाचार पर अवैध खनन की एक खबर चलाने से हुई. इनके चैनल पर करीब 15 हजार सब्सक्राइबर हैं. उन्होंने 12 जून को यह वीडियो रिपोर्ट पब्लिश की. इस बारे में हमने इलेक्ट्रॉनिक मीडिया क्लब झांसी के अध्यक्ष पुष्पेंद्र यादव से बात की.
यादव कहते हैं कि यहां अवैध खनन के कामों में गरौठा विधानसभा क्षेत्र से विधायक जवाहर लाल राजपूत और उनके काफी लोग शामिल हैं. सबसे पहले मुझे नोटिस भेजा गया है. इसके बाद जिसने भी खनन संबंधी यह खबर चलाई है उन्हें भी यह नोटिस भेजा गया है.
वे कहते हैं कि इससे पहले भी हमने और अन्य पत्रकारों ने अवैध खनन को लेकर खबरें प्रकाशित की हैं. बीते दिनों कुछ पत्रकार जब अवैध खनन की कवरेज के लिए मौके पर पहुंचे तो विधायक ने इन्हें पिटवाया था. इस घटना की खबर को हमने प्रकाशित किया तो अब इससे नाराज होकर विधायक नोटिस भिजवा रहे हैं.
वे बताते हैं, “पूरे बुंदेलखंड में सबसे ज्यादा खनन गरौठा विधानसभा में होता है. इससे पहले जितने भी विधायक रहे हैं चाहें वो सपा के हो या बीजेपी के सब इस अवैध खनन में सराबोर रहे हैं. अब जब ये विधायक बने हैं तब से ये कर रहे हैं.”
कैसे होता है अवैध खनन
“खनन के लिए जो टेंडर होता है, वह नदी के आसपास का होता है, लेकिन एनजीटी के नियमों को ताक पर रखकर बालू उठाई जाती है. नियम के मुताबिक, पानी के अंदर से बालू नहीं निकाल सकते हैं, लेकिन गरौठा के विधायक अपने रसूख के चलते ऐसा करते हैं. इसको लेकर 4-5 महीने पहले भी मैंने खबर चलाई थी. इसके बाद इनके 22 ट्रक, 11 पोर्कलैंड मशीनें व अन्य सामान सील हुआ था. तब इनका यह काम बंद हो गया था.” यादव कहते हैं.
यादव आगे बताते हैं, “इसके बाद इनका काम फिर से शुरू हो गया. जब पत्रकारों को इस बात की जानकारी हुई तो वह कवर करने पहुंचे थे. तब पत्रकारों की इनके पीआरओ नरेंद्र राजपूत और बेटे राहुल राजपूत ने पिटाई की. जिसमें एक पत्रकार का हाथ भी टूट गया था और उनकी गाड़ी तोड़ दी थी. पत्रकारों को बंधक बनाकर पीटा गया था. ये करीब दो महीने पुरानी घटना है. पीआरओ के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज हुई थी.”
22 मई को दर्ज एफआईआर
यह एफआईआर राष्ट्रीय सहारा समाचार पत्र के संवाददाता राजेन्द्र बुंदेला ने दर्ज कराई है. रिपोर्ट के मुताबिक, इन्हें जानकारी मिली थी कि ढेरा घाट एरच पर कोई लिफ्चर से नदी में गिर गया है. सूचना पाकर वह अपने पत्रकार साथियों के साथ मौके पर पहुंचे तो वहां अवैध बालू खनन का कार्य चल रहा था.
आरोप है कि इसके बाद कवरेज के दौरान वहां मौजूद 20-25 लोगों ने घेर कर धारदार हथियार व असलहों की बटों से मारपीट की. जबकि इनके एक साथी कृष्ण कुमार सोनी को सफेद रंग की स्कॉर्पियो गाड़ी में अगवा करके ले गए. आरोपियों में विधायक के पीआरओ नरेंद्र राजपूत भी शामिल थे.
आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 506, 504, 392, 427, 323, 148, 147 के तहत एरच थाने में मुकदमा दर्ज हुआ है.
इस बारे में हमने राजेंद्र बुंदेला से भी बात की. वे कहते हैं, “हां मैंने एफआईआर दर्ज कराई है. पुलिस कह रही है कि चार्जशीट फाइल करेंगे. हालांकि, अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है.”
पुष्पेंद्र यादव कहते हैं कि कुछ दिन पहले भी इनके ही गांव के एक घाट पर जो कि एक राजपूत समाज का व्यक्ति चलाता है. उसके पास जाकर इन्होंने मुफ्त में 10 ट्रक भरने को कहा. मना किया तो इन्होंने उसकी बहुत पिटाई की. एसएचओ गए तो उन्हें भी गालियां दी. इसके बाद भी इनके खिलाफ ककरवई थाने में एफआईआर दर्ज हुई.
नोटिस पर यादव कहते हैं, “देखिए जितनी हैसियत है उसके आधार पर तो मानहानि हो सकती है लेकिन उससे ज्यादा कैसे हो सकती है. अब हम मानहानि के 250 करोड़ रुपये इकट्ठा करने के लिए कटोरा लेकर भीख मांग रहे हैं क्योंकि विधायक जी का अवैध खनन से पेट नहीं भरा है. इसलिए हमसे पैसे मांग रहे हैं.”
यादव दावा करते हैं कि वे यहां टीवी9 के स्ट्रिंगर भी थे. विधायक ने चैनल में शिकायत कर दी तो वहां से फोन भी आया कि आप अवैध खनन की खबरें क्यों चला रहे हैं, मैंने कहा कि मैं तो अपने प्लेटफॉर्म पर चला रहा हूं न कि टीवी9 पर. इसके बाद से मैं टीवी9 के लिए काम नहीं कर रहा हूं.
पत्रकारों को यह नोटिस सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता सीमा पटनाहा सिंह के माध्यम से भेजा गया है.
पटनाहा न्यूज़लॉन्ड्री से कहती हैं, “जिन पत्रकारों ने यह खबर प्रकाशित की है, उन्होंने बिना किसी प्रमाण और सोर्स के खबरें प्रकाशित की हैं. एक व्यक्ति जो कि विधायक है, पब्लिक फिगर है. भले उनकी निजी संपत्ति इतनी न हो लेकिन उनकी खुद की समाज में एक वैल्यू है. उनका नाम छापने से पहले पत्रकारों को सोचना चाहिए था. मैं वकील हूं न पत्रकारों से हमारा कुछ है न ही विधायक से. जो भी हमारे पास आएगा, अपनी बात रखेगा उसके आधार पर हम काम करेंगे. हमने पत्रकारों को खेद प्रकट करने का टाइम दिया था कि गलत खबर चल गई है लेकिन अभी तक नोटिस का कोई जवाब नहीं आया है.”
एक यूट्यूबर के लिए 50 करोड़ रुपये की मानहानि का नोटिस ज्यादा नहीं है? वो कितना ही कमाते होंगे? इस सवाल पर वे कहती हैं कि देखिए उनकी कितनी वर्थ है वो तो मैं नहीं जानती हूं लेकिन एक विधायक की तो 50 करोड़ है जबकि ये भी मैंने बहुत कम रखी है.
वे आखिर में कहती हैं कि अगर पत्रकारों की ओर से नोटिस का कोई जवाब नहीं आता है तो फिर हम आगे के लिए कोर्ट का रुख करेंगे.
हालांकि, विधायक की वकील सीमा पटनाहा सिंह ने कहा कि नोटिस केवल चार पत्रकारों को भेजा गया है, जबकि एक अन्य स्थानीय स्वतंत्र पत्रकार दीकू जैन ने दावा किया कि उन्हें भी नोटिस भेजा गया था, लेकिन उन्हें यह नहीं मिला.
ये नोटिस पाने वालों में से आशुतोष नायर भी एक हैं. नायर बुंदेलीवार्ता नाम का यूट्यूब चैनल चलाते हैं. इन्होंने भी अपने प्लेटफार्म पर यह खबर प्रकाशित की थी. जिसके चलते विधायक ने इन्हें भी नोटिस भेजा है.
नायक न्यूज़लॉन्ड्री से नायक कहते हैं, "अगर हम अपनी सारी प्रॉपर्टी भी बेच देंगे, तब भी हमारे पास इतने पैसे नहीं होंगे. नोटिस मिलने के बाद हम साथ बैठे और सोचा कि क्या करें. हमारे पास इतनी रकम देने का कोई रास्ता नहीं था. असल में, कोई भी पत्रकार इतनी रकम नहीं दे सकता था. इसलिए हमने सोचा कि हमें कोर्ट जाना चाहिए. और हम इस मामले को सार्वजनिक रूप से लड़ेंगे ताकि जिस जनता के लिए हम रिपोर्टिंग करते हैं, उसे भी पता चले."
"मैंने अपने चैनल की शुरुआत अक्टूबर 2022 में की थी, मुझे एहसास हुआ कि अख़बार और टीवी चैनल में अब रिपोर्ट नहीं कर सकते कि क्या हो रहा है. मैं वास्तविक घटनाओं को प्रकाश में लाना चाहता था." उन्होंने कहा.
वे आगे कहते हैं कि जब आप ग्राउंड जीरो से रिपोर्ट करते हैं तो हमेशा खतरा बना रहता है. हमें इसलिए निशाना बनाया जा रहा है.
वहीं, पत्रकार धीरेंद्र रायकवार कहते हैं, "हमारे पास अपनी स्टोरी हटाने और माफ़ी मांगने का विकल्प है. लेकिन अगर हम ऐसा करते हैं, तो रिपोर्ट का पूरा मतलब ही खत्म हो जाएगा, है न? शायद 100 से ज़्यादा स्टोरीज़ की गई हैं, जिनमें विधायक को अच्छी छवि में दिखाया गया है, हम विधायकों द्वारा किए गए अच्छे कामों को भी प्रमुखता से दिखाते हैं. तो हम ये स्टोरीज़ क्यों नहीं कर सकते?"
रायकवार न्यूज़ 30 एक्सप्रेस टीवी नाम से एक यूट्यूब चलाते है, उनके करीब 5 हजार सब्सक्राइबर हैं.
हालांकि, यह पहला मौका नहीं था जब राजपूत विवादों से घिरे हैं. बीते साल उनके बेटे ने कथित तौर पर एक पुलिस अधिकारी को गाली दी थी. जबकि उससे पहले राजपूत ने खुद एक पुलिसकर्मी पर हमला कर दिया था. पुलिसकर्मी का कसूर था कि वाहन चैकिंग के दौरान उसने कार रोकी थी.
वहीं, जनवरी 2022 में उन्होंने गलती से अपनी ही पार्टी के बारे में गलत बयान दिया था. इसके एक महीने बाद जब उनके पुत्र, पिता के चुनाव प्रचार के लिए क्षेत्र में निकले तो उनकों वहां से लोगों ने खदेड़ दिया था.
न्यूज़लॉन्ड्री ने इस मामले में विधायक जवाहर लाल राजपूत से भी संपर्क किया है. जवाब मिलने पर यह रिपोर्ट अपडेट कर दी जाएगी.
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