69 हजार शिक्षक भर्ती: आरक्षण में गड़बड़ी पर क्यों बदले योगी आदित्यनाथ के सुर

उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव से पहले योगी आदित्यनाथ और उनके तत्कालीन बेसिक शिक्षा मंत्री ने माना था कि शिक्षक भर्ती में आरक्षण नीतियों की अवहेलना हुई है. 

WrittenBy:बसंत कुमार
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शिक्षक अभ्यर्थी नियुक्ति पत्र का इंतजार कर रहे थे लेकिन इस बीच सीएम के बयान ने उनकी चिंता बढ़ा दी है.

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के इको गार्डन में 600 दिनों से ज़्यादा समय तक प्रदर्शन कर चुके करीब 250 से ज़्यादा शिक्षक अभ्यर्थी नियुक्ति पत्र का इंतजार कर रहे थे. प्रदेश की योगी सरकार के वादे के मुताबिक, इन्हें 2022 के जनवरी-फरवरी में ही नियुक्ति मिलनी थी. 

इन अभ्यर्थियों ने सरकार के हर आम और खास से गुहार लगाई लेकिन कोई सुनने वाला नहीं था. इसी बीच प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ का ऐसा बयान आया कि ये फिर से निराशा में डूब गए हैं. योगी आदित्यनाथ ने जो कहा वो उनके और उनकी सरकार के तत्कालीन बेसिक शिक्षा मंत्री के कहे से उलट है. 

दरअसल, 29 जुलाई को बीजेपी की ओबीसी कार्यकारणी की बैठक में बोलते हुए सीएम आदित्यनाथ ने कहा, ‘‘69 हजार शिक्षकों की भर्ती पर प्रश्न खड़ा किया जाता है. ये लोग समाजवादी पार्टी के वही मोहरे हैं, जो लोग 86 में से 56.. एक ही परिवार और एक ही जाति विशेष के लोगों को भरने का काम किए थे. वो लोग ही आज प्रश्न खड़ा करते हैं. 69 हजार शिक्षकों की भर्ती में अगर 27 प्रतिशत ओबीसी को आरक्षण के हिसाब से भर्ती होती तो भर्ती होती 18,200 … लेकिन भर्ती हुई 31 हजार 500 युवाओं की. उन्हें इस बात की चिंता है.’’

86 में 56, एक ही परिवार और जाति विशेष से योगी आदित्यनाथ का इशारा यादव समुदाय और समाजवादी पार्टी की तरफ था.  

सीएम योगी ने इस भाषण में जो कुछ कहा उससे जाहिर होता है कि शिक्षक भर्ती मामले में किसी भी तरह की आरक्षण विसंगति नहीं हुई थी. लेकिन यूपी सरकार तो खुद ही मान चुकी थी कि आरक्षण विसंगति सामने आई थी. 

सरकार, हाईकोर्ट और ओबीसी आयोग मान चुका है कि आरक्षण में विसगंति हुई

प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने थे. उससे पहले छात्रों का आंदोलन जारी था. नाराज़ छात्रों से 23 दिसंबर 2021 को योगी आदित्यनाथ ने मुलाकात की. इसको लेकर सीएम ऑफिस की तरफ से ट्वीट किया गया, ‘‘यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ से आज 69,000 सहायक अध्यापक भर्ती में आरक्षण की विसंगति को लेकर आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों ने मुलाकात की. मुख्यमंत्री ने संज्ञान लेते हुए बेसिक शिक्षा विभाग को समस्या के त्वरित एवं न्यायसंगत समाधान हेतु निर्देश दिए.’’

इसके बाद 24 दिसंबर 2021 को प्रदेश सरकार के तत्कालीन बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी ने मीडिया को संबोधित कर कहा, ‘‘बेसिक शिक्षा विभाग की विगत दिनों संपन्न हुई 69 हजार सहायक अध्यापक भर्ती में आरक्षण की प्रक्रिया को लागू करने में कुछ विसंगतियों को आधार बनाकर कुछ अभ्यर्थी लगातार इस बात की शिकायत कर रहे थे कि जिनका नाम उस चयन सूची में होना चाहिए था, उनका नाम उस सूची में नहीं है.’’

द्विवेदी आगे कहते हैं, ‘‘उनकी इस मांग पर विचार करते हुए उस प्रक्रिया का अध्ययन करने के बाद देखा गया कि आरक्षित वर्ग के कुछ अभ्यर्थी प्रभावित हुए हैं और उनका नाम उस चयन सूची में होना चाहिए. मुख्यमंत्री जी से अभ्यर्थियों की मुलाकात हुई. कल ही उन्होंने बेसिक शिक्षा विभाग को इस समस्या का त्वरित और न्यायसंगत समाधान करने के लिए कहा था. आज विभाग ने यह निर्णय लिया है कि उस प्रक्रिया में आरक्षित वर्ग के प्रभावित अभ्यर्थियों की भर्ती की जाएगी. उसकी पूरी प्रक्रिया आज हम जारी कर रहे हैं. आज 24 दिसंबर से ही वो प्रक्रिया शुरू हो जाएगी और 6 जनवरी को काउंसलिंग के उपरांत वो प्रक्रिया पूरी ही जाएगी. जो अभ्यर्थी छूट गए थे, उनकी भर्ती प्रक्रिया पूरी करके उन्हें नियुक्ति पत्र दिया जाएगा.’’

बेसिक शिक्षा मंत्री की इस घोषणा के बाद 6800 आरक्षित अभ्यर्थियों का चयन हुआ. 6 जनवरी 2022 को काउंसलिंग होनी थी, उसके दो दिन बाद यानी 8 जनवरी को चुनाव आयोग ने प्रदेश में चुनाव की घोषणा कर दी. 

आचार संहिता के कारण प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ी. अभ्यर्थी चुनाव के नतीजों के बाद से इंतज़ार कर रहे हैं, जो अब तक जारी है. इस बीच उन्होंने प्रदर्शन किया. प्रदेश के ओबीसी नेताओं से मिले. बेसिक शिक्षा मंत्री से मिले. जहां से उन्हें हर बार आश्वाशन मिला. 

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, हाईकोर्ट और राष्ट्रीय ओबीसी आयोग दोनों मान चुका है कि सीटों के आवंटन में आरक्षण की विसगतियां हुई थी. जुलाई 2020 में शिकायतकर्ता अभ्यर्थी, राष्ट्रीय अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग गए. आयोग ने जांच कर सीटों के आवंटन में विसंगतियों की पहचान की. आयोग के निष्कर्षों के बाद, यूपी सरकार ने अप्रैल 2021 में समीक्षा शुरू की और सुधारात्मक उपायों को लागू करने का निर्देश दिया.

वहीं, मार्च 2023 में हाईकोर्ट ने इसको लेकर फैसला सुनाया कि परीक्षा प्रक्रिया के दौरान आरक्षण के प्रशासन में अनियमितताएं थीं. हाईकोर्ट ने राज्य को प्रारंभिक सूची को रद्द करने का निर्देश दिया. साथ ही तीन महीने की समय सीमा के भीतर एक नई सूची तैयार करने को कहा. 

मामला हाईकोर्ट के पाले में

प्रदेश सरकार ने 6800 नए अभ्यर्थियों की लिस्ट जारी कर दी. इसी बीच समान्य वर्ग और ओबीसी वर्ग के दो गुट हाईकोर्ट पहुंच गए. सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों का कहना था कि यह 6800 भर्ती का विज्ञापन जारी नहीं हुआ था. अगर यह नई भर्ती हो रही है तो समान्य वर्ग के लोगों की भी भर्ती हो. दरअसल, 69 हजार सीटों की भर्ती का विज्ञापन निकला था और सरकार इसे पूरा कर चुकी थी. आरक्षण की कथित विसंगति के बाद 6800 अभ्यर्थियों का चयन किया गया था. 

वहीं, ओबीसी समुदाय के जो लोग कोर्ट गए उनका दावा था कि आरक्षण में विसंगति 19 हजार सीटों पर हुई है. ऐसे में सिर्फ 6800 लोगों का चयन क्यों हुआ? 

27 जनवरी 2022 को हाईकोर्ट की एकल पीठ ने 6800 अभ्यर्थियों के चयन पर रोक लगा दी. एकल पीठ ने तब सरकार से पूछा था कि 69 हजार सीट तो आप पहले ही भर चुके हैं तो इन 6800 अभ्यर्थियों को किस पद पर नियुक्ति दी जाएगी.

इको गार्डन में चले प्रदर्शन का हिस्सा रहे विजय यादव कहते हैं, ‘‘सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों की याचिका के बाद कोर्ट ने हमारी भर्ती पर रोक लगा दी. हालांकि, सरकार ने वहां बताया कि यह भर्ती 69 हजार का ही हिस्सा है लेकिन वहां तो भर्ती पूरी हो चुकी थी. ऐसे में जिनका चयन किया गया उन्हें हटाया जाए या उन्हें और हमें कहीं समायोजित किया जाए. मामला अब हाईकोर्ट में हैं. वहां फैसला सुरक्षित रखा गया है. जैसे ही फैसला आता है तो हम सीएम से मिलकर नियुक्ति की मांग करेंगे.’’ 

इन शिक्षकों की भर्ती के लिए परीक्षा 6 जनवरी, 2019 को आयोजित हुई थी. यूपी में जहां शिक्षकों के डेढ़ लाख से ज़्यादा पद खाली हैं वहीं सरकार द्वारा चयनित अभ्यर्थिय बीते पांच सालों से इधर-उधर भटक रहे हैं.  

न्यूज़लॉन्ड्री ने इको गार्डन में प्रदर्शन कर रहे इन अभ्यर्थियों से 23 जनवरी 2024 को बात की थी. इसमें से कुछ युवा अपनी बात करते-करते रोने लगे थे. पूरा वीडियो यहां देख सकते हैं-   

चित्रकूट के रहने वाले रामदयाल लोधी भी 6800 अभ्यर्थियों में से एक है. इको गार्डन में 640 दिनों तक चले प्रदर्शन का हिस्सा रहे लोधी इन दिनों अपने घर पर धान की बुआई का रहे हैं. 

लोधी न्यूज़लॉन्ड्री से बात करते हुए कहते हैं, ‘‘सीएम राज्य के मुखिया हैं. उन्होंने पहली बार हमें सपा का मोहरा बोला है. इससे पहले हमारे ही समाज के नेता केशव प्रसाद मौर्य बोलते थे. खुद सीएम और उनके शिक्षा मंत्री ने माना था कि भर्ती में गड़बड़ी हुई है. ऐसे में जब इस तरह का बयान आता है तो तकलीफ होती है. मामला अभी कोर्ट में है, डबल बेंच ने फैसला सुरक्षित रखा है. फैसला आने के बाद हम तैयार हैं, इन्हें और अपने समाज के नेताओं को बताने के लिए हम किसके मोहरे हैं. खुद ही गलती माने थे और अब खुद को सही बता रहे हैं.’’ 

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