दिन ब दिन की इंटरनेट बहसों और खबरिया चैनलों के रंगमंच पर संक्षिप्त टिप्पणी.
उत्तर प्रदेश भाजपा में पिछले एक हफ्ते के दौरान जो कुछ हुआ है, वह प्राचीन राज दरबारों में होने वाले षडयंत्रों, चालबाजियों, सत्ता पर कब्जे की दुरभिसंधियों का शास्त्रीय रीप्ले है. पुरानी पटकथा का पुनर्पाठ हो रहा है. सारे मोहरे अपनी-अपनी भूमिका का श्रद्धापूर्वक और शुद्ध अंत:करण से निर्वहन कर रहे हैं.
दिल्ली दरबार के इशारे पर एक के बाद एक हमले योगी आदित्यनाथ पर हुए. यह सब जो चल रहा है उसके पीछे भाजपा में सत्ता का जो संभावित सक्सेशन प्लान है, उस पर कब्जे की लड़ाई है. जो हो रहा है, उसे देखकर लगता है कि पहले चरण में योगीजी की छवि ध्वस्त करने का अभियान चल रहा है.
इस तरह प्राचीन राज दरबारों की दुरभिसंधियों का पहला चरण पूरा हो चुका है. लेकिन योगीजी इतनी आसानी से हथियार नहीं डालने वाले. उनके पास तुरुप का एक इक्का है. इसे सर संघचालक कहते हैं. लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद योगीजी इस तुरुप के इक्के का दो बार इस्तेमाल कर चुके हैं. उनकी सरसंघचालक मोहन भागवत के साथ दो बार बंद कमरे में मुलाकात हो चुकी है. यह सौभाग्य चुनाव के गड़बड़ नतीजों के बाद से मोदीजी को अब तक मयस्सर नहीं हुआ है.
देखिए इस हफ्ते की विशेष टिप्पणी.