दिन ब दिन की इंटरनेट बहसों और खबरिया चैनलों के रंगमंच पर संक्षिप्त टिप्पणी
टिप्पणी में इस हफ्ते धृतराष्ट्र दरबार की वापसी. संजय ने धृतराष्ट्र को आर्यावर्त में हुई धनराज सेठ की शादी का आंखों देखा हाल सुनाया. बात से बात चली तो क्या-क्या हुआ आप खुद ही देखिए. धनराज सेठ (मुकेश अंबानी) के चश्मे चराग़ कि शादी में शायद ही कोई बचा जो उनके दरवाजे पर द्वारपूजा करने न पहुंचा.
दूसरी तरफ तिहाड़ शिरोमणि हैं जिन्होंने पत्रकारिता में एक नई विधा को जन्म दिया है. भाजपा चुनाव हार जाए तो जनता को गरिया दो, लोग नौकरी मांगे तो उन्हें ये कह कर गरिया दो कि तुम तो उद्यमी हो ही नहीं और युवा नौकरी के लिए लाइन लगाएं तो उन्हें सोशल मीडिया पर जवानी बर्बाद करने वाला लौंडा घोषित कर दो. बस मेरे प्रभु गिरधर नागर से कोई सवाल न पूछो.
तीसरा पक्ष है हिंदु राष्ट्र के भीतर बन चुके नए हिंदूराष्ट्र गुजरात का. यहां के एक शहर में मांस मछली की बिक्री पर प्रतिबंध नहीं लगा है, बल्कि उसे खाने पर ही प्रतिबंध लगा दिया गया है. अमृतकाल का स्वागत कीजिए.