चैनल का दावा है कि प्रज्वल रेवन्ना मामले में रिपोर्टिंग के कारण उसे निशाना बनाया गया.
कन्नड़ समाचार चैनल पावर टीवी और उसके सहयोगी मिटकॉइन इंफ्रास्ट्रक्चर को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. चैनल के प्रसारण पर लगी रोक हटाकर सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें अंतरिम राहत प्रदान की है. कोर्ट ने फैसले में इसे राजनीतिक प्रतिशोध का मामला बताया.
कन्नड़ समाचार चैनल पावर टीवी ने प्रज्वल रेवन्ना के खिलाफ यौन शोषण के आरोपों की रिपोर्टिंग की थी.
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने कहा, "जितना अधिक हम इस मामले को सुनते हैं, यह राजनीतिक प्रतिशोध का एक सादा मामला लगता है. हम बोलने और अभिव्यक्ति की आज़ादी की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, और अगर इसे संरक्षित नहीं किया गया तो यह अदालत अपने कर्तव्य में विफल हो जाएगी.”
बेंच ने चैनल की अपील पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट द्वारा लगाई अंतरिम रोक को हटा दिया. मालूम हो कि चैनल के पास कंटेंट प्रसारित करने का सक्रिय लाइसेंस नहीं होने के आरोपों के बाद 25 जून को कर्नाटक हाईकोर्ट ने चैनल के प्रसारण पर अंतरिम रूप से रोक लगाने का आदेश दिया था. केंद्र सरकार ने भी चैनल को इसी साल फरवरी में कारण बताओ नोटिस जारी किया था.
पावर टीवी का दावा है कि प्रज्वल रेवन्ना मामले को उजागर करने के लिए उसे निशाना बनाया गया. याचिका में दावा किया गया है कि चैनल के सीईओ राकेश शेट्टी को प्रज्वल रेवन्ना के पिता एचडी रेवन्ना ने 25 अप्रैल को फोन किया. उन्होंने आश्वासन दिया था कि अगर चैनल प्रसारण बंद कर देता है तो उसकी सभी परेशानियां खत्म हो जाएंगी. दावा यह भी है कि केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी से जुड़े एक अधिकारी ने दो दिन बाद शेट्टी को फोन किया और धमकी दी कि अगर चैनल ने प्रसारण नहीं हटाया तो उसे गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ेगा.
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