बिहार पेपर लीक में भूमिका का आरोप लगने के बाद फर्म ने अपना नाम बदल दिया, लेकिन इससे बहुत कुछ नहीं बदला.
उत्तराखंड के देहरादून में फरवरी की एक सुबह संग्राम (बदला हुआ नाम) ने अपने परीक्षा केंद्र के भीतर एक कंप्यूटर स्क्रीन पर कुछ अजीब गतिविधि होते हुए देखने का दावा किया.
संग्राम का दावा था कि उनके बगल बैठकर परीक्षा दे रहे कैंडिडेट का हाथ कंप्यूटर के माउस पर नहीं था लेकिन इसके बावजूद कथित तौर पर स्क्रीन पर सवालों के जवाब पर टिक लगाया जा रहा था. यह सीएसआईआर-संयुक्त प्रशासनिक सेवा की परीक्षा थी जिसके बाद सेक्शन और असिस्टेंट सेक्शन अफसर की बहाली की जानी थी.
इस बाबत संग्राम ने परीक्षा निरीक्षक से बात की, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री की हेल्पलाइन और यहां तक कि मीडिया को भी लिखा. लेकिन संग्राम अकेले नहीं हैं जो इसे लेकर आवाज उठा रहे हैं.
परीक्षा में रिमोट एक्सेस के कथित इस्तेमाल को लेकर देहरादून और राजस्थान के बहरोड़ में दो एफआईआर दर्ज की गई थीं और कई उम्मीदवारों की ओर से दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर किए जाने के बाद केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण ने मामले को अपने हाथ में लिया.
खासकर, उस परीक्षा को आयोजित करने वाली एजेंसी को पिछले हफ्ते उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से यूपी पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा पेपर लीक में कथित संलिप्तता के लिए ब्लैकलिस्ट कर दिया गया. ये फैसला तब लिया गया जब नीट विवाद और भारत की प्रमुख परीक्षाओं के कथित कुप्रबंधन पर छात्रों में आक्रोश देखा गया.
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