दिल्ली हाईकोर्ट से 4 चैनलों को बड़ी राहत, प्रसारण पर लगी रोक हटी

टीवी9 तेलुगु, साक्षी टीवी, 10टीवी और एनटीवी को आंध्र प्रदेश के केबल ऑपरेटरों ने ब्लॉक कर दिया था.

एक माइक, एक कलम और एक कैमरा पकड़े हुए हाथों के चित्रण के बगल में अदालत के गेवल (जज के हथौड़े) का चित्रण.

दिल्ली हाईकोर्ट ने आंध्र प्रदेश के 15 केबल ऑपरेटरों को ब्लॉक किए हुए 4 चैनलों को बहाल करने का आदेश दिया है. दरअसल, केबल ऑपरेटरों ने 4 तेलुगु समाचार चैनल -टीवी9 तेलुगु, साक्षी टीवी, 10टीवी और एनटीवी का प्रसारण 21 जून से रोक दिया था. इसके पहले लोकसभा चुनाव परिणामों के दो दिन बाद 6 जून को भी इनका प्रसारण एक दिन के लिए रोका गया था. 

टीवी9 द्वारा दिल्ली हाईकोर्ट में दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति मिनी पुष्करण ने आदेश पारित किया. इस आदेश में प्रसारण पर रोक लगाने को दूरसंचार नियामक ट्राई के नियमों का उल्लंघन बताते हुए अवैध घोषित किया गया. कोर्ट ने इन चैनलों के प्रसारण को तत्काल बहाल करने को कहा. 

समाचार प्रसारक फेडरेशन (एनबीएफ) ने इस फैसले का स्वागत करते हुए इसे ऐतिहासिक फैसला करार दिया. उन्होंने समाचार चैनलों का प्रसारण रोकने को एकतरफा और अवैध बताया. संस्था का कहना था, “यह फैसला हमारे लोकतंत्र का मुख्य स्तम्भ विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मूलभूत सिद्धांतों को पुनःस्थापित करने वाला है.” 

प्रेस में एक बयान जारी करते हुए एनबीएफ ने कहा, “हाईकोर्ट का हस्तक्षेप इस बात की तरफ इशारा करता है कि लोकतंत्र के सुचारु रूप से चलने के लिए खुली और पारदर्शी मीडिया वातावरण होना आवश्यक है... यह फैसला प्रेस की स्वतंत्रता और पत्रकारों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए एक नजीर साबित होगी.”

बता दें कि बीते 21 जून की रात से ही इन चारों चैनलों का प्रसारण केबल ऑपरेटरों द्वारा रोक दिया गया था. वाईएसआरसीपी के निरंजन रेड्डी ने केन्द्रीय अधिकारियों और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू को पत्र लिखकर दावा किया था कि यह राज्य सरकार के इशारे पर किया जा रहा था. हालांकि, टीडीपी सरकार ने इन दवाओं को सिरे से खारिज़ करते हुए ऐसे किसी प्रकार के निर्देश देने की बात को गलत बताया था. 

इन चैनलों में से एक चैनल के अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि शुक्रवार रात से ही चारों चैनल बंद हैं. "केबल टीवी ऑपरेटरों का कहना है कि उन्हें चैनल बंद करने के लिए कहा गया है, लेकिन वे यह नहीं बताएंगे कि आदेश किसने दिया."

टीवी चैनल के अधिकारी का कहना है, "पिछली सरकार ने भी यही काम किया था. फिर उन्हें इसकी कीमत चुकानी पड़ी थी."

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