आया राम गया राम, भाग 10: खुदकुशी करने वाले सांसद की पत्नी, संस्कृत ऐक्टिविस्ट और पूर्व मुख्यमंत्री

लोकसभा चुनावों में पाला बदलने वाले उम्मीदवारों की पड़ताल.

दलबदलू कलाबेन डेलकर, खागेन मुर्मू, धैर्यशील माने, जगदीश शेट्टार और चिंतामणि महाराज

तीसरे चरण के लोकसभा चुनावों में कुल 12 दलबदलू उम्मीदवार मैदान में हैं. इनमें से 6 भाजपा के एनडीए गठबंधन का हिस्सा हैं. इस शृंखला की पिछली कड़ी में इनमें से दो पर बात की गई. जिसमें भाजपा उम्मीदवार ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के उम्मीदवार यादवेंद्र राव देशराज सिंह का गुना में घमासान चल रहा है. हमने बाकी के एनडीए के दलबदलू नेताओं के लिए यह एक अलग रिपोर्ट बनाई है. 

7 मई को होने वाले चुनावों में, एनडीए के इन 5 उम्मीदवारों में 4 भाजपा से हैं और 1 शिवसेना से हैं. 

कलाबेन डेलकर: पति की विरासत, 27.6 करोड़ की संपत्ति और एक पोर्श कार की मालिक

कलाबेन डेलकर दादरा नगर हवेली केंद्र शासित प्रदेश से भाजपा की प्रत्याशी हैं. सात बार सांसद रहे मोहनभाई डेलकर की फरवरी 2021 में आत्महत्या के बाद उनकी पत्नी 53 वर्षीय कलाबेन डेलकर चुनावी मैदान में उतरीं. 

अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित सीट पर हुए उपचुनावों में डेलकर ने शिव सेना की टिकट पर चुनाव लड़ा था. उन्होंने भाजपा के महेश गावित को 51,270 वोटों से हराकर जीत दर्ज की. पिछले साल दिसंबर में डेलकर और उनके बेटे अभिनव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की. इसके बाद उन्होंने भाजपा का हाथ थाम लिया. मां-बेटे दोनों ने अपने समर्थकों से ‘पुराने मतभेदों को भूलकर’ भाजपा के साथ काम करने को कहा.

डेलकर एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं और व्यवसाय के अलावा बहुत सारी जमीनें उनके नाम पर हैं.

डेलकर एक सामाजिक कार्यकर्ता होने के साथ-साथ व्यवसाय भी करती हैं. उनके नाम पर बहुत सारी जमीनें भी हैं. उनकी कुल संपत्ति 32.46 करोड़ है. इसके अलावा हिन्दू अविभाजित परिवार खाते में 27.69 करोड़ रुपये भी हैं. उनकी संपत्ति में 1.61 करोड़ रुपयों की एक पोर्श कार और 62 लाख रुपये की जगुआर कार भी हैं. पिछले वित्त वर्ष में उनकी सालाना आय 78 लाख रुपये थी. 

गौरतलब है कि उनके पति ने मुंबई के होटल में खुदकुशी की. पुलिस ने वहां से एक सुसाइड नोट बरामद किया. जिसमें आत्महत्या के लिए उकसाने के लिए 9 लोगों का नाम लिया गया था. इन 9 लोगों में केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासक और गुजरात के पूर्व भाजपा मंत्री प्रफुल्ल खोड़ा पटेल का भी नाम था. हालांकि, बाद में बॉम्बे हाईकोर्ट ने मामला रद्द कर दिया था. 

खागेन मुर्मू : संथाली नेता, 7 मुकदमे, चुंबन विवाद 

खागेन मुर्मू पश्चिम बंगाल के मालदा उत्तरी सीट से भाजपा के उम्मीदवार हैं. 64 वर्षीय वर्तमान सांसद संथाल समुदाय के नेता हैं. उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1993 में मालदा जिला परिषद सदस्य के तौर पर की थी. 

वे 18 साल तक मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी में रहे. 2019 में लोकसभा चुनावों के ऐन पहले वह  भाजपा में आ गए. उन्होंने भाजपा से चुनाव लड़कर जीत लिया. सांसद बनने से पहले वह हबीबपुर सीट से सीपीआईएम के 4 बार विधायक भी रहे थे. 

मुर्मू के खिलाफ एक हमले और आपराधिक बल प्रयोग समेत कुल सात मुकदमे हैं. 

वे बिहार की मगध विश्वविद्यालय से बीए स्नातक हैं. मुर्मू के खिलाफ एक हमले और आपराधिक बल प्रयोग समेत कुल सात मुकदमे हैं. वह एक कृषक हैं और वहीं उनकी पत्नी आईसीडीएस कार्यकर्ता हैं. हलफनामे के अनुसार, अप्रैल 2024 में उनकी संपत्ति 73.46 लाख रुपये है. 2016 में उनकी कुल संपत्ति 37 लाख रुपये थी.

मुर्मू को पिछले साल बड़े विरोध प्रदर्शनों का सामना करना पड़ा था क्योंकि गंगा की कटान के कारण विस्थापित स्थानीय निवासियों ने केंद्र सरकार व मुर्मू पर निष्क्रिय रहने और पुनर्वास प्रयासों में विफल रहने का आरोप लगाया था. नदी का कटाव मालदा और मुर्शिदाबाद जिले में बेहद जरूरी मुद्दा है.

इसके अलावा पिछले महीने भी वे विवादों के घेरे में आ गए, जब चुनाव प्रचार के दौरान एक महिला को गाल पर चुंबन देते उनकी एक वीडियो वायरल हो गई . तृणमूल कांग्रेस ने उन्हें “महिला-विरोधी” करार दिया.

मुर्मू के संसद में भाषण के दौरान ही सदन की सुरक्षा का उल्लंघन हुआ था. 

धैर्यशील माने: ग्राम पंचायत से सांसद तक, अब सेना बनाम सेना 

धैर्यशील माने महाराष्ट्र के हटकनांगले सीट से शिव सेना शिंदे गुट के उम्मीदवार हैं. 42 वर्षीय वर्तमान सांसद राजनीतिक परिवार से आते हैं. उनकी मां निवेदिता माने कांग्रेस से 2 बार सांसद रहीं और उनके दादा राजाराम माने भी एनसीपी से इचलकरंजी से 5 बार सांसद रहे हैं. 

माने के राजनीतिक जीवन की शुरुआत साल 2002 में ग्राम पंचायत से हुई थी. 

माने के राजनीतिक जीवन की शुरुआत साल 2002 में ग्राम पंचायत से हुई थी. अपना पहला लोकसभा चुनाव उन्होंने साल 2019 में लड़ा और तब के सांसद राजू शेट्टी को 90,000 से अधिक वोटों से हराया था. आंशिक रूप से शहरी हटकनांगले लोकसभा सीट स्वाभिमानी शेतकारी संगठन के किसान नेता शेट्टी का गढ़ माना जाता है. शिव सेना उद्धव गुट के सत्यजित पाटील के साथ साथ शेट्टी इस बार भी मैदान में हैं. 

माने ने अपना व्यवसाय किसानी बताया है. हलफनामे के मुताबिक, उनपर कोई आपराधिक मुकदमा नहीं है. गौरतलब है कि उनकी संपत्ति साल 2019 में 3.59 करोड़ से घटकर साल 2024 में 2.06 करोड़ हो गई है. 

जगदीश शेट्टार: पूर्व मुख्यमंत्री, आरएसएस से संबंध, लिंगायतों का बड़ा चेहरा 

जगदीश शेट्टार कर्नाटक के बेलगाम से भाजपा के उम्मीदवार हैं. 68 वर्षीय शेट्टार पिछले साल कर्नाटक विधानसभा चुनावों में टिकट न मिलने से नाराज होकर कांग्रेस में चले गए थे. हालांकि, वे भाजपा के महेश टेंगीनकाई से 35,000 वोटों के अंतर से हार गए. 

शेट्टार उत्तरी कर्नाटक के लिंगायत वोटों का लामबंद करने के लिए जाने जाते हैं. उनके परिवार का आरएसएस से संबंध रहा है.

एक साल बाद वे भाजपा में इस शिकायत पर वापस आ गए कि “कांग्रेस में कार्यकर्ताओं की इज्जत नहीं है”. उन्होंने मल्लिकार्जुन खरगे के नेतृव में “राज्य मंत्रियों के रिश्तेदारों” को टिकट मिलने की वजह से पार्टी में “बहुत असंतोष” होने का आरोप लगाया.  

शेट्टार 2012 से 2013 तक कर्नाटक के मुख्यमंत्री भी रहे हैं. 2008-2009 के दौरान वे राज्य की विधानसभा के अध्यक्ष भी थे. 

वे उत्तरी कर्नाटक के लिंगायत वोटों को लामबंद करने के लिए जाने जाते हैं. उनके परिवार का आरएसएस से संबंध रहा है. उनके पिता एसएस शेट्टार भी जन संघ के नेता थे. कर्नाटक में 18% लिंगायत मतदाता हैं, जो वहां बेहद प्रभावशाली हैं. 

अप्रैल 2024 में शेट्टार की संपत्ति 12.45 करोड़ रुपये है. साल 2013 में यह 4 करोड़ रुपये थी. 

चिंतामणि महाराज: संस्कृत कार्यकर्ता, व्यवसायी और समाज सुधारक 

चिंतामणि महाराज छत्तीसगढ़ की एसटी आरक्षित सरगुजा सीट से भाजपा के उम्मीदवार हैं. 56 वर्षीय किसान-व्यवसायी महाराज खुद को समाज सुधारक कहते हैं. वे समाज के कमजोर तबकों के लिए सामूहिक विवाह का आयोजन भी कराते हैं. 

साल 2013 में 37 लाख रुपये से उनकी संपत्ति 800% बढ़कर 2024 अप्रैल में 3.29 करोड़ रुपये हो गई. 

छत्तीसगढ़ के जाशपुर में संस्कृत कॉलेज की स्थापना में जोर लगाने का श्रेय उन्हें दिया जाता है. खुद कक्षा 11वीं तक ही स्कूल जाने के बावजूद, साल 2004-2008 तक उन्हें राज्य के संस्कृत बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया था. 

अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत उन्होंने साल 2008 से की. वे समरी विधानसभा से निर्दलीय चुनाव लड़े पर हार गए. वे थोड़े समय के लिए भाजपा में चले गए थे पर वापस कांग्रेस में आ गए. साल 2013 के विधानसभा चुनावों में उन्होंने कांग्रेस की टिकट पर लुंड्रा से चुनाव लड़ा और अपनी पहली जीत दर्ज की. अगला विधानसभा चुनाव वे समरी से जीते. 

महाराज को कांग्रेस से विधानसभा चुनावों में टिकट नहीं मिलने पर, पिछले साल अक्टूबर में वह भाजपा में आ गए. भाजपा में अपनी वापसी को उन्होंने “घर-वापसी” कहा. 

उनकी संपत्ति साल 2013 में 37 लाख रुपये से तकरीबन 800 प्रतिशत बढ़कर अप्रैल 2024 में 3.29 करोड़ रुपये हो गई.

अनुवाद- अनुपम तिवारी

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