अग्निवीर योजना से नाराज हरियाणा का युवा: “प्रधानमंत्री खुद तो तीसरा मौका मांग रहे हमें 4 साल में रिटायर कर देंगे”

सेना के प्रति युवाओं में जूनून घट रहा है. हरियाणा का युवा अब सेना की बजाए विदेश का रुख करने लगा है.

WrittenBy:बसंत कुमार
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जींद शहर से 25 किलोमीटर दूर उचाना में राजीव गांधी महाविद्यालय के ग्राउंड में सुबह के पांच बजे से युवाओं का आना शुरू हो जाता है. कोई पैदल, कोई साईकिल से तो कोई मोटरसाईकिल से आता है. यहां हमारी मुलाकात कुणाल चहल से हुई. आर्मी के प्रति कुणाल का जूनून इस हद तक है कि ब्लेड से उन्होंने अपने हाथ पर ‘आर्मी’ लिखा हुआ है. 

अब तक आपने देखा-सुना होगा कि प्रेमी-प्रेमिका एक दूसरे के लिए इस तरह की जूनून दिखाते हैं. कुणाल से जब हमने पूछा तो कहते हैं, ‘‘यहीं एक सपना है. हमारी प्रेमिका यही है. इसे लिखते हुए खून तो काफी बहा था लेकिन दर्द नहीं हुआ था.’’

कुणाल अपने इकलौते सपने की वजह से परेशान है. परेशानी की वजह भारत सरकार द्वारा सेना की भर्तियों के लिए लाया गया नया नियम, अग्निवीर योजना है. ये भाजपा से नाराज़ है. अपने दोस्त के पांव में पड़े छाले दिखाते हुए कुणाल कहते हैं, “खुद तो (इशारा पीएम मोदी की तरफ) 73 साल की उम्र में तीसरी बार मौका मांग रहे हैं लेकिन हमें चार साल में ही रिटायर कर दे रहे हैं. अग्निवीर बेकार योजना है.”

अग्निवीर को बेकार योजना बताने वाले कुणाल अकेले नहीं है. न्यूज़लॉन्ड्री ने कुरुक्षेत्र, जींद, चरखी दादरी और रोहतक में युवाओं, उनके परिजनों से बात की तो सामने आया कि नाराज़गी का आयाम काफी बड़ा है. हरियाणा से सेना में एक बड़ी आबादी अब तक आती रही है. लेकिन अब इसकी संख्या में गिरावट आ रही है. ऐसे में लोकसभा चुनाव में यह बड़ा मुद्दा है. 

कांग्रेस पार्टी के नेता राहुल गांधी सत्ता में आने के बाद अग्निवीर योजना को कूड़ेदान में फेंकने की बात कह रहे हैं. कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में भी यही वादा किया है.   

युवा अब सेना की तैयारी में दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं, जिसका अंदाजा यहां ग्राउंड में दौड़ लगाने आने वालों की संख्या से लगाया जा सकता है. अब यहां बमुश्किल 15-20 युवा ही नजर आते हैं.  जबकि यहां आए युवाओं ने बताया कि पहले यहां करीब चार सौ से पांच सौ युवा दौड़ लगाने आया करते थे. 

सावन चहल बीते दस साल से यहां एक्सरसाइज करने आते हैं. युवाओं की यहां पर संख्या को लेकर कहते हैं, ‘‘अग्निवीर योजना के बाद आर्मी का क्रेज नहीं रहा है. यहां अभी जो कुछेक युवा आ रहे हैं, वो हरियाणा पुलिस और आरपीएफ के लिए आते हैं. तैयारी करने वाले युवाओं की संख्या में भी काफी कमी आई. पहले यहां तीन सौ चार सौ बच्चे तैयारी किया करते थे लेकिन अब ज़्यादा से ज़्यादा 10-20 तैयारी करते नजर आते हैं. ज़्यादा से ज्यादा 25 हो जाते हैं. उससे ज़्यादा आपको कभी नजर नहीं आएंगे.’’

ये स्थिति सिर्फ जींद में ही नहीं बल्कि रोहतक, चरखी दादरी और कुरुक्षेत्र में भी है. सेना की तैयारी करने वाले युवा अब इससे दूर हो रहे हैं. 

अग्निवीर के कारण अवैध रूप से विदेश जाते युवा   

अभी तक अवैध रूप से विदेश जाने का चलन पंजाब और गुजरात में ज़्यादा था. हरियाणा में पंजाब से सटे इलाकों में थोड़ा बहुत असर दिखता था लेकिन अग्निवीर योजना आने के बाद युवाओं का सेना के प्रति मोहभंग होने लगा है. ग्रामीणों और परिजनों के मुताबिक, लड़के अब दौड़ना बंद कर विदेश जाने लगे हैं. 

जींद के बड़ौदा गांव में हमें ऐसी ही एक तस्वीर देखने को मिलती हैं. आजादी के बाद से अब तक इस गांव से करीब 2 हजार से ज्यादा युवा सेना में चयनित हो चुके हैं लेकिन अब हालात बदल रहे हैं. 

सेना के प्रति युवाओं में जूनून घट रहा है. गांववालों का दावा है कि बीते दो सालों में यहां के करीब पांच सौ युवा अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया या दूसरे देश जा चुके हैं और लगभग इतने ही जाने की तैयारी में हैं. ज़्यादातर परिवारों ने खेती की जमीन बेचकर अपने बच्चों को विदेश भेजा है.

बड़ौदा गांव के चौराहे पर एक शहीद सैनिक रणधीर सिंह चहल की तस्वीर लगी हुई है. यहां हमारी मुलाकात कृष्ण चहल से हुई.  चहल कहते हैं, “एक एमएलए पांच साल के लिए होता है. उसकी पेंशन होती है. चार साल अग्निवीर में रहेंगे, इनकी पेंशन भी नहीं है. अग्निवीर योजना देश के नाम पर धब्बा है. हमारे यहां हर भर्ती में 9-10 बच्चे जाते थे. मेरा लड़का भी था. वो पहले सेना में जाने की तैयारी करने जाता था. मेरे गांव के लगभग सारे लड़कों ने सेना के लिए तैयारी बंद कर दी है.” 

चहल के बगल में बैठे बुजुर्ग सतवीर के परिवार में भी कई लोग सेना में हैं. अग्नवीर योजना के असर को लेकर यह चहल की बातों को दोहराते हैं. बताते हैं कि उनका पोता भी आर्मी की तैयारी छोड़ जर्मनी जा चुका है.

सतवीर कहते हैं, ‘‘चार साल के लिए सेना में ले रहे हैं. उसके बाद युवा क्या करेंगे? बंदूक चलाना सीख जायेंगे और उग्रवाद करेंगे. सबसे बड़ी चिंता हमारी यही है.”  

बड़ौदा के बाद हम गोगड़िया, खापड़ और भोंगरा गांव में भी पहुंचे.. इन चारों गांव में लगभग हर घर से कोई न कोई सेना में है. भोंगरा में तो एक ही परिवार के दस लोग सेना में अलग-अलग पदों पर हैं. अग्निवीर योजना का असर इन गांवों में भी पड़ा है. 

नेवी से रिटायर भोंगरा गांव के रामफल सिंह के घर से पांच युवा बीते दो सालों में विदेश जा चुके हैं. अग्निवीर की तैयारी करने वाले गांव के युवाओं के सवाल पर कहते हैं, ‘‘यह एक बेकार योजना है. जिसके कारण हमारे यहां से कोई भी युवा इसकी तैयारी नहीं कर रहा है. लड़के अब विदेश जाने की तैयारी कर रहे हैं. मेरे घर से पांच लड़के विदेश गए हैं. उनकी उम्र 20 से लेकर 25 साल तक है. उन्हें ये योजना पसंद ही नहीं थी. मेरे परिवार के सारे लड़के सेना की ही तैयारी करते थे.  मेरे ही नहीं गांव के अन्य कई युवक गए हैं. सब तैयारी ही करने वाले थे. सुबह-शाम दौड़ लगाने जाते थे.’’ 

अगर यहीं हालात रहे तो सेना की क्या स्थिति होगी? इसपर सिंह कहते हैं, ‘‘अगर ऐसे ही युवाओं का झुकाव सेना के प्रति कम होता रहा तो सेना कमज़ोर हो जाएगी. लोग भर्ती नहीं होंगे. वहीं, दूसरी तरफ लोग रिटायर तो हो ही रहे हैं. अग्निवीर योजना से सेना कमज़ोर होगी.”

अग्निवीर योजना का असर सिर्फ युवाओं पर नहीं पड़ा. युवाओं की संख्या ग्राउंड में कम हुई तो कोचिंग सेंटर में भी. यहां के ज़्यादातर कोचिंग सेंटर अब बंद होने लगे हैं. 

अग्निवीर योजना का चुनावी असर

विपक्ष अग्निवीर योजना को लगातार मुद्दा बना रहा है. जिसका असर यह हुआ कि हाल ही में केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सरकार इस योजना में आने वाले समय में बदलाव कर सकती है. 

लेकिन क्या आम लोगों के लिए यह चुनावी मुद्दा है? इसके जवाब में रामफल सिंह कहते हैं, ‘‘असर तो है ही. आप देखिए भाजपा वाले जिस भी गांव में जा रहे हैं, वहीं उनका विरोध हो रहा है. युवा काले झंडे दिखा रहे हैं. अग्निवीर से हरियाणा का सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है क्योंकि यहां के ज़्यादातर नौजवान खेती करते हैं या सेना में जाते हैं. मोदी सरकार ने दोनों को नुकसान पहुंचाया है. ऐसे में यहां लोगों में काफी नाराजगी है.’’

बड़ौदा गांव के कृष्ण चहल कहते हैं कि बीते दो बार (2014 और 2019 में) उन्होंने भाजपा को वोट दिया लेकिन इस बार वो विपक्ष को वोट देंगे. वो कहते हैं, ‘‘दो बार मैंने और मेरे गांव ने भाजपा को वोट दिया है. हमारे गांव में छह हजार वोट हैं. ढाई हज़ार के करीब भाजपा को मिले थे लेकिन इसबार नहीं मिलेंगे. हम अपने बच्चों के भविष्य के लिए इस बार मतदान करेंगे.’’

ऐसी ही बातें हमें अन्य जगहों पर सुनने को मिली लेकिन भाजपा कार्यकर्ताओं की मानें तो अग्निवीर योजना का खास असर नहीं होने वाला है. वहीं, एक और बात भाजपा कार्यकर्ताओं के अंदर बैठा दी गई है कि आने वाले समय में अग्निवीर में सरकार बदलाव करने वाली है. 

21 मई को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा रोहतक में रोड शो करने आए थे. यहां हमने भाजपा कार्यकर्ताओं से अग्निवीर योजना से नाराजगी को लेकर सवाल किया तो उनका कहना था कि सरकार इसमें बदलाव लाने वाली है. वहीं, आगे इजरायल का उदाहरण देते हुए वह कहते हैं कि वहां तो हर युवक को सेना की ट्रेनिंग दी जाती है तभी तो चारों तरफ से मुस्लिम देशों से घिरा देश खुद को सुरक्षित रखे हुए है. वे कहते हैं कि मोदी जी ने अग्निवीर लाकर कोई गलती नहीं की है. 

अग्निवीर योजना का चुनाव पर क्या असर होगा वो तो 4 जून को आने वाले नतीजे ही बताएंगे लेकिन हकीकत यह है कि युवाओं में इसको लेकर नाराजगी है और वो सेना के सपने से दूर हो रहे हैं.  

देखिए हमारी ये वीडियो रिपोर्ट.

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