उत्तर प्रदेश का अति पिछड़ा और गरीब जिला बहराइच बीते एक दशक में अपनी पहचान बदल नहीं पाया है. क्या यह चुनाव इसमें कुछ बदलाव कर पाएगा?
बहराइच जिला मुख्यालय से करीब 4 किमी दूर स्थित मोहम्मदपुर ग्राम पंचायत के निवासी राजकुमार गौतम को यह नहीं पता है कि उनके लोकसभा क्षेत्र के सांसद और क्षेत्रीय विधायक कौन हैं? राजकुमार की समस्या इससे कहीं ज्यादा बड़ी है. टूटी हुई चारपाई पर बैठे-बैठे राजकुमार महंगाई की समस्या उंगलियों पर गिना देते हैं. दाल, गेहूं, चावल और तेल की कीमतें फटाफट उनकी जुबान से झरने लगती हैं. ये वो जरूरी समान हैं जिन्हें राजकुमार अपनी रोजाना की मजदूरी के पैसे से बड़ी मुश्किल से जुटा पाते हैं.परिवार को खिलाने के लिए खरीदते हैं. राजकुमार के परिवार में कुल तीन लोग, जिनमें उनकी पत्नी और एक 5 वर्षीय बच्चा है.
13 मई को उत्तर प्रदेश की जिन 13 सीटों पर मतदान होना है उनमें बहराइच लोकसभा सीट भी शामिल है. राजकुमार गौतम के लिए सांसद किस चीज का नाम है, कोई मायने नहीं रखता. उन्होंने अपने सांसद को न तो देखा है और न ही उनके गांव में किसी तरह का खास काम हुआ है.
हमसे बातचीत में राजकुमार बताते हैं कि उनके गांव में चुनाव के समय कोई उम्मीदवार आता ही नहीं है. सिर्फ कुछ समर्थक आते हैं और लच्छेदार बातें करके चले जाते हैं. जीतने के बाद तो कभी कोई दिखाई ही नहीं देता.
लाचारी भरे स्वर में राजकुमार ने कहा, “साहब हम गरीब लोग हैं, बाप-दादा बचपन में ही गुजर गए इसलिए सारी जिम्मेदारी मुझ पर ही आ गई. कमाने के लिए बाहर चला गया, ज्यादा पढ़ लिख नहीं पाया. दिन भर कमाएंगे नहीं तो शाम को खाने की व्यवस्था नहीं होगी.”
दलित समाज से आने वाले राजकुमार ने अभी किसी पार्टी या उम्मीदवार को लेकर मन नहीं बनाया है. वो कहते हैं, “मुझे लगता है दलित होने के कारण कोई हमारे गांव में नहीं आता. पड़ोस के गांवों में खूब काम हुआ है. लेकिन मेरे गांव में अगर हम लोग बारिश में पन्नी से छत न ढकें तो मिट्टी के घर में पानी भर जाएगा.”
बीते दो लोकसभा चुनावों से यहां भाजपा लगातार जीतती आ रही है. फिलहाल यहां से भाजपा सांसद अक्षयबर लाल गौड़ हैं. जाहिर है बहराइच सुरक्षित सीट है, यहां बड़ी आबादी दलितों की है और उन्होंने भाजपा पर भरोसा भी जताया. इसके बावजूद दलित समुदाय की स्थिति में कोई अंतर नहीं आया है. जबकि राज्य और केंद्र दोनों जगहों पर लंबे वक्त से भाजपा की सरकार है.
नीति आयोग की बहुआयामी गरीबी सूचकांक 2023 की रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर प्रदेश का सबसे गरीब ज़िला बहराइच है. इस रिपोर्ट के मुताबिक, बहराइच में गरीबों का प्रतिशत सबसे ज्यादा है जो लगभग 55 फीसदी है. हालांकि इस बहुआयामी गरीबी में थोड़ी गिरावट हाल के सालो में आई है. साल 2016 में यहां गरीबी का आंकड़ा 72 फीसद था.
34 लाख से थोड़ी ज्यादा जनसंख्या वाला बहराइच ज़िला स्वास्थ्य के मामले में कुछ ही सरकारी मानकों को पूरा कर पाया है. यहां अभी भी बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं की किल्लत है. इसके बड़े शिकार गरीब, दलित और वंचित समाजों के लोग ही होते हैं.
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