न्यूजक्लिक मामला: संपादक प्रबीर पुरकायस्थ की गिरफ्तारी पर फैसला सुरक्षित

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस द्वारा सुबह 6 बजे पुरकायस्थ के वकील को सूचना दिए बगैर रिमांड का आदेश लेने की जल्दबाजी दिखाने पर सवाल उठाए.

Article image

न्यूजक्लिक के संपादक प्रबीर पुरकायस्थ की यूएपीए के तहत गिरफ़्तारी के खिलाफ याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की बेंच ने की. सुनवाई में दोनों पक्षों की दलीलों को कोर्ट ने देर तक सुना और फैसला सुरक्षित रख लिया.

लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, पुरकायस्थ के वकील कपिल सिब्बल ने पुरकायस्थ को वजह बताए बगैर गिरफ्तार करने और सुबह 6 बजे कोर्ट से रिमांड लेने पर सवाल उठाया. उन्होंने यह भी कहा कि कोर्ट से रिमांड ऑर्डर लेने के बाद पुरकायस्थ के वकील को सूचित किया गया. दिल्ली पुलिस के अधिवक्ता एएसजी एसवी राजू ने इसके जवाब में दलील दी कि रिमांड के लिए आवेदन पत्र में गिरफ़्तारी के कारण संबंधी सूचनाएं दी गई थी और कानूनी सहायता के लिए पुरकायस्थ को एक वकील भी मुहैया कराया गया था.

कोर्ट ने एसवी राजू से पूछा कि रिमांड ऑर्डर लेने में इतनी जल्दबाजी क्यों दिखाई गई. पुरकायस्थ को 10-11 बजे भी कोर्ट में पेश किया जा सकता था और उनके वकील को 1 घंटे पूर्व सूचना दी जा सकती थी. इस पर एसवी राजू ने कहा कि पुरकायस्थ के वकील को सुबह 7 बजे के करीब सूचना दी गई थी. उन्होंने आगे कहा कि रिमांड ऑर्डर पर जज ने आदेश का वक्त गलती से 6 बजे लिख दिया. इस पर कोर्ट ने कहा, “रिमांड ऑर्डर लेने के बाद वकील को सूचना देने का कोई लाभ नहीं है.”

कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से यह पूछा कि क्या कारण बताए बिना गिरफ़्तारी संभव है? पंकज बंसल बनाम दिल्ली राजधानी क्षेत्र (2023) मामले की नजीर देते हुए यह भी कहा कि कारण न बताए जाने के चलते पुरकायस्थ गिरफ़्तारी का विरोध नहीं कर पाए. ऐसे में रिमांड से पहले गिरफ़्तारी के कारण सूचित किए जाने चाहिएं. इसका जवाब देते हुए दिल्ली पुलिस के अधिवक्ता जोहेब हुसैन ने कहा कि यूएपीए और पीएमएलए के तहत लिखित तौर पर गिरफ़्तारी का कारण देना अनिवार्य नहीं है. उन्होंने सीआरपीसी की धारा 50 का भी जिक्र किया. 

उन्होंने यह की कहा कि पंकज बंसल मामले का फैसला पीएमएलए के तहत एक विशेष मामले पर ही लागू होता है. गिरफ़्तारी के कारणों की सूचना देने का प्रावधान यूएपीए के तहत सभी मामलों पर समान रूप से नहीं लागू किया जा सकता. इसके जवाब में सिब्बल ने कहा कि चाहे पीएमएलए हो या यूएपीए, अगर आपके पास गिरफ़्तारी के कारण हैं तो आपको सूचना देनी ही पड़ेगी. आप सूचना को रख नहीं सकते. 

अब इस मामले में कोर्ट द्वारा फैसला सुरक्षित रख लिया गया है. 

आम चुनावों का ऐलान हो चुका है. एक बार फिर न्यूज़लॉन्ड्री और द न्यूज़ मिनट के पास उन मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए सेना प्रोजेक्ट्स हैं, जो वास्तव में आपके लिए मायने रखते हैं. यहां क्लिक करके हमारे किसी एक सेना प्रोजेक्ट को चुनें, जिसे समर्थन देना चाहते हैं.

Also see
article imageन्यूज़क्लिक मामला: आरोपपत्र दाखिल करने के लिए दिल्ली पुलिस को और 10 दिन का वक्त
article imageन्यूज़क्लिक मामला: एचआर प्रमुख रहे अमित चक्रवर्ती ने सुप्रीम कोर्ट से याचिका ली वापस 

Comments

We take comments from subscribers only!  Subscribe now to post comments! 
Already a subscriber?  Login


You may also like