आया राम-गया राम भाग 6: दूसरे चरण में पाला बदलने वाले 20 उम्मीदवार, 7 कांग्रेस से भाजपा में गए

2024 लोकसभा चुनावों में पाला बदलने वाले उम्मीदवारों की पड़ताल.

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26 अप्रैल को लोकसभा के दूसरे चरण में 13 राज्यों की कुल 89 सीटों पर मतदान हुआ. इस चरण के रिजल्ट से राहुल गांधी, भूपेश सिंह बघेल, हेमा मालिनी और अरुण गोविल जैसे कई धुरंधरों का भाग्य तय होगा.

दूसरे चरण में 20 उम्मीदवार ऐसे भी हैं जिन्होंने पाला बदला है. इनमें से 7 भाजपा में वहीं 9 कांग्रेस में हैं. भाजपा के सभी सात उम्मीदवार कांग्रेस से आए हैं. जबकि कांग्रेस के 9 में से 5 उम्मीदवार भाजपा से आए हैं. 

दूसरे चरण में असम, बिहार और महाराष्ट्र में एक-एक पाला बदलने वाले उम्मीदवार हैं. राजस्थान और कर्नाटक में चार-चार पाला बदलने वाले उम्मीदवार हैं. वहीं पश्चिम बंगाल, केरल और मध्य प्रदेश में क्रमशः दो-दो तो वहीं उत्तर प्रदेश में तीन ऐसे उम्मीदवार हैं. 

पहले चरण के पाला बदलने वाले नेताओं के बारे में जानने के लिए यहां पढ़ें.

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न्यूज़लॉन्ड्री की आया राम - गया राम शृंखला के छठे भाग में हम देखेंगे कि कांग्रेस को छोड़कर भाजपा का दामन थमने वाले दूसरे चरण में कौन-कौन से उम्मीदवार रहे. 

सुरेश बोरा

सुरेश बोरा असम के नौगांव से भाजपा के उम्मीदवार हैं. 

52 वर्षीय सुरेश राजनेता के साथ-साथ व्यापारी भी हैं. उनकी सिविल ठेकेदारी व शराब की दुकानें हैं. उन्होंने 12वीं तक की पढ़ाई की है. उनपर षड्यंत्र, धोखाधड़ी और जालसाजी का एक मुकदमा लंबित है.

बोरा ने पिछले साल यह कहकर कांग्रेस छोड़ दी थी कि “बदलते हुए हालात में इस्तीफा देना ही सबके हित में है”.

सुरेश बोरा कांग्रेस के नौगांव जिला कमेटी के अध्यक्ष पद पर पिछले साल नवंबर तक रहे. नवंबर में उन्होंने एक बेहद विनम्र नोट के साथ पार्टी छोड़ दी. नोट में उन्होंने मौके दिए जाने का धन्यवाद दिया साथ ही कहा कि “बदलते हालात में इस्तीफा देना ही हित में होगा”. 

इस सीट पर सुरेश बोरा की लड़ाई कांग्रेस से वर्तमान सांसद प्रद्युत बारदोलोई से है. प्रद्युत ने पिछली बार 2019 में इस सीट पर बड़े अंतर से जीत दर्ज किया थी. इस लोकसभा सीट पर 50 प्रतिशत मुस्लिम जनसंख्या होने के कारण एआईयूडीएफ के भी कड़ी टक्कर में होने की संभावना है. भूमि अधिकार यहां का प्रमुख मुद्दा है. 

गौरतलब है कि बोरा की संपत्ति 2021 में 37 करोड़ से 24 प्रतिशत बढ़कर 2024 में 46 करोड़ हो गई है. उनकी पत्नी के पास 53.72 लाख के जेवरात हैं. वे किसी भी सोशल मीडिया पर नहीं हैं. 

अनिल के. एंटनी

अनिल के. एंटनी केरल के पत्तनमटित्ता से भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. 

38 वर्षीय अनिल, पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी के पुत्र हैं. वे लोकसभा चुनाव के कुछ हफ्ते पहले ही भाजपा में शामिल हुए. उन्होंने गुजरात दंगों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका पर बनी बीबीसी की डाक्यूमेंट्री के विरोध में ट्वीट किया था. कांग्रेस द्वारा ट्वीट हटाने का दबाव बनाने पर उन्होंने पिछले साल जनवरी में कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था.

एंटनी पर कलामासेरी में हुए बम धमाके को इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष और फिलिस्तीनी मिलिटेन्ट ग्रुप हमास से जोड़ने के लिए मामला दर्ज किया गया था.

कांग्रेस में वे केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के डिजिटल मीडिया संयोजक और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के राष्ट्रीय संयोजक थे. उन पर कलामासेरी में हुए बम धमाके को इजरायल-फिलिस्तीन और फिलिस्तीनी मिलिटेन्ट ग्रुप हमास से जोड़ने के लिए एक मामला लंबित है. 

उनके पिता एके एंटनी ने लोकसभा चुनावों में उनको हराने की अपील की है. एंटनी ने ये कहा कि “कांग्रेस मेरा धर्म है” और मेरे बच्चों का भाजपा में शामिल होना “गलत” है. अनिल एंटनी के एक्स प्रोफाइल पर उनके नाम के साथ मोदी का परिवार लिखा है और मोदी की फोटो लगी हुई है. 

अनिल एंटनी पेशे से कंसल्टेंट हैं और दो कंपनियों, पीथिया डाटा व वज्र कंसल्टिंग, के निदेशक हैं. हलफनामे में उन्होंने अपनी कुल संपत्ति 1 करोड़ बताई है. 

डॉ के. सुधाकर 

डॉ के. सुधाकर कर्नाटक के चिकबलापुर से चुनाव लड़ रहे हैं. 

50 वर्षीय सुधाकर पेशे से डॉक्टर रहे हैं. वे उन 17 विधायकों में से हैं जो 2019 में ऑपरेशन कमल के दौरान भाजपा में चले गए थे जिसके बाद कांग्रेस-जेडीएस की सरकार गिर गई थी.

वे 2019 में ऑपरेशन कमल में शामिल विधायकों में से एक थे.

हालांकि, सुधाकर ने सिद्धरमैया की वजह से कांग्रेस छोड़ने का आरोप लगाया था. बाद में वे भाजपा की सरकार में मंत्री भी बने. उनके एक्स अकाउंट पर प्रधानमंत्री मोदी की तस्वीर है और नाम के साथ “मोदी का परिवार” लिखा है. 

उनके खिलाफ एक मानहानि का मुकदमा लंबित है. उनकी संपत्ति में व्यापक बढ़ोत्तरी हुई है. उनकी संपत्ति 2018 में 15 करोड़ से 120 गुना बढ़कर 2024 में 33 करोड़ हो गई है. 

राहुल सिंह लोधी 

राहुल सिंह लोधी मध्य प्रदेश के दमोह से भाजपा के उम्मीदवार हैं. 

40 वर्षीय राहुल विधानसभा चुनाव में हार के बाद 2020 में कांग्रेस से बगावत करके भाजपा में शामिल हो गए. 4 साल बाद मध्य प्रदेश में पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के विरोध के बावजूद उन्हें लोकसभा का टिकट दे दिया गया.

लोधी के ऊपर पार्टी के दिग्गज नेता प्रह्लाद सिंह पटेल और उमा भारती का हाथ बताया जाता है. 

लोधी पर पार्टी के दिग्गज नेता दमोह से पिछली बार जीते प्रह्लाद सिंह पटेल और पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती का हाथ बताया जाता है. प्रधानमंत्री मोदी ने भी उनकी सीट पर कैम्पैन किया है. यह सीट भाजपा 1989 के बाद कभी हारी नहीं है.  

लोधी अपने पूर्व सहयोगी और मित्र रहे कांग्रेस के तरवर सिंह लोधी के खिलाफ मैदान में हैं. उनपर कोई भी मुकदमा लंबित नहीं है. हैरतअंगेज बात है कि उनकी संपत्ति 8 करोड़ से 80 प्रतिशत घटकर 1.6 करोड़ हो गई है.    

अन्य भाजपा उम्मीदवारों के विपरीत लोधी की एक्स प्रोफाइल पर मोदी की शायद ही कोई तस्वीर है. उनके ज्यादातर ट्वीट और रिट्वीट क्षेत्र में लोगों से मिलने के हैं. उनके प्रोफाइल में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उमा भारती की तस्वीरें हैं. 

महेन्द्रजीत सिंह मालवीय 

महेन्द्रजीत सिंह मालवीय राजस्थान की आरक्षित सीट बांसवाड़ा से चुनाव लड़ रहे हैं. 

63 वर्षीय मालवीय पिछले 30 वर्षों से कांग्रेस के साथ थे. वे लोकसभा चुनावों के ऐन पहले कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आ गए. पेशे से किसान और व्यापारी रहे मालवीय कांग्रेस की राजस्थान सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं और लोकसभा में पार्टी का नेतृत्व भी कर चुके हैं. 

मालवीय दक्षिण राजस्थान में कांग्रेस के आदिवासी चेहरा थे. 

मालवीय ने कांग्रेस के साथ अपनी शुरुआत कॉलेज में एनएसयूआई से की थी. वे दक्षिण राजस्थान में पार्टी का आदिवासी चेहरा थे. उनकी बांसवाड़ा और जयपुर में जायदाद है. वे एक पेट्रोल पम्प के मालिक भी हैं. उनकी संपत्ति एक साल में 9 प्रतिशत बढ़ी है. 2023 में उनकी संपत्ति 11 करोड़ थी जो 2024 में 12 करोड़ हो गई है. 

भाजपा में शामिल होने के बाद उन्होंने अपना एक्स अकाउंट बनाया है. 

एस बलराज 

एस बलराज कर्नाटक की आरक्षित सीट चामराजनगर से चुनाव लड़ रहे हैं.  

58 वर्षीय बलराज ने अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत 1994 में कांग्रेस से की थी. वहां वे मैसूर और चामराजनगर के युवा कांग्रेस समिति के शीर्ष पदों पर रहे. वे तालुका कृषि उत्पाद सहकारी बाजार समिति के निदेशक भी रहे.

वे खुद को पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा का प्रशंसक कहते हैं.

खुद को पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के प्रशंसक बताने वाले बलराज 1999 में भाजपा में शामिल हो गए. 2009 में उन्होंने फिर से जनता दल (सेकुलर) में छलांग लगा ली. बाद में वे बीएस येदियुरप्पा के कर्नाटक जनता पक्ष में चले गए. उसके बाद वे कांग्रेस में भी गए. पर पिछले दो विधानसभा चुनावों में उन्हें टिकट नहीं मिला. अब वे भाजपा की टिकट पर चामराजनगर से चुनाव लड़ रहे हैं. 

हलफनामे के अनुसार, बलराज की व्यक्तिगत संपत्ति 2013 में 1 करोड़ से घटकर 2014 में 72 लाख हो गई. हालांकि उनकी पत्नी की संपत्ति 2.66 करोड़ थी. इनमें 42 लाख के गहने शामिल हैं. इंजीनियर से राजनेता बने बलराज के पास हिन्दू अविभाजित कुटुंब खाते में 2 करोड़ की अचल संपत्ति भी है. वे किसी भी सोशल मीडिया पर नहीं हैं. 

सी रघुनाथ 

सी रघुनाथ केरल के कन्नूर सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. 

67 वर्षीय रघुनाथ “कांग्रेस का कद्दावर” नेता थे. पिछले साल दिसंबर में वे पार्टी की वर्तमान स्थिति से “मोहभंग” होने का हवाला देकर अलग हो गए थे.

पिछले विधानसभा चुनावों में रघुनाथ वर्तमान मुख्यमंत्री पिनराई विजयन के खिलाफ धर्मटम से उम्मीदवार थे.

पिछले विधानसभा चुनावों में रघुनाथ वर्तमान मुख्यमंत्री पिनराई विजयन के खिलाफ धर्मटम से उम्मीदवार थे. उनपर जालसाजी, धोखाधड़ी, ठगी और आपराधिक षड्यंत्र के एक मुकदमे समेत दो मुकदमे दर्ज हैं. 

उनके हलफनामे के अनुसार उनकी संपत्ति 2024 में 1 करोड़ है.

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