लोकसभा चुनाव: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘नॉनवेज कार्ड’ का वोटरों पर कितना असर?

लोकनीति-सीएसडीएस के सर्वे की मानें तो जनता धार्मिक मुद्दों से इतर रोजमर्रा के मुद्दों पर वोट डालना चाहती लेकिन प्रधानमंत्री मोदी का भाषण चुनाव को धार्मिक मोड़ देने की कोशिश नजर आता है. 

WrittenBy:अनमोल प्रितम
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इस वक्त देश में 18वीं लोकसभा के लिए चुनाव प्रचार जारी है. इस बीच दो अहम चीजों ने ध्यान खींचा है. एक तरफ जनता के बीच का सर्वे है, जो बताता है कि इस चुनाव में जनता के लिए कौन सा मुद्दा कितना अहमियत रखता है. तो वहीं, दूसरी तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का वो भाषण है, जिसमें उन्होंने नॉनवेज खाने को सियासी रंग दे दिया है. 

दरअसल, बीते दिन जम्मू-कश्मीर में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने विपक्ष पर निशाना साधा. इस दौरान उन्होंने कहा, “ये लोग सावन में एक सजायाफ्ता, मुजरिम के घर जाकर मटन बनाकर मौज ले रहे हैं. इतना ही नहीं उसका वीडियो बनाकर देश के लोगों को चिढ़ाने का काम करते हैं. कानून किसी को भी कुछ भी खाने से नहीं रोकता है और न ही मोदी रोकता है. सभी को स्वतंत्रता है कि जब मन करे वेज खाए या नॉनवेज खाए लेकिन इन लोगों की मंशा दूसरी होती है. ये सावन के महीने में वीडियो दिखाकर, मुगलों की जो मानसिकता है ना उसके द्वारा वो देश के लोगों को चिढ़ाना चाहते हैं और अपनी वोट बैंक पक्की करना चाहते हैं.”

उधर, लोक नीति सीएसडीएस ने एक सर्वे जारी किया. यह सर्वे लोकसभा चुनाव से पहले का है. इसके मुताबिक, 27 प्रतिशत मतदाताओं के लिए चुनाव का मुद्दा बेरोजगारी, 23 प्रतिशत के लिए महंगाई और 13 फीसदी मतदाताओं के लिए चुनाव का मुद्दा विकास है जबकि केवल दो प्रतिशत मतदाताओं के लिए हिंदुत्व चुनावी मुद्दा है. 

सर्वे के आधार पर बात करें तो जनता धार्मिक मुद्दों से इतर रोजमर्रा के मुद्दों पर वोट डालना चाहती लेकिन प्रधानमंत्री मोदी का भाषण चुनाव को धार्मिक मोड़ देने की कोशिश नजर आता है. 

हमने इन्हीं दोनों विषयों को लेकर अवध-अमस एक्सप्रेस के जरिए दिल्ली से बिहार, पश्चिम बंगाल और असम जा रहे लोगों से बात की. हमने जानने की कोशिश की कि आखिर लोगों के लिए नॉनवेज मुद्दा है या फिर महंगाई, बेरोजगारी आदि. देखिए हमारी यह वीडियो रिपोर्ट.  

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