एएनआई का बिजनेस मॉडल: पॉडकास्ट, 'पीआर' करार और सत्ता से 'प्यार'

सरकार का चहेता बनने के लिए क्या करना पड़ता है? यह पता लगाने के लिए हमने एएनआई के पूर्व और वर्तमान कर्मचारियों से बात की.

एएनआई लोगो वाले व्यवसायी का चित्रण, जिसका मुखिया लैपटॉप पर स्क्रॉल कर रहा है.

12 फरवरी की दोपहर, कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने मीडिया से कहा कि वह उन्हें भारतीय जनता पार्टी के आर्थिक प्रदर्शन की 'सच्ची कहानी' बताने जा रही हैं.

दिल्ली में पार्टी मुख्यालय से संवाददाताओं को संबोधित करते हुए श्रीनेत ने 2004 से 2014 तक यूपीए सरकार के प्रदर्शन और भाजपा के प्रदर्शन की तुलना करने के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) से लेकर प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) प्रवाह तक के आंकड़े पेश किए. उन्होंने बताया कि इस तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अर्थव्यवस्था को 'गड़बड़' कर दिया है, जबकि वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने हाल ही में संसद में एक 'श्वेत पत्र' पेश किया था जिसमें दावा किया गया था कि यूपीए सरकार 'नाजुक' रही थी.

प्रेस कॉन्फ्रेंस ख़त्म हुई और पत्रकार माइक लेकर श्रीनेत की ओर बढ़े. इनमें एशियन न्यूज इंटरनेशनल या एएनआई भी शामिल थी. जो खुद को 'दक्षिण एशिया की अग्रणी मल्टीमीडिया एजेंसी' कहती है. एएनआई के रिपोर्टर ने श्रीनेत के भाषण को कवर करने के बाद चार सवाल पूछे- जो कि अर्थव्यवस्था, किसान विरोध, कांग्रेस छोड़ने वाले नेताओं से संबंधित थे. 

उस दिन एएनआई के एक्स पर 81 लाख फॉलोअर्स वाले मुख्य हैंडल ने 346 पोस्ट किए. श्रीनेत और उनकी प्रेस कॉन्फ्रेंस का इनमें कोई ज़िक्र नहीं था. एएनआई के विपरीत, इसके वीडियो प्रतिस्पर्धी पीटीआई ने श्रीनेत का वक्तव्य ट्वीट किया.

लेकिन यह बात न तो हैरान करने वाली है और न ही असामान्य है.

2014 से एएनआई की छवि असभ्य होने की हद तक सरकार समर्थक होने की रही है. सच तो ये है कि एजेंसी का झुकाव पहुंच और व्यापार के लिए हमेशा से सत्ता में बैठने वालों की ओर रहा है. इसके क्षेत्रीय एक्स खातों से हर दूसरा ट्वीट मुख्यमंत्रियों पर होता है.

आजादी के बाद से, एएनआई और उसके मालिकों ने युद्ध और शांति में भारत पर कब्जा कर लिया है. हम टीवी पर जो अधिकांश अभिलेखीय फुटेज देखते हैं, उसका संबंद्ध एएनआई से होता है. इसकी पुरानी छवि में यह तथ्य भी शामिल है कि इसने एक निलंबित आईएएस अधिकारी प्रदीप शर्मा का वीडियो साक्षात्कार चलाने का साहस किया, जिसने गुजरात के तत्तकालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके कैबिनेट सहयोगी अमित शाह पर कथित तौर पर एक महिला की जासूसी करने का आरोप लगाया था. उस समय शर्मा का साक्षात्कार नवीन कपूर ने किया था, जो अब एएनआई के राष्ट्रीय ब्यूरो प्रमुख हैं.

कपूर की एक्स प्रोफ़ाइल में अब मोदी की तस्वीर है, जो आज एजेंसी में मामलों की हालात को पूरी तरह दर्शाती है. एएनआई को किसी विपक्षी पार्टी द्वारा आयोजित किसी भी अन्य कार्यक्रम की तुलना में, मोदी की सार्वजनिक बैठकों और रैलियों के दौरान उनकी प्रशंसा करने वाले नागरिक मिलने की संभावना कहीं अधिक रहती है.

प्रमुख चुनावों के दौरान, मोदी एक हल्के-फुल्के इंटरव्यू के लिए एएनआई की ओर देखते हैं, जैसा कि उन्होंने साल 2014, 2019 और 2022 में किया था. अमित शाह को भी अहम मौकों पर एक मंच मिलता है, जैसे कि जब उन्होंने इस साल मार्च में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) नियमों को नोटिफाई करने के बाद 'मिथकों' को खारिज किया था. एएनआई की संपादक स्मिता प्रकाश एक पॉडकास्ट की मेजबानी भी करती हैं, जहां वह हर एक सत्ता-विरोधी आवाज के लिए चार सरकार समर्थक मेहमानों को आमंत्रित करती हैं. हालांकि, हम इस पर बाद में आएंगे. 

मोदी के भारत में सरकार के हर काम तक एएनआई की पहुंच अद्वितीय है. यह एकमात्र निजी मीडिया हाउस था जिसे जनवरी में राम मंदिर की प्रतिष्ठा के दौरान उसके गर्भगृह में प्रवेश की अनुमति दी गई. यह एकमात्र गैर-सरकारी मीडिया हाउस है जो मोदी के विदेशी दौरों पर उनके साथ उड़ान भरता है.

यही कारण है कि एएनआई ने 'हमेशा नरेंद्र के हित में' उपनाम अर्जित किया है.

आज एएनआई एक कुप्पी है, जो 400 से अधिक भारतीय समाचार चैनलों और 1,000 समाचार पत्रों को बाइट्स, कहानियां और वीडियो मुहैया कराता है. 2000 के दशक में 24x7 समाचार चैनलों के उत्थान के बाद, पत्रकारों, स्ट्रिंगरों और कैमरामैनों के विशाल नेटवर्क के साथ एएनआई का समाचार व्यवसाय पर निर्विवाद एकाधिकार है. अकेले दिल्ली में एएनआई से वेतन पाने वाले 60 से अधिक कैमरामैन हैं.

एएनआई यहां तक कैसे पहुंची? इस कहानी को समझने के लिए हमने एएनआई के करीब 16 पूर्व और वर्तमान कर्मचारियों से बात की.

न्यूज़लॉन्ड्री ने एएनआई का पक्ष जानने के लिए उसे करीब 24 प्रश्न भेजे. 

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