आया राम, गया राम भाग 4: तमिलनाडु के आधे से ज्यादा दलबदलू एनडीए में पहुंचे

2024 लोकसभा चुनावों में पाला बदलने वाले उम्मीदवारों की पड़ताल.

पार्टी लोगो और यूएनओ रिवर्स के साथ कार्ड का एक पैकेट खोलती एक महिला का चित्रण.

लोकसभा चुनावों के ठीक पहले तमिलनाडु में कई विपक्षी नेता भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में शामिल हो गए. भाजपा ने 2019 में तमिलनाडु की 5 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ा और किसी पर भी जीत नहीं मिली. 

इस बार राजग तमिलनाडु की सभी 39 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. मोदी सरकार द्वारा विपक्षी दलों के नेताओं पर दबाव बनाने के आरोपों के बीच कम से कम 15 पूर्व विधायक और एक पूर्व सांसद इस 'भगवा धड़े' में शामिल हो गए.

पिछले चार महीनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छह बार तमिलनाडु राज्य का दौरा किया. सातवां दौरा भी जल्दी ही होने की संभावना है. उन्होंने तमिल समाचार चैनल थांथी टीवी को चुनावों में सबसे पहला इंटरव्यू दिया. इस साक्षात्कार में उन्होंने 50 साल पुराने कच्चातिवु द्वीप के मामले को भी उठाया. 

गौरतलब है कि भाजपा का वोट शेयर तमिलनाडु में पिछले 20 साल में लोकसभा चुनावों में 5.5% से ज्यादा नहीं रहा है. पार्टी पिछले चार लोकसभा चुनावों में केवल एक सीट जीत सकी है. इस बार पार्टी ने टीआर पारिवेंदर, तमिलीसाई सुंदरराजन और के. अन्नामलाई जैसे दिग्गजों को मैदान में उतारा है. 

पहले चरण के कुल 18 पाला बदलने वाले उम्मीदवारों में से आठ तमिलनाडु से चुनाव लड़ रहे हैं. इनमें 3 एआईएडीएमके से, एक डीएमके से और चार भाजपा नेतृत्व वाले राजग से लड़ रहे हैं. 

राज्य में भाजपा का अबतक का प्रदर्शन इस तरह रहा है. 

पहले और दूसरे भाग में हमने राजस्थान, मेघालय, मिजोरम और बिहार के दल बदलने वाले उम्मीदवारों की पड़ताल की. तीसरे भाग में हमने एआईएडीएमके और डीएमके के पाला बदले उम्मीदवारों को देखा. अब जानते हैं कि तमिलनाडु में दल बदल कर राजग में शामिल होने वाले उम्मीदवार कौन-कौन हैं. 

केपी रामलिंङ्गम: पूर्व सांसद, लुटियन्स के निवासी

केपी रामलिंङ्गम नामक्कल लोकसभा सीट से भाजपा के उम्मीदवार हैं. 

68 वर्षीय रामलिङ्गम नामक्कल के मूल निवासी हैं. उन्होंने अपना पहला चुनाव एआईएडीएमके की टिकट पर 1980 के विधानसभा चुनावों में जीता. उसके बाद वे डीएमके में चले गए. बाद में, उन्हें पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण निकाल दिया दिया गया. उसके बाद 2020 में उन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया. जहां वर्तमान में वे प्रदेश उपाध्यक्ष हैं. 

वह पेशे से पशु चिकित्सक हैं. हालांकि, उन्होंने अपनी 55 लाख से ज्यादा की संपत्ति का स्रोत कृषि, किराया और पेंशन बताया है. 

रामलिङ्गम 2010 से 2016 तक राज्यसभा सांसद भी रहे. अपने चुनावी हलफनामे में पिछले दस सालों से उन्होंने अपना निवास स्थान लुटियन्स दिल्ली का एक बंगला बताया है. वे पेशे से पशु चिकित्सक हैं. हालांकि, उन्होंने अपनी 55 लाख से ज्यादा की संपत्ति का स्रोत कृषि, किराया और पेंशन बताया है. 2024 में उनकी कुल संपत्ति 4.35 करोड़ रुपये है. इसमें उनकी 3.52 करोड़ की चल संपत्ति भी है. उनकी पत्नी की संपत्ति भी उनकी संपत्ति के लगभग बराबर ही है.  उनपर ‘पूजास्थल तोड़ने’ और ‘क्षति पहुंचाने’ का एक मुकदमा लंबित है. 

उनके एक्स अकाउंट पर केपी रामलिङ्गम पूर्व-सांसद लिखा है. उनकी कवर तस्वीर पर प्रधानमंत्री मोदी के साथ उनकी ली गई तस्वीर है. उनकी सोशल मीडिया फीड पीएम नरेंद्र मोदी और भाजपा तमिलनाडु प्रमुख अन्नामलाई के जिक्र से भरी पड़ी है. उनकी पहली पोस्ट मार्च 2022 की है, जब उन्होंने तमिलनाडु भाजपा उपाध्यक्ष का पदभार लिया था.

पी सेंथिलनाथन : एआईएडीएमके से एएमएमके 

पी सेंथिलनाथन अम्मा मक्कल मुन्नेत्र कड़गम से तिरुचिरापल्ली के लोकसभा उम्मीदवार हैं.  

47 वर्षीय सेंथिलनाथन सभासद हैं और एएमएमके के तिरुची शहरी जिले के जिलासचिव हैं. वे यूनिवर्सिटी ऑफ वेल्स से एमबीए डिग्रीधारक हैं. उन्होंने अपने हलफनामे में कृषि तथा सूचना व संचार तकनीकी को अपना पेशा बताया है. इससे उन्हें 2023 वित्त वर्ष में 19 लाख रुपये की आय हुई. 2024 में इनकी कुल संपत्ति 7.04 करोड़ रुपये है. जिसमें से कृषि क्षेत्र समेत 6.75 करोड़ रुपये की इनकी जायदाद है. 

यूनिवर्सिटी ऑफ वेल्स से एमबीए डिग्री धारक सेंथिलनाथन ने कृषि और आईटी को अपना पेशा बताया.

तिरुची निवासी सेंथिलनाथन ने अपना राजनीतिक जीवन 1996 में एआईएडीएमके से शुरू किया. वहां वे 22 साल तक रहे. जब बाग़ी नेता टीटीवी दिनकरन ने एआईएडीएमके से अलग होकर एएमएमके बनाई तब सेंथिलनाथन भी उनके साथ चले गए. उनपर “गैरकानूनी ढंग से इकट्ठा होने और गलत तरीके से रोकने” का एक मुकदमा लंबित है. उनके हलफनामे पर 10 मतदाताओं के हस्ताक्षर हैं जिन्होंने उनके नामांकन को ‘प्रस्तावित’ किया.

न्यूजलॉन्ड्री को सोशल मीडिया पर उनकी कोई उपस्थिति नहीं मिली. हालांकि, वे नियमित रूप से समाचार चैनलों पर आते रहते हैं. अपने पहले लोकसभा चुनावों में वे जलिकट्टू समर्थक ऐक्टिविस्ट डी. राजेशन के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं. डी. राजेशन, सीमन के नेतृत्व वाली नाम तमिलर काची पार्टी के उम्मीदवार हैं. इस सीट पर उनका मुकाबला एमडीएमके के दुराई वाइको से भी है. दुराई वाइको पार्टी के संस्थापक वैयापुरी गोपालसामी ‘वाइको’ के बेटे हैं. 

एमडीएमके का डीएमके के साथ गठबंधन है. वहीं एएमएमके प्रमुख दिनाकरन ने भाजपा नेतृत्व वाले राजग से हाथ मिला लिया है. एएमएमके 2019 लोकसभा चुनावों में एसडीपीआई के साथ गठबंधन में थी. भाजपा ने पहले दिनाकरन पर घूस लेने का आरोप लगाया था. वहीं दिनाकरन ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अपमान करने के लिए भाजपा की आलोचना की थी. 

टीआर पारिवेंदर: शिक्षा उद्यमी

टीआर पारिवेंदर पेरांबूर से इंडिया जननायक दल (आइजेके) के लोकसभा प्रत्याशी हैं. इस चुनाव में आइजेके भाजपा के नेतृव वाले एनडीए घटक का हिस्सा है.

82 वर्षीय पारिवेंदर तमिलनाडु में जाना-पहचाना चेहरा हैं. उन्हें एसआरएम शैक्षिक संस्थान समूह के संस्थापक के तौर पर जाना जाता है. वे 2014 में राजनीति में आए. उन्होंने आइजेके की स्थापना की. आइजेके का मुख्य उद्देश्य ‘भ्रष्टाचार और असामाजिक गतिविधियों’ को मिटाना था. 

पारिवेंदर के जीवन में एक चीज सतत रही तो वो है उनकी संपदा. वर्तमान में उनकी संपत्ति रुपये 92 करोड़ है. 

इसके बाद से उनकी राजनीति अप्रत्याशित ही रही. 2014 के आम चुनावों में वे भाजपा की टिकट पर पेरांबूर से चुनाव लड़े और दो लाख वोटों से हारे. 2016 के विधानसभा चुनावों में उनकी पार्टी ने भाजपा से गठबंधन किया और फिर से चुनाव लड़े. उन्हे एक भी सीट पर जीत नहीं मिली. इससे हताश होकर पार्टी ने 2019 आम चुनावों में डीएमके से गठबंधन किया. पारिवेंदर खुद डीएमके की टिकट पर लड़े. अततः उनका भी सूरज चमका. उन्होंने अपनी पहली जीत बहुत बड़े अंतर से दर्ज की. 

शायद पारिवेंदर इस बार अपनी जीत को लेकर आश्वस्त हैं. वे इस बार वापस भाजपा के साथ लौट आए हैं. वे इस बार भी पेरांबूर से चुनाव लड़ रहे है. एनडीए में शामिल होने के कुछ हफ्तों बाद ही उन्होंने कच्चातिवु के मसले पर डीएमके के प्रमुख करुणानिधि पर निशाना साधा. उन्होंने दावा किया कि करुणानिधि ने इस मामले में कभी भी कोई दिलचस्पी नहीं ली और द्वीप को श्रीलंका को दे दिया जाने दिया. 

पारिवेंदर के जीवन में एक चीज सतत रही तो वो है उनकी संपदा. वर्तमान में उनकी संपत्ति 92 करोड़ रुपये है. 

ओ पन्नीरसेलवम: 2 बार के मुख्यमंत्री, अब भाजपा के सहयोगी

ओ पन्नीरसेलवम रामनाथपुरम लोकसभा सीट से भाजपा समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार हैं. हालांकि, उनका राजनीतिक जीवन काफी उतार-चढ़ावों से भरा रहा है. वे कभी जयललिता का दायां हाथ हुआ करते थे. जयललिता के दो बार पद छोड़ने पर उनकी जगह मुख्यमंत्री भी बने. 

जुलाई 2022 में , दिग्गज नेता को एआईएडीएमके से “पार्टी विरोधी गतिविधि” के आरोप पर निकाल दिया गया था. 

दरअसल, 73 वर्षीय पन्नीरसेलवम 1973 में एआईएडीएमके में आए. करीब 49 साल तक पार्टी में रहे. साल 2001 से 2002 और फिर 2014-2015 में दो बार मुख्यमंत्री बने. हालांकि, जुलाई 2022 में उन्हें पार्टी विरोधी गतिविधि के कारण निकाल दिया गया.

उनका निष्कासन जयललिता के मृत्यु के 6 साल बाद आया. इसके थोड़े दिनों बाद ही उन्हें मुख्यमंत्री के पद से हटा दिया गया. दिग्गज नेता पन्नीरसेलवम का सफर नगर निकाय के चेयरमैन पद से तमिलनाडु के महत्वपूर्ण राजनेता के रूप में पहुंचने का था. वे अपने निष्कासन के खिलाफ शीर्ष अदालत में गए. उन्हें तगड़ा झटका तब लगा जब मद्रास उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय का फैसला भी उनके खिलाफ और पलानिस्वामी के पक्ष में आया. फैसले के मुताबिक पालनिस्वामी, एआईएडीएमके का सचिव बने रहे. 

कथित तौर पर पन्नीरसेलवम भाजपा को रिझा रहे थे. जबकि भाजपा अपने पूर्व सहयोगी एआईएडीएमके से दोबारा गठबंधन करने के लिए तत्पर थी. मार्च में पलानिस्वामी ने ये साफ कर दिया कि उनका दल भाजपा से गठबंधन नहीं करेगा. इसके बाद भाजपा ने पन्नीरसेलवम और उनके धड़े से बातचीत शुरू की. 

पन्नीरसेलवम अब भाजपा के समर्थन से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं. कथित रूप से, वे भाजपा के संकोच से ‘व्यथित’ थे. उन्होंने पलानिस्वामी पर हमला भी बोला. उन्होंने कहा कि पलानिस्वामी पार्टी को एक ‘तानाशाह’ की तरह चला रहे हैं. उन्होंने कच्चातिवु द्वीप को वापस लाने का भी वादा किया. सोशल मीडिया अकाउंट पर उनकी रैली और सभा के वीडियो देखकर ये पता चलता है कि वे जोरशोर से चुनाव प्रचार में जुटे हुए हैं. 

चुनावी हलफनामे के मुताबिक, पन्नीरसेलवम के पास कोई शैक्षिक योग्यता नहीं है. उनकी संपत्ति में पिछले 15 सालों में 1614 प्रतिशत का इजाफा देखने को मिला है. साल 2011 में 35 लाख वाली संपत्ति साल 2024 तक 6 करोड़ हो गई. 

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