नेताओं के ‘चंदा’ मामा की जानकारी सार्वजनिक, हिंदी के प्रमुख अखबारों पर एक नजर

आइए एक नजर डालते हैं हिंदी के प्रमुख अखबारों के पहले पन्ने पर ताकि पता चल सके कि अखबारों ने इस ख़बर को कितना महत्व दिया.

हिंदी के प्रमुख अखबारों की सुर्खियां

चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार गुरुवार की देर शाम को इलेक्टोरल बॉन्ड्स से जुड़ा डाटा सार्वजनिक कर दिया. 763 पन्नों के इस डाटा में इलेक्टोरल बॉन्डस खरीदने वालों और उसे भुनाने वाली पार्टियों की जानकारी शामिल है. हालांकि, किसने किसको कितना चंदा दिया. इसका खुलासा अभी डाटा में नहीं है क्योंकि इलेक्टोरल बॉन्ड्स का नंबर जारी नहीं किया गया है. राजनीतिक पार्टियों के चंदा लेने की इस व्यवस्था को सुप्रीम कोर्ट ने अंसवैधानिक करार दिया था. कोर्ट का मानना साफ था कि जनता को पता होना चाहिए कि किसने किस पार्टी को कितना चंदा दिया. ऐसे में डाटा सार्वजनिक होने के बाद हर ओर इसकी चर्चा हो रही है. लोगों में उत्सुकता है कि वो कौन लोग हैं, जिन्होंने करोड़ों रुपयों में पार्टियों को चंदा दिया और क्या उन्हें इसके बदले कुछ मिला भी..

ऐसे में हमने जानने की कोशिश की कि आखिर देश में सबसे बड़ी प्रसार संख्या से लेकर नंबर वन और देश के सबसे विश्वसनीय होने का दावा करने वाले हिंदी अखबारों ने इस मामले को कितना महत्व दिया. 

आइए एक नजर डालते हैं हिंदी के प्रमुख अखबारों के पहले पन्ने पर ताकि पता चल सके कि अखबारों ने इस जानकारी को कितना महत्व दिया.

दैनिक जागरण

सबसे ज्यादा पढ़े जाने का दावा करने वाले देश के प्रमुख अखबार दैनिक जागरण के लिए इलेक्टोरल बॉन्ड का डाटा सार्वजनिक होना बहुत ही आम ख़बर है. जिसे पहले पन्ने के एक  कोने में छोटे से कॉलम में समेट दिया गया. वो भी मात्र चंद शब्दों में.

अखबार के पहले पन्ने पर कोने में छपी इलेक्टोरल बॉन्ड्स की ख़बर

अखबार के लिए आज की बड़ी सुर्खी देश में एक साथ चुनाव कराए जाने को लेकर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नेतृत्व वाली कमेटी द्वारा रिपोर्ट सौंपे जाना है. इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण, गृहमंत्री अमित शाह का सीएए को लेकर बयान, पेट्रोल-डीजल के दामों में मात्र दो रुपये की कटौती, नए चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति और यहां तक कि दूसरे की जगह परीक्षा देने वाले आईएएस को सजा की ख़बर को भी पहले पन्ने पर भरपूर शब्द और स्थान मिले हैं. लेकिन इलेक्टोरल बॉन्ड्स की ख़बर को एक कॉलम की भी जगह नहीं मिली है. 

अमर उजाला 

अमर उजाला अखबार का पहला पन्ना

अमर उजाला अखबार ने पेट्रोल-डीजल के दामों में दो रुपये की कटौती को पहली सुर्खी बनाया है. वहीं, इलेक्टोरल बॉन्ड्स खरीदे जाने की जानकारी सार्वजनिक होने को अखबार ने दूसरी प्रमुख ख़बर के तौर पर प्रस्तुत किया है. अखबार ने ख़बर में देश के शीर्ष 10 चुनावी दानकर्ताओं की भी सूची दर्शाई है. ख़बर के मुताबिक, योजना के तीन शीर्ष खरीदारों ने ही कुल 2744 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे हैं. 

हिंदुस्तान 

अखबार का पहला पन्ना

हिंदुस्तान अखबार ने इलेक्टोरल बॉन्ड्स के जरिए चुनावी चंदे के आंकड़े जारी होने को पहली सुर्खी बनाया है. अखबार ने 5 कॉलम और करीब आधे पन्ने में इस ख़बर को प्रकाशित किया है. अखबार ने पांच प्रमुख दानकर्ताओं और किस पार्टी को कितने बॉन्ड मिले इसकी भी जानकारी साझा की है. खब़र के मुताबिक, राजनीतिक दलों को चंदा देने वालों में स्टील टाइकून लक्ष्मी मित्तल से लेकर एयरटेल के प्रवर्तक अरबपति सुनील भारती मित्तल तक शामिल हैं. 

दैनिक भास्कर

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दैनिक भास्कर अखबार ने इलेक्टोरल बॉन्डस की जानकारी सार्वजनिक होने को अपनी पहली सुर्खी बनाया है. भास्कर ने इसके लिए एक चुटीला शीर्षक भी दिया है- नेताओं के ‘चंदा’ मामा. ख़बर के मुताबिक, निर्वाचन आयोग ने सुप्रीम कोर्ट की तय समय सीमा से एक दिन पहले डाटा सार्वनजिक कर दिया. इसमें बॉन्ड खरीद की तारीख, खरीदार के नाम, भुनाने की तारीख, भुनाने वाले राजनीतिक दल का नाम और बॉन्ड की रकम शामिल है. 

अखबार ने लिखा है कि भाजपा को 1-1 करोड़ कीमत वाले 5854 बॉन्ड मिले हैं. 

जनसत्ता 

अखबार का पहला पन्ना

जनसत्ता अखबार ने एक देश, एक चुनाव की सिफारिश, नए चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति और इलेक्टोरल बॉन्ड का डाटा सार्वजनिक होने को लगभग बराबर महत्व दिया है. तीनों ही ख़बरों को तीन-तीन कॉलम की जगह मिली है. हालांकि, पहली सुर्खी एक देश-एक चुनाव की सिफारिश नजर आती है. ख़बर के मुताबिक, अधिकांश बॉन्ड जहां राजनीतिक दलों के नाम जारी किए गए. वहीं, कांग्रेस और समाजवादी पार्टी को दिया गया चंदा अध्यक्ष, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी और अध्यक्ष, समाजवादी पार्टी के नाम पर दिया गया. 

इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए चंदा देने वाली दस शीर्ष कंपनियों के बारे में जानने के लिए ये रिपोर्ट पढ़िए.

चंदे की कहानी पढ़ने के लिए यहां क्लिक करे.

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