30 कंपनियों के भाजपा को चंदा देने के एक पैटर्न के बाद हमें ऐसे 15 दानकर्ता और मिले जिनमें से चार तो फिलहाल शेल कंपनियां हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने 15 फरवरी को चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द करना का फैसला सुनाया. अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक दलों को चंदा देने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली शेल या जाली कंपनियों को लेकर चुनाव आयोग की चिंताओं का भी हवाला दिया.
न्यूज़लॉन्ड्री ने अपनी पड़ताल में पाया है कि करीब चार शेल कंपनियों ने वित्तीय वर्ष 2013-14 और 2022-23 के बीच भाजपा को कुल 4.94 करोड़ रुपये का चंदा दिया था. ये कंपनियां साल 2017 में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा जारी 300 शेल कंपनियों की सूची में शामिल हैं. हालांकि, इनमें से दो ने शेल कंपनियों के रूप में सूचीबद्ध होने से पहले भाजपा को दान दिया था.
फिलहाल, इन चारों को ही सेबी की शेल कंपनियों की उस सूची से हटाया जाना बाकी है, जिसमें इन पर व्यापारिक प्रतिबंध लगाए गए थे.
लेकिन बात यहीं खत्म नहीं होती है.
पिछले पांच वित्तीय वर्षों के दौरान केंद्रीय एजेंसी की कार्रवाई और 30 कंपनियों द्वारा भाजपा को 335 करोड़ रुपये के दान के बीच एक प्रत्यक्ष पैटर्न पर रिपोर्ट करने के लगभग एक महीने बाद, अब हमें 11 अन्य कंपनियां मिली हैं जिन्होंने 2016-17 से 2022-23 तक भाजपा को 68.67 करोड़ रुपये का दान दिया, और इसी अवधि के दौरान केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई का सामना भी किया.
न्यूज़लॉन्ड्री ने इन 11 कंपनियों में से हर एक से ईमेल के ज़रिये संपर्क करने के कई प्रयास किए. ऐसे मामलों में जहां हम उनके खिलाफ केंद्रीय एजेंसी की कार्रवाई की मौजूदा स्थिति स्थापित नहीं कर सके, हमने कंपनियों से मामलों की स्थिति के बारे में पूछा और संबंधित एजेंसियों को प्रश्नावली भी भेजी. यदि वे जवाब देते हैं तो उन्हें भी रिपोर्ट में जोड़ दिया जाएगा.
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