दिन ब दिन की इंटरनेट बहसों और खबरिया चैनलों के रंगमंच पर संक्षिप्त टिप्पणी.
देश में चुनावी युद्ध के बादल मंडराने लगे थे, पाले खिंच रहे थे, चुनावी महाभारत के योद्धाओं ने एक दूसरे पर हमले भी शुरू कर दिए थे. चुनावी धमक दरबार तक भी पहुंची थी. धृतराष्ट्र आर्यावर्त के इस मेगा उत्सव की हर खबर जानने को बेचैन थे. धृतराष्ट्र ने खास तौर से सभी दरबारियों को उपस्थित रहने का आदेश दिया था. तो क्या कुछ हुआ इस खास दरबार में. देखिए धृतराष्ट्र संजय संवाद में.
काफी दिनों से एक उहापोह थी कि टिप्पणी का एक लोकप्रिय हिस्सा बंद करना पड़ेगा. इस सेगमेंट का नाम था इतिहास का अंड-बंड संस्करण. बहुत दिनों से इसका कोई योग्य उम्मीदवार नहीं मिल रहा था. फिर अचानक से रणदीप हुड्डा का आगमन हुआ. इनकी एक फिल्म आई है स्वातंत्र्य वीर सावरकर. रणदीप बाबू को मुगालता हो गया कि फिल्म बनाने से ही कोई इतिहासकार और जानकार भी बन जाता है. हुड्डाजी ने न्यूज़ 24 पर चाय वाला इंटरव्यू दिया. न जाने उन्हें कौन सी अफीम वाली चाय पिलाई गई जो हुड्डा ने अंड-बंड दावे कर डाले.
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