कलियुग के कृष्ण-सुदामा और राजा भीरु भुसुंडी

दिन ब दिन की इंटरनेट बहसों और खबरिया चैनलों के रंगमंच पर संक्षिप्त टिप्पणी.

WrittenBy:अतुल चौरसिया
Date:
   

बीते कुछ समय में देश की शीर्ष अदालतों ने देशवासियों के मनरंजन का पर्याप्त उपाय किया. एक तरफ देश का सर्वोच्च न्यायालय था, जो देश में लोकतंत्र को बचाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाए हुए था. दूसरी तरफ कोलकाता का हाईकोर्ट था जहां शेर-शेरनी के नाम पर पूरी संवेदनशीलता के साथ सुनवाई हुई क्योंकि विश्व हिंदू परिषद वालों की भावना आहत हो गई थी. राष्ट्रीय महत्व का यह मुद्दा एक शेरनी के नाम से पैदा हुआ था.

मोदीजी ने इसी आपाधापी के बीच एक बड़ी उलझन से सबको उबार लिया. सबको यह तो पता था कि वो अवतार हैं. लेकिन कौन से अवतार हैं यह नहीं पता चल पा रहा था. अच्छी बात यह है कि उन्होंने यह बात बरास्ते सुप्रीम कोर्ट स्पष्ट की है इसलिए शको सुबहे की कोई संभावना ही नहीं रही. 

साथ में इस हफ्ते सुनिए राजा भीरु भुसुंडी की कहानी और मीडिया के सीले हुए बिस्कुट के शर्मनाक कारनामे पर खास टिप्पणी.

बीते कुछ समय में देश की शीर्ष अदालतों ने देशवासियों के मनरंजन का पर्याप्त उपाय किया. एक तरफ देश का सर्वोच्च न्यायालय था, जो देश में लोकतंत्र को बचाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाए हुए था. दूसरी तरफ कोलकाता का हाईकोर्ट था जहां शेर-शेरनी के नाम पर पूरी संवेदनशीलता के साथ सुनवाई हुई क्योंकि विश्व हिंदू परिषद वालों की भावना आहत हो गई थी. राष्ट्रीय महत्व का यह मुद्दा एक शेरनी के नाम से पैदा हुआ था.

मोदीजी ने इसी आपाधापी के बीच एक बड़ी उलझन से सबको उबार लिया. सबको यह तो पता था कि वो अवतार हैं. लेकिन कौन से अवतार हैं यह नहीं पता चल पा रहा था. अच्छी बात यह है कि उन्होंने यह बात बरास्ते सुप्रीम कोर्ट स्पष्ट की है इसलिए शको सुबहे की कोई संभावना ही नहीं रही. 

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