किसान आंदोलन खत्म करने पर केंद्र सरकार ने वादा किया था कि आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज एफआईआर वापस कर लिए जाएंगे. सूचना का अधिकार कानून के तहत मिली जानकारी से पता चला कि ऐसा नहीं हुआ.
किसान आंदोलन खत्म होने की घोषणा के बीच 9 दिसंबर 2021 को कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के तत्कालीन सचिव संजय अग्रवाल ने एक पत्र संयुक्त किसान मोर्चा को लिखा. जिसमें आंदोलन वापस लेने से जुड़ी शर्तों पर सहमति का जिक्र था.
इस पत्र के दूसरे पॉइन्ट में लिखा है कि किसान आंदोलन के दौरान भारत सरकार के संबंधित विभाग और एजेंसियों तथा दिल्ली सहित सभी संघ शासित राज्यों में आंदोलनकारियों एवं समर्थकों पर लगाए गए आंदोलन संबंधित सभी केस भी तत्काल प्रभाव से वापस लेने की सहमति बनी है. ये सभी केस वापस लिए जाएंगे.
दो साल बाद 22 नवंबर 2023 को हरियाणा के रोहतक जिले के रहने वाले भारतीय किसान यूनियन के नेता वीरेंद्र सिंह को दिल्ली पुलिस का एक नोटिस मिला. यह नोटिस सिविल लाइन्स थाने की तरफ से जारी किया गया था.
यह नोटिस 26 नवंबर 2020 (जिस रोज किसान आंदोलन करने के लिए दिल्ली आए थे) को सिविल लाइन्स थाने में दर्ज एफआईआर संख्या 522/2020 को लेकर जारी हुआ था. इस नोटिस में कहा गया कि आपको पूछताछ के लिए 24 नवंबर 2023 को सिविल लाइन्स थाने आना पड़ेगा.
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Contributeदिल्ली पुलिस, सिंह को यह नोटिस देने रोहतक गई थी. हालांकि वो पुलिस के सामने पूछताछ के लिए उपस्थित नहीं हुए. आईपीसी की धारा 188 (महामारी एक्ट का उल्लंघन), 51 डीएमएसीटी, और 3 ईडी एक्ट के तहत दर्ज एफआईआर में सिंह के साथ कई अन्य लोग भी नामजद हैं.
नोटिस भेजने वाले जांच अधिकारी, एएसआई अरुण सिंह न्यूज़लॉन्ड्री को बताते हैं, ‘‘सिंह के नेतृत्व में कई लोग किसान आंदोलन में शामिल होने जा रहे थे. इन्हें एक गुरूद्वारे में रोका गया था, उसी पर यह मामला दर्ज हुआ है.’’
यह इकलौता मामला नहीं है जब किसान आंदोलन के दौरान दर्ज हुए मामलों को लेकर किसान नेताओं को नोटिस भेजा गया या उन्हें विदेश यात्रा से रोका गया. अभी भी दिल्ली पुलिस में किसान आंदोलन के दौरान दर्ज हुईं एफआईआर पर जांच जारी है. गाहे-बगाहे इसको लेकर आंदलोनकारियों को नोटिस भेजे जाते हैं.
न्यूज़लॉन्ड्री को सूचना का अधिकार कानून (आरटीआई) के तहत दिल्ली पुलिस से प्राप्त जानकारी के मुताबिक किसान आंदोलन के दौरान (26 नवंबर 2020 से 09 दिसंबर 2021) 42 एफआईआर किसानों पर दर्ज हुए थे. जबकि 201 लोगों को गिरफ्तार किया गया. इन मामलों में किसी भी केस को वापस लेने की जानकारी दिल्ली पुलिस ने आरटीआई में नहीं दी है.
आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक किसान आंदोलन के दौरान नॉर्थ-वेस्ट डिस्ट्रिक में पांच, आउटर में 11, शाहदरा में एक, द्वारका में दो, आउटर नॉर्थ में दस, नई दिल्ली में दो, नॉर्थ में पांच, वहीं क्राइम ब्रांच में अलग-अलग जिलों से छह एफआईआर ट्रांसफर हुए जिसमें से दो नॉर्थ डिस्ट्रिक्ट के हैं.
हमने आरटीआई के जरिए यह भी पूछा कि क्या गृह मंत्रालय या कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की तरफ से किसानों पर दर्ज एफआईआर वापस लेने को लेकर कोई आदेश प्राप्त हुआ? अगर हां, तो अब तक कितने केस वापस हुए हैं. इन दोनों सवालों के जवाब में दिल्ली पुलिस के अलग-अलग जिलों के पीआईओ ने ‘निल’ बताया.
दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच के आरटीआई विभाग के एक अधिकारी से जब हमने पूछा कि ‘निल’ जवाब का मतलब क्या है? वो कहते हैं, ‘‘हमें ऐसा आदेश प्राप्त नहीं हुआ है. जो एफआईआर दर्ज हुए हैं उस पर जांच चल रही है.’’
दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच की तरफ से डिप्टी कमिश्नर और सूचना अधिकारी अंकित सिंह ने जो जानकारी न्यूज़लॉन्ड्री को दी है. उसमें बताया है कि 26 नवंबर 2020 से 9 दिसंबर 2021 तक कुल छह एफआईआर अलग-अलग जिलों से ट्रांसफर होकर क्राइम ब्रांच में आई हैं. इन छह एफआईआर में अभी इन्वेस्टिगेशन या ट्रायल पेंडिंग हैं. इन छह मामलों में 37 लोग गिरफ्तार हुए थे. ये सभी जमानत पर बाहर हैं.
विदेश जाने पर किसान नेताओं को रोका गया
29 नवंबर 2023 को भारतीय किसान यूनियन के जनरल सेक्रेटरी युद्धवीर सिंह लैटिन अमेरिका के कोलंबिया में आयोजित इंटरनेशनल किसान सम्मेलन में शामिल होने जा रहे थे. उन्हें दिल्ली एयरपोर्ट पर रोक लिया गया और कहा गया कि आप पर किसान आंदोलन के दौरान एफआईआर दर्ज हुई है, जिसे लेकर लुक आउट नोटिस जारी है.
बता दें कि लुकआउट नोटिस, कानून की गिरफ्त से फरार अपराधियों को गिरफ्तार करने के लिए जारी किया जाता है.
सिंह जिस फ्लाइट से जाने वाले थे उससे नहीं जा पाए. इस खबर के आने के बाद संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं और समर्थकों ने जगह-जगह प्रदर्शन किया. इसके बाद उन्हें दूसरे दिन जाने की इजाजत मिली.
युद्धवीर सिंह न्यूज़लॉन्ड्री से बात करते हुए कहते हैं, ‘‘रात के एक बजे मुझे इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट पर इमिग्रेशन वालों ने यह कहकर रोक लिया कि मेरे खिलाफ लुक आउट नोटिस जारी है. मैं विदेश नहीं जा सकता. लिखित में उन्होंने मुझे कुछ भी नहीं दिया. सुबह के दस बजे तक वो मुझे बैठाए रखे. हालांकि अगले दिन मैं सम्मेलन में शामिल होने गया.’’
सिंह को यह भी नहीं पता कि उनपर किसान आंदोलन के दौरान किस थाने में कौन सी एफआईआर दर्ज है. वो कहते हैं, ‘‘मुझे पता नहीं है कि मुझ पर कब एफआईआर दर्ज हुई है. कभी पुलिस पूछताछ करने भी नहीं आई और न ही कोई नोटिस दिया है. देर रात को अचानक से मुझे एयरपोर्ट पर रोक दिया गया.’’
युद्धवीर सिंह की तरह ही भारतीय किसान यूनियन के नेता अर्जुन बालियान को भी नेपाल जाने से रोक दिया गया था. 7 दिसंबर 2022 को वो भी किसानों के एक सम्मेलन में शामिल होने जा रहे थे. उनके साथ कई अन्य लोग भी थे. शाम चार बजे के करीब इन्हें भी इमिग्रेशन के अधिकारीयों ने लुक आउट नोटिस जारी होने की बात कहकर यात्रा करने से रोक दिया. इन्हें देर रात दस बजे तक एयरपोर्ट पर बैठाए रखा. आखिरकार ये नेपाल की यात्रा नहीं कर पाए.
किसानों पर दर्ज एफआईआर वापस लेने को लेकर कांग्रेस के राज्यसभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने संसद में सवाल पूछा था. दिसंबर 2022 में लिखित जवाब में तत्कालीन केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया था कि गृह मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार किसानों पर दर्ज मुकदमें वापस लेने के लिए 86 मामले प्राप्त हुए हैं और गृह मंत्रालय ने इनपर सहमति बनाई है. इसके अलावा रेल मंत्रालय ने किसान आंदोलन के दौरान रेलवे सुरक्षा बल द्वारा दर्ज सभी मामलों को वापस लेने का निर्देश जारी किया है.
हुड्डा ने वापस किए गए मुकदमें का राज्यवार ब्यौरा भी मांगा था, लेकिन यह जानकारी कृषि मंत्री ने अपने जवाब में नहीं दी.
न्यूज़लॉन्ड्री को आरटीआई से प्राप्त जानकारी और समय-समय पर किसान नेताओं को भेजने वाले लुक आउट नोटिस से पता चलता है कि दिल्ली में किसानों पर दर्ज मामले वापस नहीं हुए हैं.
युद्धवीर सिंह कहते हैं, ‘‘सरकार ने लिखित में केस वापस लेने के लिए वादा किया था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. ऐसे में सरकार पर कोई कैसे भरोसा करेगा. सरकार भरोसा तोड़ रही है.’’
किसानों पर दर्ज एफआईआर वापस लेने को लेकर मिले किसी आदेश और वापस हुए मामले से संबंधित जानकारी को लेकर न्यूज़लॉन्ड्री ने दिल्ली पुलिस की पीआरओ सुमन नालवा को कुछ सवाल भेजे हैं लेकिन उनका जवाब नहीं आया.
वहीं भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत केस वापस नहीं लेने के सवाल पर कहते हैं, ‘‘सरकार ने लिखित में वादा किया था. अब अगर मामले वापस नहीं लिए हैं तो क्या कर सकते हैं. यह वादाखिलाफी है. सरकार कुछ भी कर सकती है. अभी हमारे लोगों को परेशान नहीं किया जा रहा है. जब पुलिस परेशान करेगी तो हम जवाब देंगे.’’
इस संबंध में न्यूज़लॉन्ड्री ने कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के सचिव मनोज आहूजा से संपर्क किया. उनके दफ्तर से बताया गया कि इस मामले को सहायक सचिव शुभा ठाकुर देख रही हैं. आप उनसे संपर्क कीजिए. उनके दफ्तर से सपर्क करने पर कहा गया कि आप सवाल मेल कर दें. हमने दोनों को सवाल भेजे हैं जवाब आने पर ख़बर में जोड़ दिया जाएगा.
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