अरविंद केजरीवाल को पहली बार 2019 में अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट द्वारा समन जारी किया गया था.
दिल्ली हाईकोर्ट ने यूट्यूबर ध्रुव राठी द्वारा 'भाजपा आईटी सेल पार्ट 2' शीर्षक वाले वीडियो को रीट्वीट करने के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ आपराधिक मानहानि के मामले को रद्द करने से इनकार कर दिया है. बता दें कि यह मामला विकास सांकृत्यायन उर्फ विकास पांडे द्वारा दायर किया गया था. पांडे पीएम मोदी का समर्थक होने का दावा करते हैं और सोशल मीडिया पेज 'आई सपोर्ट नरेंद्र मोदी' के संस्थापक हैं.
वीडियो में ध्रुव राठी ने कहा था कि पांडे भाजपा आईटी सेल का हिस्सा थे और उन्होंने एक बिचौलिए के माध्यम से महावीर प्रसाद नाम के एक व्यक्ति को यह आरोप वापस लेने के लिए 50 लाख रुपए की पेशकश की थी कि भाजपा का आईटी सेल फर्जी और झूठी खबरें फैलाता है. इस वीडियो को अरविंद केजरीवाल ने रीट्वीट किया था.
इसके बाद पांडे ने कहा कि केजरीवाल ने 7 मई 2018 को उस वीडियो को रीट्वीट किया था जिसमें उनके खिलाफ झूठे और मानहानिकारक आरोप थे. उन्होंने आरोप लगाया कि केजरीवाल ने आरोपों की सत्यता जांजे बिना ही वीडियो रिट्वीट किया, उन्हें करोड़ों लोग फॉलो करते हैं.
इस मामले में केजरीवाल को अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने 17 जुलाई 2019 को समन जारी किया था. इसके खिलाफ सत्र अदालत का दरवाजा खटखटाया लेकिन अदालत ने समन को रद्द करने से इनकार कर दिया. इसके बाद केजरीवाल ने मजिस्ट्रेट और सत्र अदालत के आदेशों को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया.
बार एंड बेंच की ख़बर के अनुसार, अदालत ने सुनवाई करते हुए कहा, "अपमानजनक सामग्री को रीट्वीट करना मानहानि के समान है."
इस पर उनके वकील ने दलील दी कि ऐसा कोई सबूत नहीं है कि केजरीवाल ने पांडेय की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने की मंशा से वीडियो को रीट्वीट किया इसलिए मानहानि का कोई मामला नहीं बनता है.