2019 में राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद पर फैसला आने के बाद यहां जमीन की कीमतें आसमान छू रही हैं. 2023 में सबसे महंगी दस में सात ज़मीनें राम मंदिर ट्रस्ट के नाम.
‘‘अयोध्या की जमीन हीरे का अंडा देने वाली मुर्गी हो गई है.’’ ये कहते हुए राहुल यादव हंसने लगते हैं. पर लोकोक्ति तो ‘सोने का अंडा देने वाली मुर्गी’ की है, यह पूछने पर वो पान थूकते हुए कहते हैं, ‘‘मंदिर देश का माहौल ही नहीं, बहुत सारी लोकोक्तियां भी बदल देगा.’’ वो फिर हंसने लगते हैं. उनकी हंसी के पीछे एक टीस भी है. अपनी जमीन की कम कीमत मिलने का. उनकी जमीन सरकारी अधिग्रहण में चली गई.
2019 में राम मंदिर का रास्ता सुप्रीम कोर्ट से साफ होने के बाद अयोध्या में जमीन नया सोना बन गई है. आज यहां देश के अलग-अलग हिस्सों से बड़े कारोबारी, धार्मिक संस्थाएं, धर्मगुरु, रियल एस्टेट कंपनियां जमीन खरीद रही हैं. सदर कचहरी में तैनात एक वरिष्ठ अधिकारी ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया कि यहां 10 से 15 प्रतिशत रजिस्ट्रियां बाहरी लोग करा रहे हैं.
हमने अयोध्या में साल 2023 के 10 सबसे महंगे जमीन सौदों की जानकारी हासिल की है. ये वो जमीनें हैं जिनकी रजिस्ट्री के लिए सबसे ज़्यादा स्टाम्प शुल्क अदा किया गया. इन दस में से सात सौदे श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने किए हैं. वह भी सर्किल रेट से 17 गुना तक ज्यादा कीमत देकर. बाकी तीन अन्य संस्थाओं ने खरीदी.
जब हमने पाया कि श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र की तरफ से चंपत राय ने एक जमीन सर्किल रेट से 17 गुना ज़्यादा दर पर खरीदी. दूसरी तरफ एक सच्चाई यह भी सामने आई कि एक जमीन रामदेव के पतंजलि समूह से जुड़े सहयोगियों ने सर्किल रेट से 31 गुना कम कीमत पर खरीदी है.
सर्किल रेट, किसी जिले में प्रशासन द्वारा तय की गई ज़मीन की न्यूनतम कीमत होती है. सर्किल रेट तय करने का पैमाना यह है कि जमीन हाईवे से लगी है, लिंक रोड पर है या फिर एप्रोच रोड से दूर है आदि. इसलिए संभव है कि एक ही गांव की जमीनों का सर्किल रेट अलग-अलग हो. साल 2017 से अयोध्या जिले में सर्किल रेट नहीं बढ़ा है.
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