कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने 18 जुलाई 2022 को एमएसपी को प्रभावी और पारदर्शी बनाने के लिए समिति का गठन किया था. इसका क्या हुआ?
जुलाई 2022 न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाने, प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने और देश की बदलती जरूरतों को ध्यान में रखते हुए फसल पैटर्न को बदलने और सुझाव देने के लिए सरकार ने एक समिति का गठन किया था. इस समिति का गठन किसान आंदोलन के दबाव में निरस्त हुए तीन कृषि कानून वापस लेने के आठ महीने बाद किया गया था.
सूचना का अधिकार कानून (आरटीआई) के जरिए न्यूज़लॉन्ड्री ने जब इस समिति का कामकाज की जानकारी मांगी तो कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की तरफ से बताया गया कि अब तक इसकी छह बैठकें हुई हैं. हालांकि इन बैठकों में कौन शामिल हुआ इसकी जानकारी मंत्रालय के पास नहीं है और न ही इसके ‘मिनट्स ऑफ मीटिंग’ उपलब्ध हैं.
आरटीआई के सवाल के जवाब में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अपर सचिव प्रदीप सिंह नेगी ने बताया कि सरकार ने अधिसूचना संख्या 3053 के तहत 18 जुलाई 2022 को एक समिति का गठन किया, जिसकी अब तक छह मीटिंग हुई हैं. इसका मिनट्स उपलब्ध नहीं हैं.’’
बता दें कि किसी आधिकारिक मीटिंग के दौरान जो बातें होती है, जैसे- किस अधिकारी ने क्या सुझाव दिया? किसने किस मुद्दे पर सहमति या असहमति दर्ज कराई? यह सब एक जगह संग्रहित किया जाता है. इसे ही ‘मिनट्स ऑफ़ मीटिंग’ कहते हैं. दरअसल ‘मिनट्स’ से मालूम होता है कि मीटिंग में क्या चर्चा हुई, क्या प्रगति हुई.
न्यूज़लॉन्ड्री ने इस सदंर्भ में एक और आरटीआई कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय में दाखिल की. हमने पूछा कि इन मीटिंग्स के ‘मिनट्स’ उपलब्ध नहीं है, ऐसा क्यों? इसके अलावा हमने पूछा कि ये छह मीटिंग कब और कहां हुईं? इन दोनों सवालों के जवाब में मंत्रालय की ओर से बताया गया कि आरटीआई अधिनियम, 2005 की धारा 2(एफ) के तहत 'कब' और 'कहां' सवालों का जवाब नहीं दिया जाता है.
हमारा अगला सवाल था कि इन छह बैठकों में कौन-कौन शामिल हुआ? इसके जवाब में प्रदीप सिंह नेगी ने ‘नॉट अवेलेबल’ बताया. यानी मंत्रालय के पास इन छह मीटिंग्स में कौन शामिल हुआ इसकी भी सूचना उपलब्ध नहीं है.
12 जुलाई 2022 को इस समिति को लेकर अधिसूचना जारी की गई. इस अधिसूचना में बताया गया कि प्रधानमंत्री जी की घोषणा ‘जीरो’ बजट आधारित खेती को बढ़ावा देने व एमएसपी को पारदर्शी बनाने समेत अन्य के लिए एक समिति का गठन किया गया.
समिति का अध्यक्ष पूर्व कृषि सचिव संजय अग्रवाल को बनाया गया. नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद्र, दो कृषि अर्थशास्त्री, किसान भारत भूषण त्यागी, संयुक्त किसान मोर्चा के तीन सदस्य, अन्य किसान संगठनों के पांच सदस्यों के अलावा 16 सदस्य केंद्र और राज्य सरकारों के कृषि अधिकारी, कृषि विश्वविद्यालयों के प्रतिनिधि और किसान सहकारिता समूह के लोग भी इसका हिस्सा बनाए गए थे.
सरकार ने अपनी इस समिति में संयुक्त किसान मोर्चा के तीन सदस्यों के लिए भी जगह रखी थी. हालांकि मोर्चा के सदस्यों ने इसमें शामिल होने से इंकार कर दिया. मोर्चा ने एक बयान जारी कर कहा था, ‘‘समिति के एजेंडे में एमएसपी पर कानून बनाने का उल्लेख नहीं है. वहीं इसमें सरकार ने अपने पांच ‘‘निष्ठावान’’ लोगों को शामिल किया है. जिन्होंने खुले तौर पर तीन किसान विरोधी कानूनों का समर्थन किया था.’’
संयुक्त किसान मोर्चा कार्यकारिणी के सदस्य और किसान नेता अविक साहा मंत्रालय के जवाब पर कहते हैं, ‘‘एक गैजेट के माध्यम से बनी हुई समिति सम्पूर्ण औपचारिक समिति है. जिसमें कई प्रदेशों के कृषि सचिव, केंद्र सरकार के पांच सचिव हैं, उसकी बैठक गोपनीय और अनऔपचारिक कैसे हो सकती है?’’
साहा आगे कहते हैं, ‘‘असली बात यह है कि इस समिति के गठन के पीछे षड्यंत यह था कि सरकार प्रचार कर सके कि संयुक्त किसान मोर्चा की मांग के मुताबिक हमने समिति बना दी है. जो समिति अख़बारों की हेडलाइन और दिखावे के लिए बनी है उसकी मीटिंग छह हो या साठ, उसके मिनट्स में चाय बिस्कुट की कहानी ही होगी. इसीलिए शायद वो मिनट्स नहीं दे रहे हैं.’’
तीन कृषि कानूनों के खिलाफ जब दिल्ली में किसानों का प्रदर्शन हो रहा था तब उनकी कई मांगों में से एक मांग एमएसपी गारंटी कानून भी था. सरकार ने किसान आंदोलन के खत्म होने के आठ महीने बाद इस समिति का गठन तो कर दिया लेकिन लेकिन सरकारी अधिसूचना में इस समिति के कामों का जो जिक्र है उसमें एमएसपी की गारंटी पर कानून की चर्चा नहीं है.
साहा कहते हैं, ‘‘किसान संगठन शुरू में ही सरकार की चाल को समझ गए थे इसलिए हम इसका हिस्सा नहीं बने.’’
समिति के एक सदस्य भारत भूषण त्यागी हैं. त्यागी को ऑर्गेनिक खेती के लिए साल 2019 में पद्मश्री सम्मान मिला. समिति की बैठक के सवाल पर त्यागी न्यूज़लॉन्ड्री को बताते हैं, ‘‘समिति की बैठक हो रही है और उसमें काफी अच्छे फैसले भी आ रहे हैं. अभी तक तकरीबन 30 बैठकें हुई हैं. इन सबको एकत्रित किया जा रहा है. अगले एक-डेढ़ महीने में समिति अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप देगी.’’
‘मिनट्स’ के सवाल पर त्यागी कहते हैं, ‘‘मिनट्स ऑफ़ मीटिंग चेयरमैन के पास रहती है.’’
न्यूज़लॉन्ड्री को सूत्रों से पता चला कि नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद्र किसी भी बैठक में शामिल नहीं हुए? यह सवाल जब हमने त्यागी से पूछा तो वो कहते हैं, ‘‘मैं जितनी मीटिंग्स में शामिल हुआ उसमें रमेश चंद्र तो नहीं आए हैं. इस समिति में 28 सदस्य हैं. कभी-कभार कोई नहीं आता है. बाकी लगभग सभी लोग आते हैं.’’
18 महीने बीत जाने के बाद भी समिति ने अभी तक कोई रिपोर्ट या सिफारिश सरकार को नहीं सौंपी है.
इस समिति के प्रमुख पूर्व कृषि सचिव संजय अग्रवाल को हमने इस संबंध में सवाल भेजे हैं. अगर जवाब आता है तो उसे ख़बर में जोड़ दिया जाएगा.
इस सिलसिले में हमने नीति आयोग (कृषि) के सदस्य रमेश चंद्र को भी सवाल भेजे हैं. ख़बर प्रकाशित किए जाने तक उनका भी जवाब नहीं आया है.