अदालत को बताया गया कि अवैध खनन की गतिविधियों का वीडियो लेने के बाद पत्रकार को झूठे आपराधिक मामले में फंसाया गया था.
कलकत्ता हाईकोर्ट ने एक पत्रकार को अग्रिम जमानत देते हुए कहा कि प्रेस की स्वतंत्रता लोकतंत्र के लिए अपरिहार्य है. अवैध खनन पर वीडियो शूट करने के बाद पत्रकार पर जबरन वसूली का मामला दर्ज किया गया था.
न्यायमूर्ति देबांगसु बसाक और न्यायमूर्ति मोहम्मद शब्बर रशीदी की खंडपीठ ने इस बात पर जोर दिया कि अभिव्यक्ति की आजादी के लिए जरूरी है कि एक पत्रकार को उसका काम करने दिया जाए.
पीठ ने कहा, "लोकतंत्र के लिए प्रेस की स्वतंत्रता अपरिहार्य है. प्रेस की स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए जरूरी है कि प्रेस को डराने-धमकाने से रोका जाए. एक पत्रकार प्रेस का हिस्सा है और पत्रकारिता करने की उसकी स्वतंत्रता की रक्षा की जानी चाहिए."
एबीपी आनंदा समाचार चैनल के पत्रकार रंजीत दास को अग्रिम जमानत देते समय ये टिप्पणियां की गईं. पत्रकार ने दावा किया कि उन्होंने अवैध रेत खनन के वीडियो शूट किए थे और बाद में उनके खिलाफ झूठा आपराधिक मामला दर्ज किया गया.
दूसरी ओर, पुलिस ने दावा किया कि दास कुछ लोगों से पैसे वसूलने में शामिल था.
हालांकि, अदालत ने इस दलील पर ध्यान देने के बाद पत्रकार को अग्रिम जमानत देने की अनुमति दे दी कि उसे एक आपराधिक मामले में झूठा फंसाया गया हो सकता है.