पत्रकारों की आंखों देखी: जिन्होंने मस्जिद को ढहते देखा, अब मंदिर बनता देख रहे हैं

एक ओर पूरे देश के रामभक्तों में इस ऐतिहासिक क्षण को लेकर उल्लास है. दूसरी तरफ मंदिर की बुनियाद में बाबरी- मस्जिद आज भी लोगों के जहन में जिंदा है.

WrittenBy:अतुल चौरसिया
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राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद का फैसला हो चुका है. राम मंदिर बनाया जा रहा है. 5 अगस्त, 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा भूमिपूजन अनुष्ठान के बाद इसका निर्माण शुरू हुआ था. अब 22 जनवरी, 2024 को मंदिर में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा प्रधानमंत्री मोदी द्वारा की जाएगी.

एक ओर पूरे देश के रामभक्तों में इस ऐतिहासिक क्षण को लेकर उल्लास है. दूसरी तरफ मंदिर की बुनियाद में बाबरी- मस्जिद आज भी लोगों के जहन में जिंदा है. 

6 दिसंबर, 1992 को बाबरी मस्जिद के विध्वंस के गवाह रहे बहुत से लोगों ने उस वक्त की घटनाओं को दर्ज किया था. उन्हीं में से दो पत्रकारों ने अपना अनुभव साझा किया है. वो पत्रकार जो 6 दसिंबर, 1992 को अयोध्या में मौजूद थे. उस दौर में देश की पहली वीडियो मैगज़ीन द न्यूज़ट्रैक के लिए अयोध्या से रिपोर्टिंग कर रहे मृत्युंजय कुमार झा और द पैट्रियट के तत्कालीन रिपोर्टर रमन किरपाल ने न्यूज़लॉन्ड्री के स्टूडियो में उस दिन के घटनाक्रम को साझा किया. इस बातचीत में न्यूज़लॉन्ड्री के प्रबंध संपादक अतुल चौरसिया के साथ द न्यूज़ट्रैक की तत्कालीन संपादक और न्यूज़लॉन्ड्री की संस्थापक संपादक मधु त्रेहान ने भी अपने अनुभव बताए. 

6 दिसंबर, 2017 को हुई इस चर्चा को हम एक बार फिर आपके सामने लाए हैं. 31 साल बाद आज भारत में एक पूरी पीढ़ी बदल चुकी है तब इसके लिए तीन दशक पुराने मामले का क्या मतलब है और उस समय ऐसा क्या माहौल था जिसने एक मस्जिद को ज़मींदोज़ कर दिया? देखिए पूरी बातचीत.

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