अडाणी ग्रुप के टेकओवर और रवीश कुमार के एनडीटीवी छोड़ने के पहले और बाद के व्यूज़ के आंकड़ों की पड़ताल हमारे सामने कुछ चौंकाने वाले तथ्य रखती है.
एनडीटीवी पर गौतम अडाणी के टेकओवर को एक साल होने जा रहा है. इस एक साल में न्यूज़ चैनल में कई बदलाव देखे गए. रवीश कुमार, निधि राजदान, श्रीनिवासन जैन, सुनील सैनी, सारा जैकब समेत कई बड़े चेहरे चैनल छोड़ गए. इसके साथ ही लगता है कि एनडीटीवी के साथ वफादार रहा एक बड़ा दर्शक वर्ग भी उसे छोड़ गया. अगर हम डिजिटल मीडिया में एनडीटीवी की मौजूदगी के आंकड़ों की तुलना करें तो यह साफ होता है कि अडाणी के पहले और अडाणी के आने के बाद एनडीटीवी की दर्शक संख्या में भारी गिरावट आ गई है.
नवंबर, 2022 में एनडीटीवी अडाणी समूह के स्वामित्व में चला गया. इस घोषणा के बाद 30 नवंबर 2022 को चैनल का सबसे प्रमुख चेहरा रहे रवीश कुमार ने एनडीटीवी से इस्तीफा दे दिया था. एनडीटीवी में अफरा-तफरी का माहौल था. एक के बाद एक इस्तीफों का दौर चल रहा था. अडाणी समूह ने इस अफरा तफरी को रोकने के लिए उस वक्त संजय पुगलिया जैसे मंझे हुए वरिष्ठ टीवी पत्रकार को चैनल की जिम्मेदारी सौंपी. लेकिन कोई खास अंतर नहीं पड़ा.
उसी समय के आस-पास अडाणी समूह के मुखिया गौतम अडाणी ने एक इंटरव्यू में कहा, "एनडीटीवी विश्वसनीय, स्वतंत्र और अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क बना रहेगा. मैनेजमेंट और संपादकीय में हमेशा एक लक्ष्मण रेखा रहेगी. और वक्त के साथ ये साफ हो जाएगा, हमें थोड़ा वक्त दें."
गौतम अडाणी ने जो कहा उस बात पर एनडीटीवी कितना कायम रहा हम उस पर बाद में आएंगे, पहले हम इस बदलाव का जो असर एनडीटीवी के दर्शकों पर हुआ उसे आंकड़ों के जरिए जानेंगे.
अपनी सत्ता से सवाल करने वाली पत्रकारिता के लिए अलग पहचान रखने वाले इस चैनल के व्यूज़ पिछले एक साल में आधे से ज्यादा गिर चुके हैं. यानी यूट्यूब और वेबसाइट पर बड़ी संख्या में लोगों ने इसे देखना और पढ़ना बंद कर दिया है.
Make an account to continue reading this story. For free! We will email you a weekly newsletter written by our reporters, linking our best stories.
Sign up for freeAlready have an account? Login