यूपी पुलिस की शिकायत पर एएमयू छात्रों पर 4 साल में 20 एफआईआर

2019 के बाद से कैंपस में विरोध प्रदर्शन, सोशल मीडिया पोस्ट और मीडिया से की गईं टिप्पणियों के आधार पर छात्रों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं.

WrittenBy:सुमेधा मित्तल
Date:
प्रदर्शनकारियों पर पुलिस बूट का चित्रण.

यदि आप अलीगढ़ मुस्लिम  विश्वविद्यालय (एएमयू) में पढ़ते हैं और वर्तमान सरकार के आलोचक हैं तो सावधान हो जाइए.

न्यूज़लॉन्ड्री ने पाया है कि सरकार, उसकी नीतियों या दक्षिणपंथी विचारधाराओं के खिलाफ प्रदर्शन या सोशल मीडिया पोस्ट करने पर 2019 के बाद से उत्तर प्रदेश पुलिस ने एएमयू के छात्रों के खिलाफ 20 एफआईआर दर्ज की हैं. इन एफआईआर में 175 छात्र नामजद हैं और 1,600 अज्ञात हैं. इनमें से अधिकतर मुसलमान हैं.

सभी 20 एफआईआर खुद पुलिस की शिकायतों पर आधारित हैं.

कम से कम चार फैकल्टी मेंबर और प्रशासनिक कर्मी, जिनमें तीन एएमयू की कार्यकारी परिषद का हिस्सा हैं. पूर्व कुलपति तारिक मंसूर पर आरोप लगाते हैं कि उन्होंने छात्रों की सुरक्षा न करने की संस्कृति को बढ़ावा दिया है.

दिसंबर 2019 में मंसूर के कार्यकाल के दौरान ही यूपी पुलिस ने कैंपस में छात्रों पर बर्बरता से हमला किया था. न्यूज़लॉन्ड्री ने तब रिपोर्ट किया था कि रजिस्ट्रार से लिखित अनुमति मिलने के बाद ही पुलिस परिसर में दाखिल हुई थी.

मंसूर ने अप्रैल 2023 में इस्तीफा दे दिया, जिसके बाद भाजपा ने उन्हें यूपी विधान परिषद का सदस्य बना दिया. इस कदम से किसी को आश्चर्य नहीं हुआ क्योंकि भाजपा और आरएसएस से उनके कथित संबंध किसी से छुपे नहीं हैं.

एएमयू के वर्तमान कार्यवाहक कुलपति मोहम्मद गुलरेज़ हैं, जिन्हें मंसूर के इस्तीफा देने के तुरंत बाद नियुक्त किया गया था. गौरतलब है कि उनके कार्यभार संभालने के बाद से यूपी पुलिस ने छात्रों के खिलाफ ऐसी एक ही एफआईआर दर्ज की है. लेकिन फैक्लटी के सदस्यों का कहना है कि उन्होंने कुलपति को "पुलिस की कार्रवाई की आलोचना" करने के लिए औपचारिक रूप से पत्र लिखा था, लेकिन अब तक उनका "कोई जवाब नहीं मिला है".

एक फैकल्टी मेंबर ने कहा, “वह संयोगवश कुलपति बने हैं. वह न तो राजनैतिक रूप से सक्रिय हैं और न ही उनमें इतना साहस है कि पुलिस के दबाव का सामना कर सकें."

एक अन्य फैकल्टी मेंबर ने बताया, "हमने कभी उन्हें ऐसी किसी स्थिति में संयम बरतते नहीं देखा है, न ही उन्होंने पुलिस की ऐसी कार्रवाइयों का समर्थन किया है. कारण है कि उन्हें फर्क नहीं पड़ता. उन्होंने ऐसी चीजों को संभालने की जिम्मेदारी प्रॉक्टर ऑफिस पर डाल दी है."

न्यूज़लॉन्ड्री ने गुलरेज़ से संपर्क कर उनका पक्ष जानने की कोशिश की और ईमेल के द्वारा उन्हें एक प्रश्नावली भी भेजी. यदि वह जवाब देते हैं तो यह रिपोर्ट संशोधित कर दी जाएगी.

राम मंदिर के मामले में 1 एफआईआर 

8 अगस्त, 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अयोध्या में राम मंदिर की आधारशिला रखने के तीन दिन बाद, कुछ समाचार चैनल एएमयू की कैंटीन में एकत्रित हुए और छात्रों से पूछा कि वे इस बारे में क्या सोचते हैं. एएमयू के ही छात्रों से ऐसा पूछना क्यों जरूरी था, यह चैनलों को बेहतर पता होगा.

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