छत्तीसगढ़ में भाजपा की अप्रत्याशित बड़ी जीत, कांग्रेस के 12 मंत्रियों में से नौ की हार

उपमुख्यमंत्री टी एस सिंह देव, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज, पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम समेत कांग्रेस के कई दिग्गज हुए ढेर. 

WrittenBy:बसंत कुमार
Date:
भूपेश बघेल, रमन सिंह और ईश्वर साहू की तस्वीर

पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में मिजोरम को छोड़ चार राज्यों के नतीजे आ गए हैं. राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ में भाजपा तो वहीं तेलंगाना में कांग्रेस को बहुमत मिला है. 

छत्तीसगढ़ को लेकर आए ज़्यादातर एग्जिट पोल में कांग्रेस की सरकार बनती नजर आ रही थी लेकिन नतीजे बिलकुल उलट आए. भाजपा ने यहां बहुमत से काफी आगे 54 सीटों पर जीत दर्ज की. वहीं, सत्तारूढ़ कांग्रेस को महज 35 सीटों पर जीत मिली. मालूम हो कि छत्तीसगढ़ में 90 सीटें हैं. 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 68, भाजपा को 15 और अन्य को 7 सीटें मिली थी. 

इस बार भाजपा की ना सिर्फ सीटें बढ़ीं बल्कि वोट प्रतिशत भी 14 प्रतिशत बढ़ा है. भाजपा को इस बार 46.30 प्रतिशत वोट मिला. वहीं, कांग्रेस को 42.20 प्रतिशत ही वोट मिला. अगर 2018 की बात करें तो तब कांग्रेस का वोट प्रतिशत 43.04 तो वहीं भाजपा का 32.97 फीसदी था. 

एक तरफ प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अबकी बार 75 पार का नारा लगा रहे थे लेकिन उनके मंत्रिमंडल के 12 में से नौ मंत्रियों को हार का सामना करना पड़ा. वहीं, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज चित्रकोट से चुनाव हार गए. बैज, बस्तर से सांसद भी है. 

अगर एग्जिट पोल की बाते करें तो एबीपी न्यूज़-सी वोटर ने भाजपा को 36-48 तो कांग्रेस को 41-53, इंडिया टुडे-एक्सिस माय इंडिया ने भाजपा को 35-45 तो कांग्रेस को 40-50, न्यूज़ 24- चाणक्य ने भाजपा को 25-41 तो कांग्रेस को 49-55, टाइम्स नाउ-ईटीजी ने भाजपा को 32-40 तो वहीं कांग्रेस के 48-56 सीटें जीतने का अनुमान जताया था. 

लेकिन नतीजे तमाम एग्जिट पोल के उलट आए हैं. छत्तीसगढ़ के नतीजों पर वरिष्ठ पत्रकार आलोक पुतुल कहते हैं, ‘‘पिछले पांच सालों में कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ में जो हिंदुत्व की जमीन तैयार की थी, भाजपा उसी जमीन का लाभ उठाने में सफल रही.’’

कौन-कौन मंत्री हारे  

चुनाव से कुछ ही महीने पहले उप मुख्यमंत्री बनाए गए टीएस सिंह देव चुनाव हार गए. सरगुजा जिले के अंबिकापुर से उन्हें भाजपा के राजेश अग्रवाल ने पटखनी दी. 

कवर्धा से मंत्री मोहम्मद अकबर भी चुनाव हार गए. उन्हें भाजपा के विजय शर्मा ने लगभग 40 हज़ार वोटों से शिकस्त दी है. कोरबा विधानसभा से मैदान में उतरे प्रदेश सरकार के मंत्री जय सिंह अग्रवाल को भी हार का सामना करना पड़ा. उन्हें भाजपा के लाखनलाल देवांगन ने 25 हज़ार वोटों से हराया.

कोंडागांव से कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और प्रदेश सरकार के मंत्री मोहन मरकाम को भाजपा की लाता उसेंडी ने करीब 19 हज़ार मतों से हराया. 

ऐसे ही बघेल सरकार के मंत्री गुरु रुद्रा कुमार नवागढ़ में 15 हज़ार, सीतापुर से अमरजीत भगत 17 हज़ार, आरंग से शिवकुमार दाहारिया 16 हज़ार, दुर्ग ग्रामीण से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और प्रदेश सरकार के मंत्री ताम्रध्वज साहू को हार का सामना करना पड़ा. 

सात बार के विधायक और मंत्री रविंद्र चौबे को गरीब किसान ईश्वर साहू से हार का सामना करना पड़ा. साहू बेहद गरीब हैं. इसी साल मई महीने में एक साम्प्रदायिक हिंसा में उनके बेटे की हत्या कर दी गई थी.  

साहू पर देखिए हमारी ये वीडियो रिपोर्ट 

subscription-appeal-image

Support Independent Media

The media must be free and fair, uninfluenced by corporate or state interests. That's why you, the public, need to pay to keep news free.

Contribute

वहीं, अगर जीते हुए मंत्रियों की बात करें तो सुकमा के कोंटा से कावासी लखमा, डोंडी लोहारा से अनिला भेड़िया, खरसिया से उमेश पटेल को जीत मिली. 

वहीं, स्वयं भूपेश बघेल पाटन से चुनाव जीतने में सफल हुए. उन्होंने भाजपा के विजय बघेल को लगभग 20 हज़ार वोटों से हराया है. 

बस्तर और सरगुजा में कांग्रेस की बड़ी हार 

आदिवासी बाहुल्य बस्तर क्षेत्र में 12 सीटें हैं, जिसमें से 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 11 पर जीत दर्ज की थी. वहीं, दंतेवाड़ा में उसे हार का सामना करना पड़ा था. 2019 के लोकसभा चुनाव  के दौरान भाजपा विधायक भीमा मांडवी की नक्सलियों ने हत्या कर दी थी. जिसके बाद यहां उपचुनाव में कांग्रेस को जीत हासिल हुई थी. इस तरह यहां की 12 सीटें कांग्रेस के पास थी.  

वहीं, अगर इस बार के नतीजों की बात करें तो आठ सीटों पर उसे हार का सामना करना पड़ा. वहीं, चार सीटों पर ही वह जीत दर्ज कर पाई. इस क्षेत्र से कांग्रेस के वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम, प्रदेश के आबकारी मंत्री कवासी लकमा आते हैं. 

बैज और मरकाम को जहां हार का सामना करना पड़ा. वहीं, कवासी लखमा जैसे-तैसे अपनी जीत दर्ज कर पाए. उन्हें महज 1921 वोट से जीत मिली है. कोंटा के अलावा बस्तर, बीजापुर और भानुप्रतापपुर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस को जीत मिली है. 

दंतेवाड़ा से कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे और झीरम घाटी में हुए नक्सली हमले में मारे गए महेंद्र कर्मा के बेटे छविंद्र कर्मा को हार का सामना करना पड़ा है.  

वहीं, सरगुजा संभाग की बात करें तो यहां भी साल 2018 के मुकाबले कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद खराब रहा. यहां के चौदह विधानसभा क्षेत्र में इस बार कांग्रेस को यहां से एक भी सीट नहीं मिली है. वहीं 2018 में यहां की सारी सीटें कांग्रेस ने जीती थी.

हार का क्या रहा कारण 

ज़्यादातर लोगों का मानना है कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को अति आत्मविश्वास के कारण हार का सामना करना पड़ा. स्थानीय पत्रकार इस हार के पीछे कुछ और कारण भी मानते हैं. 

खुद को कभी मुख्यमंत्री बनाने की मांग करने वाले टीएस सिंह देव खुद अपना चुनाव हार गए. नतीजों के बीच अंबिकापुर के एक स्थानीय निवासी ने न्यूज़लॉन्ड्री से कहा कि पिछले बार लोगों को उम्मीद थी कि बाबा (टीएस सिंह देव) मुख्यमंत्री बनेंगे. जब कांग्रेस ने उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनाया और इस बार उम्मीद भी नहीं थी. जिसके कारण लोगों ने भाजपा को एकतरफा वोट किया है. 

वहीं, बस्तर संभाग में कांग्रेस की हार पर एक नेशनल टीवी से जुड़े पत्रकार बताते हैं, ‘‘कांग्रेस की हार के पीछे कई कारण है. पहला कारण, सत्ता में आने के बाद पुराने और जमीनी कार्यकर्ताओं को भूलना, दूसरा मिस मैनेजमेंट, तीसरा भ्रष्टाचार और चौथा यहां के स्थानीय युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध नहीं कराना. कांग्रेस के पास बस्तर में अपना काम गिनाने के लिए कुछ खास नहीं था. वहीं, इसके नेता चापलूसों से घिर गए थे जो उनकी तारीफ करते थे और वो खुश हो जाते थे. पांच साल में ही इतना घमंड आ गया था कि जिसका कोई जवाब नहीं. ऐसे में ये परिणाम आने ही थे.’’ 

वहीं, एक अन्य पत्रकार की मानें तो हिंदुत्व की राजनीति जिसकी जगह अब तक छत्तीसगढ़ में नहीं थी. इस बार भाजपा उसे लेकर आई. साजा से ईश्वर साहू को टिकट देकर भाजपा ने साधा और देखिए एक गरीब ईश्वर साहू सात बार के विधायक और मंत्री को हरा दिया. मुझे लगता है कि आने वाले समय में प्रदेश की राजनीति काफी बदल जाएगी.  

प्रदेश में जहां कांग्रेस ने किसी एक को चेहरा नहीं बनाया था. वहीं, भाजपा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर ही चुनाव लड़ा था. यहीं नहीं भाजपा ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को भी इस बार प्रचार के दौरान जमकर याद किया. बता दें कि वाजपेयी के प्रधानमंत्री रहते हुए ही छत्तीसगढ़ का गठन हुआ था. 

नतीजों के बाद भाजपा के वरिष्ठ नेता और प्रदेश के तीन बार मुख्यमंत्री रहे रमन सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इसका श्रेय दिया. उन्होंने लिखा, ‘‘आज हमारे संकल्प पत्र "मोदी की गारंटी" और माननीय श्री मोदी जी समेत केन्द्रीय नेताओं के वादों पर जनता ने विश्वास जताकर विजय तिलक किया है’’

वहीं, हार के बाद भूपेश बघेल ने ट्वीट कर कहा, “जनता का जनादेश हमेशा सिर आंखों पर रहा है. आज भी इस परिणाम को सिर झुकाकर स्वीकार करता हूं. इस बात का संतोष है कि 5 साल में आपसे किए हर वादे को पूरा किया, वादे से ज्यादा देने का प्रयास किया और छत्तीसगढ़ महतारी की भरसक सेवा की. जनता की अपेक्षाएं और आकांक्षाएं बड़ी हैं, जनता के विवेक का सम्मान करता हूं.” 

Also see
article imageछत्तीसगढ़ चुनाव: भाजपा और कांग्रेस का धान खरीद पर दांव लेकिन किसान किसके साथ?
subscription-appeal-image

Power NL-TNM Election Fund

General elections are around the corner, and Newslaundry and The News Minute have ambitious plans together to focus on the issues that really matter to the voter. From political funding to battleground states, media coverage to 10 years of Modi, choose a project you would like to support and power our journalism.

Ground reportage is central to public interest journalism. Only readers like you can make it possible. Will you?

Support now

Comments

We take comments from subscribers only!  Subscribe now to post comments! 
Already a subscriber?  Login


You may also like