वह 30 नवंबर को सेवानिवृत्त होने वाले हैं. हालांकि, न्यूज़लॉन्ड्री को मिली जानकारी के मुताबिक उनका कार्यकाल आगे बढ़ाया जा सकता है.
आम आदमी पार्टी सरकार और भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के बीच दिल्ली की सत्ता को लेकर इतनी खींचतान है कि आप उलझ जाएंगे.
लेकिन पिछले कुछ हफ्तों से सत्ता के एक ऐसे ही रखवाले सुर्खियों में छाए हुए हैं, उनकी चर्चा प्रशासनिक हलकों में दबी जुबान से की जा रही है.
ये और कोई नहीं बल्कि दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार हैं. पिछले सप्ताह की घटनाएं दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार के साथ उनके तनावपूर्ण संबंधों को पूरी तरह से बयां करती हैं.
दिल्ली हाईकोर्ट ने 22 नवंबर को सुनवाई करते हुए न्यूज़ पोर्टल 'द वायर' से कहा था कि वह नरेश कुमार के बेटे को बामनोली गांव में जमीन के ओवर वैल्यूशन यानी जमीन के अधिक मूल्यांकन के मामले से कथित तौर पर जोड़े जाने की खबर को हटा दें. इसके बाद नरेश कुमार ने 'द वायर' पर मानहानि का मुकदमा दायर किया, जबकि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उनके निलंबन की सिफारिश की थी.
इसके अलावा 22 नवंबर तक दिल्ली की सतर्कता मंत्री आतिशी ने उनके निलंबन की मांग करते हुए लगातार तीन रिपोर्ट दायर की थीं.
लेकिन दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना जो दिल्ली सरकार के लिए कड़ा रुख अपनाने के लिए जाने जाते हैं वो पहले ही बामनोली लैंड डील में नरेश कुमार की 'मिलीभगत' पर आतिशी की रिपोर्ट पर विचार करने से इंकार कर चुके हैं.
नरेश कुमार 30 नवंबर को सेवानिवृत्त होने वाले हैं. नौकरशाहों और अधिकारियों ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया कि उपराज्यपाल वीके सक्सेना और मुख्य सचिव नरेश कुमार 'करीबी' हैं, इसलिए कथित तौर पर यह संभावना है कि मुख्य सचिव का कार्यकाल 30 नवंबर से आगे बढ़ाया जा सकता है.
नरेश कुमार ने इस स्टोरी के लिए न्यूज़लॉन्ड्री से बात करने से इंकार कर दिया. यहां तक कि उन्होंने व्हाट्सएप पर हमारे रिपोर्टर का नंबर भी ब्लॉक कर दिया.
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