ऑनलाइन जगत में किड इन्फ्लुएंसर्स खूब वायरल हो रहे हैं. लेकिन इसके साथ आती हैं साइबर धमकियां, ट्रोलिंग, शोषण और निजी जीवन में ताक-झांक.
'स्टार पुत्री' जान्हवी कपूर का जन्म डिजिटल युग के शुरुआती दिनों में हुआ था और वह एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री के फोटोग्राफरों के कैमरों के क्लिक और फ्लैश के बीच ही बड़ी हुईं. फिल्म निर्माता बोनी कपूर और दिवंगत फिल्म स्टार श्रीदेवी की बेटी जान्हवी कहती हैं, "मुझे याद नहीं है कि पहली बार मैं कब लोगों के बीच गई. यह हमेशा से मेरे जीवन का हिस्सा रहा है. कैमरे हमेशा आसपास रहे हैं. बचपन में जब हम बाहर जाते थे तो लोग सहमति से या बिना सहमति के भी, मेरी और मेरी बहन की फोटो लेते रहते थे."
चूंकि, जान्हवी के शुरुआती साल भारत में डिजिटल युग के ‘बूम’ यानी विकास के दौरान गुज़रे, इसलिए बचपन से किशोरावस्था और फिर वयस्क होने तक उनका जीवन न केवल सबकी नज़रों के सामने रहा बल्कि इंटरनेट के ‘निर्दयी रंगमंच’ पर उसका अपने तरीके से विश्लेषण किया गया.
जान्हवी 10 साल की थीं जब उन्होंने पहली बार इंटरनेट पर अपनी उपस्थिति का प्रभाव महसूस किया. वह चौथी कक्षा में थीं और एक दिन जब वह अपने स्कूल की कंप्यूटर लैब में दाखिल हुईं, तो उन्होंने पाया कि उनके सहपाठियों की कंप्यूटर स्क्रीन पर याहू का होमपेज खुला था जिस पर उनकी तस्वीरें थीं. उन्होंने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया कि तस्वीरों में वह "बहुत असहज" दिख रही थीं और "ठीक से तैयार" नहीं थीं, जबकि सुर्खियां बता रहीं थीं कि उन्हें सिनेमा में "लॉन्च" किया जा रहा है.
"इससे मैं स्कूल में लोकप्रिय नहीं हुई," बल्कि अपने साथियों से "अलग-थलग" पड़ गई, 26 वर्षीय जान्हवी ने कहा.
“मुझे नहीं लगता कि वे इसे समझ पाए इसलिए उन्होंने मुझे नापसंद करना शुरू कर दिया. मुझे समझ नहीं आया कि क्या हो रहा था,'' जान्हवी ने कहा. "मेरे दोस्त मुझे अलग नजरिए से देखने लगे थे, वे वैक्स न करवाने पर मेरा मज़ाक उड़ाते थे."
उनके शिक्षकों का रवैया भी उसके प्रति "बदल गया."
"कई लोगों ने कहा कि मुझे काम करने की जरूरत नहीं है क्योंकि मैं वैसे भी मशहूर हूं, अजीब तरह से ताने देते थे जिन्हें मैं समझ नहीं पाती थी," जाह्नवी ने कहा. “...हर कोई मुझसे पूछता कि मैं स्कूल कब छोड़ रही हूं और मैं याहू पर क्यों थी. बहुत कम उम्र से ही लोग मुझे जज करने लगे थे, मुझे लेकर बहुत कम उम्र से ही सवाल उठाए जाने लगे थे."
लेकिन हालात और बदतर होते गए. जब जान्हवी किशोरावस्था में थीं तो उन्होंने पाया कि उनकी तस्वीरों से छेड़छाड़ करके उन्हें "भद्दी, लगभग अश्लील साइटों" पर डाला गया था. उन्होंने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया कि "आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस की उन्नति के साथ ही इस तरह की फर्जी तस्वीरों की बाढ़ सी आ गई है."
उन्होंने कहा, "लोग इन फर्जी तस्वीरों को देखते हैं और मान लेते हैं कि ये असली हैं. इससे मुझे बहुत चिंता होती है."
यह चिंताएं केवल बॉलीवुड तक सीमित नहीं है. आज के युग में प्रसिद्धि केवल कुछ लोगों का विशेषाधिकार नहीं है, बल्कि स्मार्टफोन और एडिटिंग का बुनियादी ज्ञान रखने वाला कोई भी व्यक्ति प्रसिद्ध हो सकता है. टिकटॉक और इंस्टाग्राम जैसे वीडियो-स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म के उदय के साथ और महामारी के दौरान लोगों के अलग-थलग रहने की वजह से, डिजिटल दुनिया का भूगोल पूरी तरह बदल गया है, जिससे इन्फ्लुएंसर्स का एक नया, उभरता हुआ वर्ग सामने आया है.
इस डिजिटल परिवेश में ज्यादा से ज्यादा बच्चे दर्शकों पर अपनी पकड़ बना रहे हैं, यहां तक कि अक्सर वे नामी-गिरामी हस्तियों को भी पीछे छोड़ देते हैं. भले ही नियमों के अनुसार 13 साल से कम उम्र के बच्चे सोशल मीडिया पर नहीं रह सकते, लेकिन कई ऐसे माता-पिता हैं जो अपने बच्चों को 'किड फ्लुएंसर' के तौर पर सबके सामने ला रहे हैं, उनकी प्रोफाइल मैनेज कर रहे हैं और उन्हें प्रसिद्ध बना रहे हैं.

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