दिवाली के दिन पटाखे फोड़ने वाले लोगों का कहना है कि ऐसा करना उनके धर्म और त्यौहार की परंपरा का हिस्सा है. इसलिए सुप्रीम कोर्ट का पटाखों पर प्रतिबंध लगाना गलत है.
सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रतिबंध लगाने के बावजूद दिल्ली और एनसीआर में दिवाली पर जमकर पटाखे फोड़े गए. जिसका असर यह हुआ कि अगली सुबह धुंध और धुंए की एक मोटी परत वायुमंडल में छा गई. जिसके चलते पहले से ही खराब हवा की गुणवत्ता और खराब हो गई.
मालूम हो कि पिछले हफ्ते से ही दिल्ली की वायु गुणवत्ता (एक्यूआई) अति गंभीर श्रेणी में थी लेकिन शुक्रवार को हुई बारिश ने थोड़ी राहत प्रदान की थी. हालांकि, मौसम की दी ये राहत ज्यादा देर नहीं चली और रविवार को दिवाली की खुशी में फोड़े गए पटाखों ने फिर से हालात वैसे ही कर दिए. जिससे दिल्ली के लोग एक बार फिर सांस लेने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.
उधर, बढ़ते प्रदूषण के मद्देनजर दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में ‘पॉल्यूशन ओपीडी’ की शुरुआत की गई है. जो खासतौर पर प्रदूषण से पीड़ित लोगों के इलाज के लिए बनाई गई है. डॉ. राम मनोहर लोहिया (आरएमएल) अस्पताल के निदेशक एवं चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर अजय शुक्ला ने कहा, "हर साल नवंबर और अक्टूबर के महीने में प्रदूषण से संबंधित बीमारियों के मरीजों की संख्या करीब 30% तक बढ़ जाती है. जिसको ध्यान में रखकर यह ओपीडी शुरू की गई."
वहीं, दिवाली के दिन पटाखे फोड़ने वाले लोगों का कहना है कि ऐसा करना उनके धर्म और त्यौहार की परंपरा का हिस्सा है. इसलिए सुप्रीम कोर्ट का दिवाली पर पटाखों पर प्रतिबंध लगाना गलत है. लेकिन बड़ा सवाल यही है कि क्या कोई धर्म हवा को जहरीली बनाने की इजाजत देता है?
देखिए हमारी यह वीडियो रिपोर्ट.