मध्य प्रदेश में कई भर्ती परीक्षाओं के नतीजों में या तो देरी हुई है या कदाचार के आरोप लगे हैं.
मध्य प्रदेश में प्रत्येक युवा को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान या तो भांजी या भांजा के रूप में संबोधित करते हैं, वे उनके ‘मामा’ के रूप में अक्सर उन्हें नौकरी देने के बारे में बड़े दावे करते नजर आते हैं.
लेकिन मार्च में विधानसभा में भाजपा सरकार की स्वयं की स्वीकारोक्ति के अनुसार, राज्यभर में 39 लाख पंजीकृत बेरोजगार युवाओं में से केवल 21 लाख लोगों को पिछले तीन वर्षों में सरकारी नौकरी दी गई. इसके अलावा, कई भर्ती परीक्षाओं पर कदाचार के आरोप लगे हैं और कई अन्य भर्तियों के नतीजों में देरी हुई है. चाहे वह पटवारियों की भर्ती हों या नर्सों, वन रक्षकों और यहां तक की राज्य लोक सेवा आयोग की भर्ती भी.
मध्य प्रदेश में युवाओं ने बार-बार विरोध प्रदर्शन के माध्यम से भाजपा सरकार की आलोचना की है और कांग्रेस भी चौहान प्रशासन पर निशाना साध रही है. न्यूज़लॉन्ड्री ने इंदौर में नौकरी के इच्छुक कई अभ्यर्थियों से उनके मुद्दों और चुनाव पर उनके विचारों को समझने के लिए बात की.
ऐसे ही अपनी पीड़ा बताते हुए एक युवा ने कहा, “लोग टिप्पणियां करते हैं...वे मेरे पिता से कहते हैं कि अगर हम बेरोजगार हैं तो उन्हें हमें घर बुला लेना चाहिए. जिस बात पर हमारे माता-पिता को हम पर गर्व हो सकता था, वह अब उनके लिए शर्मिंदगी का कारण बन गई है. हमारी वजह से वे सार्वजनिक रूप से अपना चेहरा नहीं दिखा सकते. एक बार फिर मैं दिवाली पर घर नहीं जा सकता.”
लेकिन क्या बेरोजगारी एक प्रमुख चुनावी मुद्दा है?, जानने के लिए देखिए हमारे ये वीडियो रिपोर्ट.