दिन ब दिन की इंटरनेट बहसों और खबरिया चैनलों के रंगमंच पर संक्षिप्त टिप्पणी.
लंबे अरसे बाद दरबार फिर से लगा था. धृतराष्ट्र का चेहरा चमचमा रहा रहा था. संजय ने धृतराष्ट्र को दो बच्चों की कहानी सुनाई. जिसे सुनकर सबने इज़रायल-फिलिस्तीन को याद किया. पुराने जमाने में मंदिर, मज़ार, दरगाहों पर मन्नत मांगने का रिवाज था, आज के जमाने में मन्नत को प्रमोशन कहते हैं.
कंगना रनौत अपनी नई फिल्म तेजस को लेकर राम की आयोध्या, कृष्ण के अवतार, स्टैच्यू ऑफ यूनिटी से लेकर दरबारी मीडिया तक के दरबार में माथा टेका, मन्नतें मांगी. कहने का अर्थ ये है कि बड़ी और कड़ी कोशिशें की बहन ने कि तेजस का निशाना बॉक्स ऑफिस पर लग जाए. लेकिन निशाना था कि चूकने के अलावा किसी बात पर राजी ही नहीं.
दूसरी तरफ रूबिका लियाक़त थीं. ये फिलिस्तीन में वार कवर करने गई थीं लेकिन इज़रायल की धरती से ही पिकनिक मनाकर वापस लौट आईं. दम पे दम रील बनाकर ठेल रही हैं क्योंकि इनकी सूचनाओं और समाचारों को तवज्जो देने के लिए कोई तैयार ही नहीं है. भारत सरकार की स्वयंभू प्रवक्ता बहन रूबिका लियाकत ने अपने इज़रायल प्रवास में दो चीजें हासिल की. उनके बारे में जानने के लिए यह टिप्पणी देखें.
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