छापेमारी पर न्यूज़क्लिक: 'फर्जी लेख' के सहारे ‘असली भारत’ की आवाज दबाने की कोशिश

मीडिया संगठन ने कहा कि हम दो साल से अधिक समय से 'निगरानी' में हैं लेकिन कोई भी एजेंसी अब तक कोई अपराध स्थापित नहीं कर पाई. 

न्यूज़क्लिक के संपादक प्रबीर पुरकायस्थ को मंगलवार को गिरफ्तार किया गया था.

दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल द्वारा गैर कानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत संस्थापक और मानव संसाधन प्रमुख की गिरफ्तारी के बाद न्यूज़क्लिक ने पटियाला हाउस कोर्ट का रुख किया है. मालूम हो कि संस्थापक प्रबीर पुरकायस्थ और मानव संसाधन विभाग के प्रमुख अमित चक्रवर्ती को मंगलवार को गिरफ्तार किया गया था. इस बारे में यहां विस्तार से पढ़ें

इसके बाद बुधवार को प्रबीर और अमित ने अपने खिलाफ दर्ज मामले की प्रति मांगने के लिए वकीलों के जरिए दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में याचिका दायर की है.  

इस बीच बुधवार को जारी एक बयान में न्यूज़क्लिक ने पुलिस की इस कार्रवाई को "निडर आवाज़ों को दबाने" की कोशिश बताते हुए कहा कि पिछले दो सालों में बड़ी मात्रा में सबूतों की जांच करने के बावजूद कोई भी एजेंसी आज तक मीडिया संस्थान के खिलाफ कोई अपराध स्थापित नहीं कर पाई है.

न्यूज़क्लिक ने कहा कि उसे 2021 से कई एजेंसियों द्वारा “निशाना” बनाया गया है, जिसमें प्रवर्तन निदेशालय, दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा और आयकर विभाग की तलाशी और जांच भी शामिल है. बयान में कहा गया कि अतीत में भी सभी इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को जब्त कर लिया गया और सभी ई-मेल और संचार की "बारीकी" से जांच की गई है.

न्यूज़क्लिक ने और क्या कहा?

मीडिया संस्थान ने यह भी कहा कि उसके बैंक स्टेटमेंट, खर्च और फंडिंग के ब्योरे की समय-समय पर जांच की गई है और उसके कर्मचारियों से कई बार पूछताछ की गई है. साथ ही उसके संस्थापक और संपादक प्रबीर पुरकायस्थ को पिछले कुछ महीनों में पूछताछ के लिए भी नहीं बुलाया गया है.

बयान में कहा गया, “इस सबके बावजूद पिछले दो सालों में प्रवर्तन निदेशालय न्यूज़क्लिक पर मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज नहीं कर पाया है. दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा भारतीय दंड संहिता के तहत अपराध के लिए न्यूज़क्लिक के खिलाफ आरोप पत्र दायर नहीं कर पाई है. साथ ही आयकर विभाग भी अदालत के समक्ष अपने कार्यों का बचाव करने में सक्षम नहीं है.”

न्यूज़क्लिक अपने बयान में दावा किया कि उसकी सभी फंडिंग उचित बैंकिंग चैनलों के माध्यम से की गई है और संबंधित कानूनी अधिकारियों को भी सूचित किया गया है. 

‘निडर आवाजों को दबाने’ की कोशिश 

न्यूज़क्लिक ने कहा, “एक सरकार जो इस सारी जानकारी के बावजूद किसी आरोप को साबित करने में सक्षम नहीं है, अब वह न्यूयॉर्क टाइम्स के एक "फर्जी लेख" का इस्तेमाल कर रही है ताकि "असली भारत" की कहानी को चित्रित करने वाली "निडर आवाजों को दबाने" के लिए क्रूर यूएपीए का इस्तेमाल किया जा सके.”

संस्थान ने आगे कहा, “दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने एक भी लेख या वीडियो का जिक्र नहीं किया है जिसे वे चीनी प्रचार मानते हैं. दरअसल, दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल द्वारा अपनाई गई पूछताछ की शैली - दिल्ली दंगों, किसानों के विरोध प्रदर्शन आदि पर रिपोर्ट के संबंध में, सभी वर्तमान कार्यवाही के पीछे प्रेरित और दुर्भावनापूर्ण इरादे को प्रदर्शित करती है.

हमें न्यायालयों और न्यायिक प्रक्रिया पर पूरा भरोसा है. हम भारत के संविधान के अनुसार अपनी पत्रकारिता की स्वतंत्रता और अपने जीवन के लिए लड़ेंगे.”

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