शुक्रवार की सुबह हुई संपादकीय मीटिंग में कर्मचारियों को इस फैसले की जानकारी दी गई.
रोजाना की तरह शुक्रवार सुबह ब्रूट हिंदी के कमर्चारी संपादकीय मीटिंग में स्टोरी आइडियाज के साथ पहुंचे. लेकिन मीटिंग शुरू होने के थोड़ी देर बाद ही ब्रूट इंडिया की वाइस प्रेसिडेंट एवं मुख्य संपादक महक कस्बेकर ने बताया कि हिंदी वर्टिकल (चैनल) मुनाफा नहीं कमा रहा है. ऐसे में कंपनी ने इसे बंद करने का फैसला लिया है.
इसके बाद ब्रूट हिंदी के संपादकीय टीम में काम करने वाले आठ कर्मचारियों में से छह को, वीडियो एडिटर के तौर पर काम कर रहे पांच और इसकी ब्रांडिंग टीम से जुड़े दो लोगों को बताया गया कि उनकी सेवाएं समाप्त की जा रही हैं.
ब्रूट हिंदी के दो लोगों को छंटनी से बाहर रखा गया है. इनमें एक संपादक और दूसरे उनके मातहत कर्मचारी हैं. संपादक का अनुबंध दिसंबर में समाप्त हो रहा है. इस दौरान उन्हें नॉलेज ट्रांसफर पीरियड के लिए रोका गया है, जिसका मतलब है कि वे भविष्य में उनकी जगह लेने वाले शख्स को कामकाज और बाकी चीजों की जानकारी साझा करेंगे.
मीटिंग में संपादक महक ने बताया कि फ्रांस आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है. जिसके कारण प्रबंधन ने ब्रूट के लाभ कमाने वाले विभागों (वर्टिकल) को ही जारी रखने का फैसला किया है. हिंदी से कमाई न होने के चलते उसे बंद करने का फैसला हुआ है. बता दें कि ब्रूट फ्रांस की कंपनी है. इसका हिंदी वर्टिकल दो साल पहले शुरू हुआ था.
छंटनी की जद में आए कर्मचारियों को कंपनी फुल एंड फाइनल के तौर पर क्या कुछ भुगतान करेगी इसे लेकर अभी कर्मचारियों को कोई जानकारी नहीं दी गई है.
हालांकि, एक वरिष्ठ कर्मचारी ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया कि जिस कर्मचारी ने संस्थान को जितना समय दिया है, उन्हें उस हिसाब से भुगतान किया जाएगा. किसी को छह तो किसी को चार महीने की तनख्वाह देने का फैसला हुआ है. कम से कम दो महीने की तनख्वाह तो दी ही जा रही है.
वरिष्ठ कर्मचारी ने आगे बताया, ‘‘हमारी टीम शानदार काम कर रही थी. कम संसाधनों में हम शानदार काम कर रहे थे. ब्रूट हिंदी ने दो साल में एक अच्छी जगह बना ली थी. लोग हमारे वीडियो स्टाइल की नकल कर रहे थे. लेकिन एक सत्य यह भी है कि हिंदी से कमाई नहीं हो रही थी. तनख्वाह तक हम नहीं निकाल पा रहे थे. ऐसे में फ्रांस से यह फैसला लिया गया. अफसोस के साथ हमें अपने शानदार साथियों को विदा करना पड़ रहा है.’’
एक कमर्चारी को रोकने के पीछे की वजह का जिक्र करते हुए वह बताते हैं, ‘‘प्लैटफॉर्म पर कुछ-कुछ पब्लिश होता रहे इसलिए एक कमर्चारी को रोका गया है. ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि आगे ब्रूट की आर्थिक हालत सही होगी तो फिर से इसे शुरू किया जा सके.’’
ब्रूट हिंदी के ज्यादातर कमर्चारियों को इसके बंद होने की आशंका नहीं थी. वे अपना काम कर रहे थे. वहीं, एक कमर्चारी ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया कि बीते दिनों एक महिला पत्रकार को संस्थान ने नौकरी का प्रस्ताव (ऑफर लेटर) भेजा था, लेकिन उनकी नियुक्ति को रोक दिया गया. उसके बाद हमें थोड़ी शंका हुई थी. हम आपस में इसको लेकर बात कर रहे थे लेकिन बंद हो जाएगा, ऐसा किसी ने नहीं सोचा था.
न्यूज़लॉन्ड्री ने इस मामले में बात करने के महक कस्बेकर को फोन किया लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया. बाद में मेल पर अंग्रेजी में उनका जवाब मिला. जिसका हिंदी तर्जुमा कुछ यूं है.
"सात साल से भी कम समय में, ब्रूट ने एक टिकाऊ और लाभदायक व्यावसायिक मॉडल बनाया है. हमारी पहुंच, प्रासंगिकता, दर्शकों के विश्वास, डाटा और अगली पीढ़ी की हमारी समझ के कारण कलाकार, राजनीतिक और व्यापारिक नेता और ब्रांड (हमारे जरिए) युवा पीढ़ी से बात बात करने के लिए हमारे पास आ रहे हैं. जैसे-जैसे हम अपने विकास के अगले चरण की रूपरेखा तैयार कर रहे हैं, हम रणनीतिक, व्यावसायिक लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करने और दर्शकों की लगातार विकसित हो रही जरूरतों को पूरा करने के लिए नवाचार को अपनाते हुए अपने मॉडल को उसी के अनुरूप ढाल रहे हैं." जैसा कि महक ने जवाब में लिखा.
नोट: इस ख़बर को 30 सितंबर को मुख्य संपादक महक की प्रतिक्रिया शामिल करने के लिए अपडेट किया गया.