कोर्ट ने कहा कि लेख में तथ्यों की सही से जांच नहीं की गई है.
दिल्ली हाईकोर्ट ने आरएसएस की साप्ताहिक पत्रिका ‘ऑर्गनाइजर’ और एक दूसरी पत्रिका ‘द कम्यून’ में “इंडियन कैथोलिक चर्च सेक्स स्कैंडल” शीर्षक से प्रकाशित आर्टिकल को हटाने के आदेश दिए हैं. आर्टिकल में दिल्ली स्थित एक क्रिश्चियन माइनॉरिटी स्कूल के प्रधानाध्यापक पर नन, हिंदू महिलाओं और छात्राओं के साथ यौन संबंध बनाने के आरोप लगाए गए हैं.
मालूम हो कि संघ पत्रिका के हिंदी संस्करण 'पांचजन्य' में भी यह लेख 'एक बार फिर पादरियों का सेक्स स्कैंडल आया सामने......' शीर्षक से प्रकाशित हुआ है. हालांकि, अभी यह स्पष्ट नहीं है कि इसे सिर्फ अंग्रेजी से हटाने के आदेश दिए गए हैं या फिर दोनों भाषाओं से.
लाइव लॉ के मुताबिक, जस्टिस ज्योति सिंह ने कहा कि पत्रिका में प्रकाशित लेख व्यक्ति की सार्वजनिक प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा रहा है. जब तक पत्रिका से इसे हटा नहीं दिया जाता तब तक व्यक्ति की सार्वजनिक प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाता रहेगा.
सुनवाई के दौरान उन्होंने कहा कि किसी भी तरह से यह साबित नहीं हो पाया कि स्कूल के प्रधानाध्यापक के संस्था की किसी भी महिला के साथ यौन संबंध थे. दोनों पत्रिकाओं में प्रकाशित लेख का उद्देश्य व्यक्ति की सार्वजनिक प्रतिष्ठा को चोट पहुंचाने का है. न्यायाधीश ने पाया कि प्रकाशित लेख के तथ्यों की सही से जांच नहीं की गई है.
आदेश में आगे कहा गया कि भारतीय संविधान अनुच्छेद-19(1)(क) के तहत प्रत्येक व्यक्ति को विचार एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता देता है, लेकिन इसका प्रयोग संविधान के अनुच्छेद-21 द्वारा प्रदत्त किसी दूसरे व्यक्ति की प्रतिष्ठा से जीने के मौलिक अधिकार को क्षति पहुंचाने के लिए नहीं किया जा सकता.
यह पहली बार नहीं है जब आरएसस द्वारा संचालित पत्रिका ऑर्गनाईजर ने तथ्यों की जांच किए बिना स्टोरी प्रकाशित की हो. इससे पहले भी न्यूज़लॉन्ड्री ने रिपोर्ट किया था कि कैसे इस पत्रिका ने उत्तर प्रदेश के कैराना से 346 हिंदू परिवारों को मुस्लिमों द्वारा ‘घर छोड़ने के लिए मजबूर’ करने का दावा किया था. पिछले महीने पत्रिका ने असम के एक भाजपा नेता की हत्या को लव जिहाद से जोड़ा था, जबकि परिवार इस दावे से इंकार कर रहा था. गौरतलब है कि ऑर्गनाईजर ही मात्र ऐसी संस्था थी जो इस हत्या को लव जिहाद के नजरिए से प्रकाशित कर रही थी.