"गांव में कच्चे मकान टूट चुके हैं और पक्के मकान धंस रहे हैं. फसलें बर्बाद हो चुकी हैं. लोगों के पास खाने के लिए राशन नहीं है. छोटे बच्चों के लिए दूध नहीं है. सरकार हमारी मदद नहीं कर रही है."
गाजियाबाद के बदरपुर गांव की रहने वाली 48 वर्षीय कुलसुम बेगम पानी में डूबे अपने कच्चे मकान के पास बार-बार जाती हैं और निराश होकर वापस लौट आती हैं. मकान के चारों तरफ पानी भरने के कारण दीवारें गिरने की कगार पर हैं. घर में जो सामान पड़ा था वह बह गया.पेशे से मजदूरी करने वाली कुलसुम के ऊपर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है. करीब नौ महीने पहले ही उन्होंने अपनी जीवन भर की कमाई को जुटाकर किसी तरह प्लॉट खरीदा और उस पर तीन कमरों का एक कच्चा मकान बनाया था, लेकिन वह मकान भी अब टूटने की कगार पर है. इसकी वजह से वह अपने बच्चों को लेकर बांध पर रह रही हैं.
छह दिन से मीडिया और अधिकारियों की राह तकती कुलसुम की आंखें कैमरा देखते ही उम्मीद से भर जाती हैं. वह रोते हुए कहती है, "मैंने लोगों के खेतों से जो अनाज बीनकर अपने बच्चों के लिए रखा था, वह भी बह गया. घर भी टूट रहा है. अब न रहने को घर है न खाने का खाना. ऊपर से सरकार भी हमारी कोई मदद नहीं कर रही है. मैं अपने बच्चों को कैसे पालूं."
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से गुहार लगाते हुए वह कहती हैं, "हमारी मदद कीजिए योगी जी. आप तो हमारे माई बाप हैं. हमारी कोई सुनवाई नहीं हो रही है. न हमें खाने को मिल रहा है न रहने को. बारिश के मौसम में हमें टेंट भी नहीं दिया गया है. प्लीज हमारी गुहार सुन लीजिए."
तकरीबन कुलसुम जैसी स्थिति गांव की रहने वाली मीना देवी की भी है. मीना का मकान पक्का बना है लेकिन घर के चारों तरफ पानी भरने की वजह से दीवारों का आपस में संपर्क छुट गया है जिससे दीवारें दरक रही हैं. फर्श भी नीचे की ओर धंस रहा है. मीना भी अपने बच्चों के साथ मकान छोड़कर बांध पर रह रही हैं.
बदरपुर गांव के प्रधान गोपीचंद पाल बताते हैं, "गांव में कुल 13 हजार लोग रहते हैं. 13 जुलाई को बाढ़ आने के बाद से गांव में कोई भी सरकारी मदद नहीं पहुंची है. हमने जिला अधिकारी, तहसीलदार और सभी सरकारी अधिकारियों से गुहार लगाई लेकिन अभी तक ग्रामीणों के लिए कोई राहत का इंतजाम नहीं किया गया है."
बता दें कि उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में 13 जुलाई को यमुना नदी पर बने अलीपुर पुस्ते का करीब 130 मीटर हिस्सा पानी में बह गया. देखते ही देखते यह पानी गाजियाबाद के 70 से ज्यादा गांवों, ट्रॉनिका सिटी की सौ से ज्यादा फैक्ट्रियों और रिहायशी इलाकों में भर गया. इसकी वजह से हजारों लोग अपना घर छोड़कर सड़क पर रहने को मजबूर हैं. बदरपुर गांव इस बाढ़ से न सिर्फ प्रभावित है बल्कि तबाह हो चुका है. लोगों की आजीविका संकट में है. अपने रोते बिलखते बच्चों और मवेशियों को किसी तरह बचाकर हजारों लोग खुले आसमान के नीचे रह रहे हैं. जहां ना शौच की सुविधा है, न खाने की. किसी तरह की कोई मेडिकल सहायता भी नहीं पहुंचाई जा रही है.
देखिए यह वीडियो रिपोर्ट-