डीडी न्यूज़: भाजपा नेताओं की पहचान छुपाकार बताया मुसलमानों को यूसीसी का समर्थक

अपनी एक रिपोर्ट में डीडी न्यूज़ ने जिन लोगों की पहचान छुपाकर यूसीसी समर्थक मुसलमान बताया वो भाजपा के कार्यकर्ता और नेता निकले.

WrittenBy:बसंत कुमार
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 27 जून को मध्य प्रदेश के भोपाल में एक चुनावी सभा में यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) का जिक्र करते हुए कहा कि भारत का संविधान सभी के लिए एक कानून की बात करता है इसलिए देश ‘दो कानूनों’ से नहीं चल सकता. लगे हाथ प्रधानमंत्री ने ने इस सभा के दौरान पार्टी कार्यकर्ताओं का आह्वान किया कि वो मुस्लिमों को यूसीसी के बारे में जागरूक करें. 

यूसीसी पर माहौल हाल के दिनो में गरमाया हुआ है. विधि आयोग ने भी यूसीसी पर आम लोगों का सुझाव आमंत्रित किया है. यह प्रक्रिया 14 जून से 14 जुलाई तक चलेगी. 

प्रधानमंत्री के बयान के बाद टीवी मीडिया में यूसीसी बहस का केंद्र बन गया. इसी बीच हमारे सार्वजनिक प्रसारक दूरदर्शन ने भी यूसीसी से जुड़े तीन वीडियो जारी किए. इन्हें डीडी नेशनल और यूपी डीडी न्यूज़ के यूट्यूब चैनल पर प्रसारित किया गया. ये वीडियो उत्तर प्रदेश के तीन जिलों से हैं.  

तीनों वीडियो के जरिए डीडी ने यह बताने की कोशिश की कि मुस्लिम समुदाय के लोग यूसीसी यानी समान नागरिक संहिता का समर्थन कर रहे हैं. लेकिन डीडी न्यूज़ की एक गड़बड़ी ने हमारा ध्यान खींचा. उसने यूसीसी का समर्थन करने वाले किसी भी मुसलमान का नाम या पहचान नहीं बताया. न्यूज़लॉड्री ने अपनी पड़ताल में पाया कि जो लोग डीडी न्यूज़ पर यूसीसी का समर्थन कर रहे थे उन में से कुछ भाजपा के पदाधिकारी हैं तो कुछ भाजपा कार्यकर्ता.

हापुड़ के भाजपा नेता दानिश कुरैशी

डीडी न्यूज़ ने यूसीसी को लेकर उत्तर प्रदेश के हापुड़ से एक वीडियो स्टोरी की. इसमें दानिश कुरैशी को बतौर मुसलमान समान नागरिक संहिता का समर्थन करते हुए दिखाया गया. 

वीडियो में कुरैशी कहते हैं, “यूसीसी कानून, जो सरकार के द्वारा लाया जा रहा है, यह बहुत ही अच्छा है. मैं पूरे मुस्लिम समुदाय की तरफ से यूसीसी का खुलेआम समर्थन करता हूं क्योंकि भाजपा सरकार बिना भेदभाव के काम कर रही है. यह कानून लागू होना चाहिए और जल्द लागू होना चाहिए.”

इस वीडियो स्टोरी में इसी तरह कई और मुस्लिम चेहरे यूसीसी की वकालत करते नज़र आते हैं.

यह वीडियो डीडी नेशनल और डीडी यूपी दोनों के यूट्यूब चैनल पर मौजूद हैं. डीडी नेशनल पर कुरैशी का नाम तक नहीं लिखा गया. वहीं डीडी यूपी पर सिर्फ दानिश कुरैशी लिखा गया है.

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हमने पाया कि दानिश कुरैशी, हापुड़ जिले में भारतीय जनता पार्टी के अल्पसंख्यक मोर्चे  के उपाध्यक्ष हैं और कई बार विवादों में भी रहे हैं. कुरैशी, पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के नाम से एक समाज कल्याण संस्था चलाते हैं.

न्यूज़लॉन्ड्री ने कुरैशी से इस बारे में बात की. इस दौरान उन्होंने भाजपा से अपने जुड़ाव को स्वीकार किया. वे बताते हैं, ‘‘मैं पहले कांग्रेस में हुआ करता था, लेकिन 2014 में भाजपा में शामिल हो गया. हापुड़ में हजारों बुर्के वाली महिलाओं को मैंने भाजपा अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह के सामने इकठ्ठा कर दिया था. मुझसे पहले ऐसा यहां कोई नहीं कर पाया.’’

कुरैशी बताते हैं, ‘‘डीडी न्यूज़ वाले मेरे पास आए थे. उनको यूसीसी पर बाइट चाहिए थी. मैंने खुद भी बाइट दी और अपने पड़ोस के रहने वाले रहीमुद्दीन से भी दिलवाई. यहां से उन्होंने दो बाइट और ली हैं.”

डीडी के उस रिपोर्ट में बाइट देने वाले चारों लोग यूसीसी का समर्थन करते हैं. बाकी तीनों का राजनीतिक जुड़ाव का हम पता नहीं कर पाए लेकिन इसमें से किसी भी शख्स की बाइट से लगता नहीं कि उन्हें यूसीसी की जानकारी है. मसलन, मोहम्मद शाकिर कहते हैं, ‘‘एक देश, एक कानून का मैं समर्थन करता हूं. एक देश में एक ही कानून होना चाहिए. ये जो कानून लेकर आए हैं, माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी, मैं उनका इस बात पर समर्थन करता हूं.’’

ऐसे ही रहीमुद्दीन कहते हैं, ‘‘मैं यूसीसी का समर्थन करता हूं. माननीय मोदीजी सबके लिए बराबर के अधिकार की बात कर रहे हैं. इसका मैं समर्थन कर रहा हूं. जैसे अनाज है, वो सबको मिल रहा है. हरेक सुविधाएं सरकार सबको दे रही है.’’

बरेली 

डीडी न्यूज़ ने बरेली से तलाकशुदा महिलाओं द्वारा यूसीसी के समर्थन पर वीडियो जारी किया.  इस वीडियो में पूर्व केंद्रीय मंत्री मुख़्तार अब्बास नकवी की बहन और ट्रिपल तलाक को लेकर लंबा संघर्ष करने वाली फरहत नकवी से बात की गई है. फरहत नकवी ने अपने अन्य साथियों के साथ मिलकर यूसीसी के समर्थन में पीएम मोदी को पत्र लिखा है. 

डीडी न्यूज़ ने यहां पर एक और महिला निदा खान से भी बात की. उनका परिचय आला हजरत हेल्पिंग सोसायटी बताया गया.  इसमें खान कहती हैं, ‘‘यूसीसी के समर्थन में हमने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को पत्र भी लिखा है. उसमें हमने लिखा कि जैसे तीन तलाक बिल लाकर आपने हमारी बहनों-बेटियों का भविष्य सुरक्षित किया, उसी तरह हम चाहते हैं कि आप यूसीसी लेकर आएं और हमारा आने वाला जीवन सुरक्षित करें.’’

तीन तलाक पीड़िता के अलावा निदा खान की एक और पहचान है कि वो भाजपा से जुड़ी हुई हैं. यूपी चुनाव से ठीक पहले 31 जनवरी, 2022 को भाजपा के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने लखनऊ में उन्हें पार्टी की सदस्यता दिलाई थी. इसके बाद काफी हंगामा भी हुआ था. निदा के ससुराल पक्ष ने भाजपा से जुड़ने पर धमकी तक दी थी. 

इन सभी वीडियोज़ में एक समानता है कि हर व्यक्ति यूसीसी की तारीफ कर रहा है. हमने इस स्टोरी को कवर करने वाले पत्रकारों से बात की. हापुड़ से डीडी न्यूज़ के संवाददाता परवेज अली ने इस पर कोई भी जवाब देने से इंकार कर दिया. 

वहीं, बरेली से निदा खान का वीडियो भेजने वाले पत्रकार अरविंद कुमार बताते हैं कि निदा खान ने खुद ही अपना वीडियो भेजा था. ये सच है कि वे भाजपा में शामिल हुई थीं. लेकिन वे भाजपा नेता कहलाना पसंद नहीं करती हैं. न ही भाजपा के कार्यक्रमों में जाती हैं. उन्होंने भाजपा छोड़ी भी नहीं है और ठीक से जुड़ी भी नहीं हैं.  

हमने यूपी में डीडी न्यूज़ के लिए काम करने वाले एक अन्य संवाददाता, जिन्होंने यूसीसी को लेकर लोगों की बाइट भेजी थी, से पूछा कि क्या संस्थान की तरफ से ऐसे पॉजिटिव वीडियो भेजने के लिए कहा जाता है? नाम नहीं छापने की शर्त पर वे जवाब देते हैं, “ये सब बोला नहीं जाता लेकिन यह अंडरस्टुड है कि सरकारी चैनल में क्या चलेगा और हम वही सब भेजते हैं.”

पहले भी डीडी न्यूज़ कर चुका है ऐसा 

इस तरह लोगों की राजनीतिक पहचान छिपाने का काम डीडी न्यूज़ ने पहली बार नहीं किया है.  इससे पहले यूपी चुनाव के समय ‘क्या बोले यूपी’ नाम से एक शो डीडी न्यूज़ पर चल रहा था.  इस शो के दौरान एंकर सीमा पराशर, यूपी के अलग-अलग जिलों में जाकर वहां से रिपोर्ट कर रही थीं. इस शो में बड़ी चालाकी से भाजपा, आरएसएस और विहिप से जुड़े नेताओं और कार्यकर्ताओं को आम नागरिक, स्थानीय निवासी, किसान और व्यवसायी बताकर पेश किया गया था.  

तब न्यूज़लॉन्ड्री ने इस पर विस्तृत रिपोर्ट की थी. रिपोर्ट प्रकाशित होने के बाद इस शो को बंद कर दिया गया.

यूसीसी को लेकर डीडी न्यूज़ द्वारा की गई वीडियो रिपोर्ट में लोगों का नाम या उनके भाजपा से जुड़ाव की बात को जानबूझकर छुपाया? इसको लेकर हमने डीडी न्यूज़ यूपी, जॉइंट डायरेक्टर (न्यूज़) गार्गी मलिक से बात करने की कोशिश की. काफी प्रयासों के बाद भी उनसे बात नहीं हो पाई. ऐसे में हमने उन्हें मेल के जरिए सवाल भेजे हैं. अगर जवाब आता है तो उसे खबर में जोड़ दिया जाएगा. 

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