हल्द्वानी: दो पड़ोसियों के झगड़े पर दैनिक जागरण ने पोता सांप्रदायिक रंग

उत्तराखंड के हल्द्वानी में नाले के विवाद हुई मारपीट को ज्यादातर अखबारों ने दो पक्षों का झगड़ा बताया लेकिन दैनिक जागरण अख़बार ने इसे हिंदुओं पर हमला घोषित कर दिया. 

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हल्द्वानी: दो पड़ोसियों के झगड़े पर दैनिक जागरण ने पोता सांप्रदायिक रंग
गोबिंद वीबी
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उत्तराखंड के हल्द्वानी में 4 जुलाई की देर शाम नाले के विवाद को लेकर दो पक्षों में विवाद हो गया. इस घटना को अमर उजाला और दैनिक हिंदुस्तान ने इसी तरह रिपोर्ट किया. लेकिन दैनिक जागरण ने इसमें सांप्रदायिकता का तड़का लगाते हुए माहौल खराब करने की कोशिश की.

पूरी घटना को सांप्रदायिक नजरिए से प्रस्तुत करते हुए ख़बर ने हेडिंग दी- ‘हिंदुओं को घर में घुसकर पीटा, गर्भवती के पेट पर लात मारकर कपड़े भी फाड़े’. ख़बर में लिखा गया कि बनभूलपुरा में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने हिंदू परिवार के घर में घुसकर महिलाओं व पुरुषों को पीटा. अख़बार ने ये भी लिखा कि घटना के बाद से भाजपाइयों में आक्रोश है और हिंदूवादी संगठन पीड़ित परिवार के घर देर शाम हनुमान चालीसा पढ़ने पहुंचे.

दैनिक जागरण की खबर से ऐसा लगता है कि हिंदुओं के ऊपर कोई सुनियोजित हमला मुसलमानों ने किया होगा. इस सनसनीखेज और सांप्रदायिक रिपोर्टिंग के बारे में जब हमने दैनिक जागरण के हल्द्वानी संस्करण के संपादक और उत्तराखंड के राज्य संपादक से बात की तो उन्होंने कोई जवाब ही नहीं दिया. हल्द्वानी एडिटर आशुतोष सिंह ने सवाल सुनकर फोन काट दिया. फिर उनसे कोई बात नहीं हुई.  

इसके बाद हमने राज्य संपादक कुशल कोठियाल से बात की. हमने पूछा कि दो पक्षों के विवाद को दैनिक जागरण अखबार ने हिंदू-मुस्लिम रंग देने की कोशिश की है, ऐसा क्यों? उन्होंने इतना कह कर फोन काट दिया कि मैं पता करता हूं. इसके बाद उनसे संपर्क नहीं हो सका.

हल्द्वानी के एक पत्रकार अपना नाम नहीं छापने की शर्त पर कहते हैं, “यह पहली बार नहीं है जब जागरण ने इस तरह की सनसनीखेज पत्रकारिता का नमूना पेश किया है. इससे पहले जनवरी में भी जागरण ने ऐसा ही किया था. तब इससे नाराज लोगों ने अख़बार के एक रिपोर्टर की पिटाई तक कर दी थी. यह बात हल्द्वानी में सभी जानते हैं.”

दरअसल, जनवरी में हल्द्वानी में रेलवे की 75 एकड़ जमीन के अतिक्रमण को लेकर विवाद हो गया था. तब कई हजार लोग सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन कर रहे थे. अख़बार ने इस घटना को भी सांप्रदायिक नजरिए से पेश किया. इससे लोगों में जागरण के खिलाफ नाराजगी बढ़ गई थी. 

वह आगे कहते हैं, “ताजा खबर के बाद हल्द्वानी के पत्रकारों में काफी रोष है. यहां के पत्रकारों और आम लोगों में चर्चा है कि ऐसे संपादक के खिलाफ मामला दर्ज करवाना चाहिए. सभी पत्रकारों ने इस खबर का विरोध किया है.”

वह हमें स्थानीय मीडिया के व्हाट्सग्रुप में आए एक मैसेज का स्क्रीनशॉट भी भेजते हैं. जिसमें इस खबर की कड़ी निंदा की गई है. 

हलद्वानी मीडिया ग्रुप में आए मैसेज का स्क्रीनशॉट

हलद्वानी मीडिया ग्रुप में आए मैसेज का स्क्रीनशॉट

ग्रुप में आए मैसेज में लिखा है, “दैनिक जागरण ने मारपीट की घटना को सांप्रदायिक रंग देकर हमारे शहर को दंगों की आग में झोंकने की कोशिश की है. इस खबर से शहर का माहौल बिगड़ता है तो किसकी जिम्मेदारी होगी? निश्चित रूप से जिला प्रशासन व पुलिस की. इसलिए मामले में जिला प्रशासन व पुलिस को अखबार के संपादक से जवाब तलब करना चाहिए. ये लोग हमारे शहर की फिजा बिगड़ाना चाहते हैं.”

वह बताते हैं कि इस ग्रुप में जिले के डीएम, एसपी समेत कई अन्य अधिकारी, पत्रकार और शहर के कई प्रतिष्ठित व्यक्ति जुड़े हैं.

इस बारे में हमने बनभूलपुरा थाने के एसएचओ नीरज भाकुनी से भी बात की. वह कहते हैं, “नाले को लेकर विवाद था. मौर्य के घर के सामने नाली बनी हुई थी. जिसे तोड़ने को लेकर विवाद हुआ. इसके बाद दूसरे पक्ष के लोगों ने मौर्य के परिवार के साथ मारपीट की. इस मामले में हमने चार लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है. करीब 20-25 लोगों के खिलाफ एफआईआर हुई है.”

नीरज कहते हैं, “हम दैनिक जागरण के ऊपर कमेंट तो नहीं कर सकते हैं लेकिन गलत शब्दावली का प्रयोग नहीं करना चाहिए.”

बाकी अख़बारों में क्या प्रकाशित हुआ? 

अमर उजाला, दैनिक जागरण, हिन्दुस्तान और अमृत विचार अखबार की गिनती उत्तराखंड के प्रमुख अखबारों में होती है. आइए इनकी ख़बर पर एक नजर डालते हैं. 

अमर उजाला की ख़बर का शीर्षक रहा: पुलिया तोड़ने को लेकर दो परिवारों में विवाद, 24 पर केस

हिंदुस्तान ने ख़बर को शीर्षक दिया- नाले के विवाद में हुआ हंगामा, गर्भवती घायल

अमृत विचार ने लिखा- बनभूलपुरा में गर्भवती के पेट में मारी लात, हंगामा

इन सभी अखबारों ने नाली को लेकर हुए दो पक्षों के विवाद की जानकारी दी है. जिसमें बताया गया है कि क्या मामला है और पुलिस ने क्या एक्शन लिया है. वहीं दैनिक जागरण ने इस मामले को सांप्रदायिक रंग देकर एक पक्ष को उकसाने की कोशिश की है. जो स्वस्थ पत्रकारिता नहीं कही जा सकती. जागरण के इस कृत्य से इलाके की शांति और कानून व्यवस्था बिगड़ने का खतरा था. 

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