वीपी हाउस: सांसदों के लिए बने फ्लैट में चल रहे संघ से जुड़े संगठनों के दफ्तर

नियमों के मुताबिक, सरकारी फ्लैट को किसी दूसरे को किराए पर नहीं दिया जा सकता है. इनमें केवल आवंटी और उनके तत्काल परिवार के सदस्य ही रह सकते हैं.

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विठ्ठल भाई पटेल यानी वीपी हाउस दिल्ली के लुटियंस बंगला जोन (एलबीजेड) का अहम हिस्सा है. 23.60 वर्ग किलोमीटर के विशाल एरिया में फैला एलबीजेड राष्ट्रीय राजधानी के सबसे प्रतिष्ठित इलाकों में से एक है. यहां करीब 4,000 अलग-अलग प्रकार के फ्लैट हैं जो केंद्र सरकार के कर्मचारियों, सांसदों, मंत्रियों, न्यायाधीशों और अन्य उच्च स्तरीय अधिकारियों को आवंटित किए जाते हैं.

इनमें टाइप-1, टाइप-2, टाइप-3, टाइप-4, टाइप-5 फ्लैट, टाइप-5, टाइप-5 बंगले, टाइप-6 फ्लैट, टाइप-6 बंगले, टाइप-7 फ्लैट, टाइप-7 बंगले, टाइप-8 बंगले, एमपी फ्लैट, स्पेशल टाइप फ्लैट, एबी टाइप बंगले, बी टाइप फ्लैट, डबल सुइट हॉस्टल और सिंगल सुइट हॉस्टल हैं.

शहरी विकास मंत्रालय ने साल 1967 में वीपी हाउस की पांच मंजिला इमारत में 176 फ्लैट बनाए. इनमें से चार इंस्टीट्यूट ऑफ पार्लियामेंट्री स्टडीज और बाकी के वर्तमान सांसदों को आवंटित किए गए हैं. 

लेकिन आज ज्यादातर फ्लैट में सांसद तो दूर उनके परिवार वाला भी यहां नहीं रह रहा है. न्यूज़लॉन्ड्री ने अपनी पड़ताल में पाया कि इन फ्लैट में आरएसएस से जुड़े संगठनों के कार्यालय, एबीवीपी का दफ्तर, न्यूज़ चैनल जनम टीवी और कुछ एनजीओ के दफ्तर बने हुए हैं. जनम टीवी संघ समर्थित न्यूज़ चैनल है, जिसका मुख्यालय केरल में स्थित है. 

इसके अलावा यहां कई तो ऐसे परिवार रह रहे हैं जिनका सासंदों से दूर-दूर तक कोई लेना देना नहीं है. सांसदों के लिए बने फ्लैट आखिर इन लोगों को कैसे आवंटित हो गए हमने इसी सवाल का जवाब इस रिपोर्ट के जरिए खोजने की कोशिश की है. 

मालूम हो कि कुछ दिन पहले यौन उत्पीड़न के आरोपों के बाद चर्चा में आए हिंदुत्व नेता राज्यवर्धन सिंह परमार अपने परिवार के साथ यहां एक सांसद के नाम पर आवंटित फ्लैट में पिछले दो साल से रह रहे हैं. हालांकि ऐसा नहीं है कि परमार ऐसे रहने वाले अकेले हैं. हमने अपनी पड़ताल में पाया कि ऐसे और भी काफी लोग हैं. 

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