एनएल सारांश: राष्ट्रपति पुतिन की सत्ता को चुनौती देने वाले वागनर लड़ाके कौन हैं?

इस 'हथियारबंद विद्रोह' के बाद पूरी दुनिया में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की कमजोर पड़ती सत्ता की चर्चा होने लगी.

WrittenBy:अवधेश कुमार
Date:
   

2018 में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से एक इंटरव्यू में सवाल पूछा गया था की क्या वे ऐसे इंसान है जो माफ कर देने में विश्वास रखते है. जवाब देते हुए पुतिन बोले कि हां, वे सब कुछ माफ़ कर देते है पर गद्दारी माफ़ नहीं कर सकते. 

24 जून को पुतिन के साथ ऐसा ही एक मौका पेश आया. जब रूस की प्राइवेट आर्मी के तौर पर मशहूर वागनर ग्रुप ने 24 जून को पुतिन की सत्ता को सीधे चुनौती देते हुए येवगेनी प्रिगोझिन के नेतृत्व में मास्को की ओर हथियारबंद मार्च किया. इस मार्च से रूस के साथ ही पूरी दुनिया चौंक गई. रूस के लिए यह इसलिए भी अहम है क्योंकि उसकी सेना पहले से ही यूक्रेन के मोर्चे पर उलझी हुई है.

इस मार्च के बाद पुतिन ने राष्ट्र के नाम संबोधन में इसे सशस्त्र विद्रोह कहा और कसम खाई कि इसके दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा. हालांकि इस बगावत के 12 घंटे के अंदर ही वागनर के मुखिया प्रिगोझिन और पुतिन के बीच समझौता हो गया. बेलारूस के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको ने इस समझौते की मध्यस्थता की. उसके बाद प्रिगोझिन के तेवर ढीले पड़ गए और उन्होंने मास्को मार्च रोक दिया. वहीं, पुतिन ने भी इस गद्दारी को माफ कर दिया. 

सारांश में जानते हैं कि रूस में क्या हुआ, व्लादिमीर पुतिन का क्या रुख रहा और इस बगावत के क्या मायने हैं?

Also see
article imageविपक्षी दलों की बैठक में कौन क्या बोला और उसपर भाजपा नेताओं की बयानबाजी
article imageगांधी-अंबेडकर विरोधी गीता प्रेस को शांति पुरस्कार देना कितना जायज ?

Comments

We take comments from subscribers only!  Subscribe now to post comments! 
Already a subscriber?  Login


You may also like